मनमोहन सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के ट्रेलर लॉन्‍च पर कांग्रेस ने साधा बीजेपी पर निशाना

अर्बन मीरर समवाददाता

लखनऊ , पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के ट्रेलर लॉन्‍च होने के साथ ही अब इसपर राजनीति शुरू हो गई है। बीजेपी ने अपने ट्विटर हैंडल पर फिल्‍म का ट्रेलर शेयर कर कांग्रेस पर हमला किया है। उधर कांग्रेस भी अब मैदान में उतर आई है। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता पीएल पूनिया ने इसे ध्‍यान बांटने की तरकीब बताया है।

‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ की रिलीज पर चल रहे विवाद पर फिल्‍ममेकर मधुर भंडारकर ने कहा कि वह पहले भी ऐसी परिस्थिति देख चुके हैं। उन्‍होंने ट्वीट कर कहा, ‘यह मेरे लिए देजा वु मोमेंट (पहले भी देखा जा चुका) हैं। पिछले साल मेरी आपातकाल पर आधारित फिल्‍म ‘इंदु सरकार’ का भी पूरे देश में विरोध हुआ था। ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ एक पुस्‍तक पर आधारित है। जब पुस्‍तक पर विवाद नहीं हुआ, तो फिल्‍म पर क्‍यों हो रहा है।’

महाराष्‍ट्र में यूथ कांग्रेस फिल्‍म का विरोध कर रहा है। ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ में मनमोहन सिंह का किरदार निभा रहे अनुपम खेर का कहना है कि फिल्‍म का विरोध करने का कोई मतलब नहीं है। उन्‍होंने कहा, ‘देखिए, ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ का जितना विरोध होगा, उतनी ही फिल्‍म को पब्लिसिटी मिलेगी। फिल्‍म की कहानी जिस किताब पर आधारित है, वह 2014 में आई थी। तब कोई विरोध क्‍यों नहीं किया गया।’ उन्‍होंने कहा, ‘हाल ही में राहुल गांधी जी का ट्वीट पढ़ा था, जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उन्‍होंने बोला था। इसलिए मुझे लगता है कि राहुल गांधी को अब फिल्‍म का विरोध कर रहे, लोगों को डांटना चाहिए क्‍योंकि वे गलत कर रहे हैं।’
कांग्रेस सांसद पीएल पूनिया ने फिल्म ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के ट्रेलर को भाजपा के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किए जाने के सवाल पर कहा, ‘यह भारतीय जनता पार्टी का खेल है। भाजपा जानती हैं कि उनके कार्यकाल के पांच साल खत्म होने को हैं और जनता को दिखाने के लिए उनके पास कुछ नहीं है, इसलिए वे ध्यान बंटाने के लिए ऐसी तरकीब अपना रहे हैं। लेकिन कुछ हल होने वाला नहीं है।’

भाजपा ने ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ का ट्रेलर ट्वीट कर लिखा, ‘इस फिल्‍म की कहानी बताती है कि कैसे एक परिवार ने दस सालों तक देश को बंधक बनाकर रखा था। क्या डॉक्‍टर मनमोहन सिंह सिर्फ इसलिए तब तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठे थे, जब तक उनका राजनीतिक उतराधिकारी तैयार न हो जाए? देखें इनसाइडर्स अकाउंट पर आधारित द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का ट्रेलर, जो 11 जनवरी को रिलीज हो रही है।’

मोदी सरकार यूबीआई योजना के तहत अब खाते में डाल सकती है पैसा

नई दिल्ली, 3 राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी बीजेपी के लिए अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। हालांकि इस बीच सूत्रों का कहना है कि मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले एक ऐसी योजना लाने की तैयारी कर रही है, जो चुनाव के दौरान ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है।
इस स्कीम को यूबीआई (Universal Basic Income) स्कीम माना जा रहा है, इस स्कीम के दायरे में देश के सभी नागरिक आएंगे, इनमें किसान, व्यापारी और बेरोजगार युवा भी शामिल होंगे। इस योजना के तहत देश के हर नागरिक को 2,000 से 3000 रुपये तक हर महीने दिए जा सकते हैं। सरकार शून्य इनकम वाले सभी नागरिकों के बैंक खातों में एक तयशुदा रकम सीधा ट्रांसफर करेगी। शून्य इनकम वाले नागरिकों का मतलब साफ है कि वो नागरिक जिनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है।

सूत्रों के अनुसार पीएमओ में जल्दी ही अलग-अलग मंत्रालयों के साथ बैठक भी करेगा जिससे जल्दी से जल्दी स्कीम का खाका तैयार किया जा सके।

यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना को लागू करने के लिए आधार नंबर का इस्तेमाल किया जाएगा। योजना में शामिल होने वाले नागरिक के बैंक खाते को आधार नंबर से लिंक किया जाएगा और फिर सरकार की ओर से दिए जाने वाले पैसे को सीधे उसके खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। अभी तक घरेलू गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी खाते में ट्रांसफर होती थी, लेकिन हो सकता है कि इस स्कीम के लागू होने के बाद हर तरह की सब्सिडी बंद कर दी जाए।

काँग्रेस का 134वां स्थापना दिवस- काँग्रेस एक नज़र में

लखनऊ-आज कांग्रेस पार्टी अपना 134वां स्थापना दिवस मना रही है। इस मौके पर कई वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की और इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी पार्टी दफ्तर पहुंचे। कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं की सराहना करते हुए आभार जताया। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”कांग्रेस के स्थापना दिवस के मौके पर हम उन करोड़ों कार्यकर्ताओं, पुरुषों और महिलाओं की निःस्वार्थ सेवा और योगदान का जश्न मनाते हैं और उन्हें स्वीकार करते हैं जिन्होंने कई सालों तक पार्टी के निर्माण और इसके बने रहने में मदद की। हम नेपथ्य के इन नायकों के प्रति आभार और सम्मान प्रकट करते हैं। मैं इन सभी को सलाम करता हूं।”

कांग्रेस का इतिहास रहा है खास-
कांग्रेस की स्थापना एक अंग्रेज ऑफिसर रहे ए ओ ह्यूम (एलन ऑक्टेवियन ह्यूम) ने की थी।

28 दिसंबर 1885 को 72 सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और वकीलों के दल ने कांग्रेस के पहले सेशन में हिस्सा लिया।

बॉम्बे के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज में हुए इस पहले सेशन के अध्यक्ष थे बैरिस्टर व्योमेश चंद्र बनर्जी। वहीं पार्टी का दूसरा सेशन ठीक एक साल बाद 27 दिसंबर 1886 में कोलकाता में हुआ था। सेशन की अध्यक्षता दादाभाई नैरोजी ने की थी। इतिहासकारों के मुताबिक, कांग्रेस के शुरुआती सालों में इसका मकसद ब्रिटिश सरकार के साथ मिलकर देश की दिक्कतों को दूर करना था। लेकिन 1905 में बंगाल के विभाजन के बाद कांग्रेस ने खुले तौर पर अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिए।

कांग्रेस की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आजादी के आंदोलन के ज्यादातर बड़े नेताओं का इस पार्टी से सरोकार रहा है. मदन मोहन मालवीय, महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू जैसे नेताओं ने आजादी से पहले इस पार्टी की अध्यक्षता की।

आजादी के बाद भी प्रासंगिक रही है कांग्रेस-
आजादी के बाद कांग्रेस के पहले अध्यक्ष आचार्य कृपलानी रहे। वहीं पार्टी ने जवाहरलाल नेहरू के चेहरे पर चुनाव लड़ा और पहले आम चुनावों में जबरदस्त सफलता पाई। देश के पहले पीएम के तौर पर नेहरू ने लोकतांत्रिक मूल्यों को अपना आधार बनाया, साथ ही देश की विदेश नीति भी कांग्रेस सरकार की खासियत बनी। कांग्रेस ने इसके बाद के सालों में कई अहम फैसले लिए जिसका आज के भारत की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में अहम योगदान है।

आजादी के बाद 19वें अध्यक्ष हैं राहुल गांधी-
साल 2017 में राहुल गांधी के तौर पर कांग्रेस को आजादी के बाद का 19वां अध्यक्ष मिला। राहुल नेहरू-गांधी परिवार की 5वीं पीढ़ी के 5वें ऐसे शख्स हैं जिन्होंने ये कुर्सी संभाली है। इससे पहले उनके नाना जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री रहते समय 5 साल, इंदिरा गांधी- राजीव गांधी ने करीब 5-5 साल, सोनिया गांधी ने 19 साल तक इस पद को संभाला है।

आजादी के बाद से अबतक के कांग्रेस अध्यक्ष-
आचार्य कृपलानी (1947-1948)
पट्टाभि सीतारमैया (1948-1950)
पुरषोत्तम दास टंडन (1950-1951)
जवाहरलाल नेहरु (1951-1955)
यू. एन. धेबर (1955-1959)
इंदिरा गांधी (1959-1960 और 1978-84)
नीलम संजीव रेड्डी (1960-1964)
के. कामराज (1964-1968)
एस. निजलिंगप्पा (1968-1969)
पी. मेहुल (1969-1970)
जगजीवन राम (1970-1972)
शंकर दयाल शर्मा (1972-1974)
देवकांत बरआ (1975-1977)
राजीव गांधी (1985-1991)
कमलापति त्रिपाठी (1991-1992)
पी. वी. नरसिंह राव (1992-1996)
सीताराम केसरी (1996-1998)
सोनिया गांधी (1998-2017)
राहुल गांधी- (2017-)

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