अर्बन मीरर समवाददाता
लखनऊ, 10 जनवरी: लोक गठबन्धन पार्टी (एलजीपी) ने आज कहा कि सीबीआई को उत्तर प्रदेश में पिछले समाजवादी पार्टी के शासनकाल में बड़े पैमाने पर अवैध खनन घोटाले की ईमानदार और पारदर्शी जांच में तेजी लानी चाहिए। एलजीपी ने हालांकि 2007 से 2018 तक जांच के दायरे को व्यापक बनाने की मांग की है क्योंकि यूपी में खनन क्षेत्र में लूट लंबे समय से चल रही है। यह सिर्फ 2012 से 2017 तक ही नहीं था, बल्कि इससे पहले भी और अभी भी चल रहा है, पार्टी प्रवक्ता ने कहा।
भारत सरकार के पूर्व सचिव विजय शंकर पांडेय की अगुवाई वाली एलजीपी के प्रवक्ता ने कहा कि सहारनपुर से सोनभद्र तक चल रहे अवैध खनन रैकेट में शीर्ष राजनेताओं के शामिल होने बहुत ही गंभीर मामला है। प्रवक्ता ने कहा कि जब से सीबीआई ने जांच शुरू की है, कुछ राजनीतिक दलों ने इसका विरोध करने के लिए गिरोह बनाया है, जिसने संकेत दिया कि वे सभी राज्य के खिलाफ अपराध में सहयोगी थे। प्रवक्ता ने कहा कि 7 जनवरी को फैजाबाद में राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में एलजीपी ने भी इस घोटाले में शामिल सभी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए एक प्रस्ताव अपनाया था। एलजीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय शंकर पांडे ने कहा कि अवैध खनन के खिलाफ पार्टी का आंदोलन और आरोपियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करना तेज होगा।
प्रवक्ता ने कहा कि हर दिन कम से कम 50,000 ट्रक यूपी में सैकड़ों साइटों से कई प्रकार के खनिजों का परिवहन कर रहे हैं, जिसके माध्यम से बेईमान नेता और अफ़सर राज्य के राजस्व में भारी सेन्ध लगा रहे है। प्रवक्ता ने कहा कि खनन स्थलों से लेकर राज्य सचिवालय तक के अधिकारियों और राजनेताओं ने धन की लूट के लिए गिरोह सा बना लिया हैं। प्रवक्ता ने कहा कि घोटाले में आईएएस अधिकारी बी चंद्रकला की भागीदारी सिर्फ एक उदाहरण है क्योंकि बड़ी संख्या में राजनेता और अधिकारी राज्य की खनन लूट पर फल-फूल रहे हैं। यह बताते हुए कि यूपी में माफिया राज के चलते वर्षों से अवैध खनन हो रहा है, प्रवक्ता ने कहा कि इन सभी को राजनीतिक संरक्षण मिल रहा है और यहां तक कि उनमें से कुछ राज्य विधानसभा के लिए चुने गए। प्रवक्ता ने कहा कि हाल ही में एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे जांचने की कोशिश की तो उन्हें पद से हटा दिया गया। प्रवक्ता ने कहा कि रैकेटियर और लूटेरों ने सिस्टम पर इस क़दर की पकड़ बना रखी है कि किसी को ईमानदारी से काम करने की अब अनुमति या छूट नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि अवैध खनन घोटाला एनआरएचएम घोटाले की तुलना में बहुत बड़ा है और इसकी व्यापकता को देखते हुए इसकी जांच और अवधि का दायरा चौड़ा किया जाना चाहिए।