शेयर बाजार / विदेशी निवेशकों ने 6399 करोड़ रुपये वापस खींचे, घरेलू पूंजी बाजार सकते में

अर्बन मीरर समवाददाता

निवेशकों ने चुनावी अनिश्चितता और अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर की वजह से कदम उठाया

2 और 3 मई को ही विदेशी निवेशकों ने 1255 करोड़ रुपये घरेलू बाजार से निकाल लिए थे

नई दिल्ली. घरेलू पूंजी बाजार से विदेशी निवेश के वापस लौटने का सिलसिला थम नहीं पा रहा है। मई महीने में विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार से 6399 करोड़ रुपये वापस खींच लिए। 1255 करोड़ रुपये 2 और 3 मई के दौरान ही निकाल लिए गए थे। इस दौरान इक्विटी से 367 करोड़ और डेट मार्केट से 888 करोड़ निकाले गए थे। एक्सपर्टस का कहना है कि चुनावी अनिश्चितता और अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर की वजह से निवेशकों ने यह कदम उठाया है। इस कदम घरेलू पूंजी बाजार सकते में है।

फरवरी, मार्च और अप्रैल में विदेशी निवेश जमकर हुआ था
सूत्रों का कहना है कि इससे पहले घरेलू पूंजी बाजार में फरवरी, मार्च और अप्रैल में जमकर विदेशी निवेश हुआ था। फरवरी में 11,182 करोड़, मार्च में 45,981 करोड़ और अप्रैल में 16,093 करोड़ रुपये का निवेश इक्विटी और डेट मार्केट में किया गया था। वैश्विक स्तर पर सेंट्रल बैंकों की उदारवादी नीतियों के चलते भारत में विदेशी पूंजी निवेश पर्याप्त रूप से हो रहा था। घरेलू पूंजी बाजार इसकी वजह से सशक्त बना हुआ था।

हालांकि, घरेलू पूंजी बाजार से विदेशी निवेशकों के मोहभंग की शुरुआत अप्रैल महीने से हो गई थी। अप्रैल में जो पूंजी निवेश हुआ वह मार्च की तुलना में काफी कम था। सूत्रों का कहना है कि विदेशी निवेशकों ने बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज, इंश्योरेंस सेक्टर के साथ ऑयल और गैस से जुड़े कारोबार में काफी रुचि दिखाई थी।

विदेशी निवेशकों की नई सरकार पर नजरें टिकीं
सूत्रों कहना है कि मई में विदेशी निवेशकों के रवैये से निश्चित तौर पर घरेलू पूंजी बाजार को झटका लगा है। निवेशकों का रुख देश में बनने वाली सरकार पर लगा है। चुनावी नतीजे घोषित होने के बाद ही वे नई सरकार के हिसाब से अपनी अगली रणनीति तय करेंगे। स्थितियां उनके अनुकूल हुई तो फिर से विदेशी निवेश घरेलू बाजार में आना शुरू हो जाएगा।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर ने भी विदेशी निवेशकों को भ्रम की स्थित में डाला हुआ है। दोनों महाशक्तियों के बीच बातचीत तो चल रही है, लेकिन कोई नतीजा न निकलने से विदेशी निवेशक भ्रम में हैं। उनका कहना है कि ट्रेड वॉर जल्दी खत्म नहीं हुई तो घरेलू बाजार में आने वाला विदेशी निवेश और ज्यादा प्रभावित होगा।

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