डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता
उच्चतम न्यायालय में आने वाले 4 नवंबर से 10 दिनों के अंदर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ चार महत्वपूर्ण फैसले सुना सकती है। जिसमें अयोध्या जमीन विवाद शामिल है। जिनका देश के सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में संभवतः बड़ा प्रभाव हो सकता है।
इसके अलावा मुख्य न्यायाधीश की पीठ अपने उस फैसले पर पुनर्विचार करके निर्णय देगी जिसमें हर उम्र की महिलाओं को सबरीमाला के अयप्पा मंदिर के अंदर जाने की इजाजत दी गई थी। तीसरा फैसला सरकार को राफेल पर क्लीन चिट देने पर आ सकता है। चौथा फैसला सीजेआई को आरटीआई के दायरे में लाने वाली याचिका पर आने का इंतजार है।
सबरीमाला पर आएगा फैसला
सीजेआई की पांच जजों की पीठ ने छह फरवरी को 65 याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसमें 57 याचिकाएं अदालत को 28 सितंबर, 2018 के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए दाखिल की गई थीं और 28 याचिकाएं हर उम्र की महिलाओं को सबरीमाला के अंदर प्रवेश की अनुमति देने के खिलाफ दाखिल की गई थीं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी हैं इसलिए 10 से 50 साल के बीच की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
सीजेआई को आरटीआई के दायरे में लाना पर फैसला
सीजेआई के नेतृत्व वाली पांच जजों की पीठ ने चार अप्रैल को उस अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें सीजेआई ऑफिस को आरटीआई के तहत लाने की अनुमति देने के लिए याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका को आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने दाखिल किया था।
राफेल पर फैसले का इंतजार
सीजेआई के नेतृत्व में तीन जजों की पीठ पिछले साल दिए अपने फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर निर्णय देगी। पिछले साल फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने में एनडीए सरकार द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार और अनियमितता के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी। जिसमें अदालत ने सरकार को क्लीनचिट दी थी। अदालत को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए याचिका दाखिल की गई है। जिसपर फैसला आने का इंतजार है। सीजेआई की पीठ ने 10 मई को इसपर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।