डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता
लखनऊ, महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष ने यह साबित कर दिया सियासत में कोई किसी का सगा नहीं होता। सत्ता पाने की लालसा ऐसी होती है कि नैतिकता, रिश्ते, सभी तरफ की आंखे बन्द हो जाते है। महाराष्ट्र में शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने चाचा को धोखा देकर कोई नया कार्य नही किया। इसके पहले देश के विभिन्न राज्यों में तमाम उदाहरण मौजूद है। देवीलाल परिवार, मुलायम परिवार, लालू यादव परिवार, जैसे तमाम परिवारों के बीच वर्चस्व की जन प्रत्यक्ष उदाहरण है। अजीत पवार ने जिस तरह से पल्टीमार के भाजपा से हाथ मिलाया और सरकार बनायी उससे यह निश्चित हो गया है कि शरद पवार के परिवार में राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से परिवारिक टूट तय है। शरद पवार निश्चित रूप से अनुभवी और कद्दावर नेता है। तत्कालिक रुप से एनसीपी के विधायकों को साथ में रखते हुए दिखायी दे रहे हैं लेकिन विधानसभा के अन्दर जब बहुमत सिद्ध करना होगा उस समय विधायक साथ रहेंगे ऐसा कहना आसान नहीं है। भाजपा का कामयाबी के पीछे कांग्रेस एनसीपी ही जिम्मेदार है। महीने भर से जिस तरह से सरकार बनाने को लेकर बैठके और नाटकबाजी चल रही है उससे लग रहा था कि पर्दे के पीछे सियासत कुछ और ही चल रही है। उच्चतम न्यायालय में शिवसेना, एनसीपी कांग्रेस ने याचिका दायर की है जिसके सुनवाई अवकाश के दिन रविवार को हो रही है। न्यायालय का निर्णय क्या होगा इस पर महाराष्ट्र के सियासत का भविष्य टिका हुआ है। न्यायालय ने फ्लोर टेस्ट के लिए अगर ज्यादा समय दिया तो स्थितियां बीजेपी के पक्ष में हो सकती है क्योंकि समय मिलने पर विधायकों के जोड़-तोड़ और खरीद फरोख्त का अवसर भाजपा को मिल सकता है। अगर 24 घंटे के अन्दर फ्लोट टेस्ट का निर्णय होता है तो विधानसभा में भाजपा को बहुमत सिद्ध करना बहुत आसान नहीं होगा। स्थितियां कुछ भी हो लेकिन महाराष्ट्र की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि सियासत में कोई किसी का सगा नही होता।