डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता
जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अयोध्या केस में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। यह याचिका मौलाना सैयद अशद रशीदी की ओर से दायर की गई है, जो अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष के 10 याचिकाकर्ताओं में से एक हैं। बताया जा रहा है कि शाम पांच बजे जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।
जमीयत की कार्यकारी समिति ने 14 नवंबर को पांच सदस्यों का एक पैनल गठित किया था जिसमें कानूनी विशेषज्ञ और धार्मिक मामलों के विद्वानों को शामिल किया गया था। इस समिति का गठन उच्चतम न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले के प्रत्येक पहलु को देखने के लिए किया गया था।
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी की अगुवाई में इस पैनल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली पुनर्विचार याचिका की संभावनाओं को देखा और सिफारिश की इस मामले में समीक्षा याचिका दायर की जानी चाहिए।
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष (अयोध्या मामले में) पुनर्विचार याचिका दायर नहीं कर रहे हैं। हमने समीक्षा याचिका तैयार की है और हम इसे 9 दिसंबर से पहले किसी भी दिन दायर कर सकते हैं।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अयोध्या मामले को लेकर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अयोध्या मामले में पुनर्विचार याचिका की बात करने वाले लोग बिखराव और टकराव का माहौल पैदा करने की कोशिश में हैं लेकिन समाज इसे स्वीकार नहीं करेगा।उन्होंने यह भी कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद अयोध्या का मुद्दा अब खत्म हो गया है और इसे अब उलझाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए क्योंकि देश की शीर्ष अदालत ने सर्वसम्मति के फैसले में इस मामले को हल कर दिया है।
आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड और जमीयत-ए-उलेमा-ए-हिंद की ओर से अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले की समीक्षा का फैसला दोहरे मानदंड का परिचायक है।हिंदुओं और मुस्लिमों को अब इस मसले से ऊपर उठ कर अर्थव्यवस्था मजबूत करने में जुट जाना चाहिए। ध्यान रहे कि श्री श्री सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या मसले पर गठित मध्यस्थता समिति के भी सदस्य रहे हैं।