राजेन्द्र द्विवेदी
केंद्र हो या प्रदेश सभी सरकारों का ऐसा भरोसा है कि अगर शराब की दुकान खोल दी जाए तो पियक्कड़ों से डूबती हुई अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी। इसीलिए कोरोना वायरस के सभी नियम कानून को तोड़ने में शराब की दूकान खोल कर सरकारें खुद पहल कर रही है। देश में आबकारी का कुल राजस्व मात्र ढाई लाख करोड़ है। इस राजस्व को बढ़ाने के लिए सरकारों ने 70-70 प्रतिशत तक कीमतें बढ़ा दी है। सरकार को लगता है कि पियक्कड़ों अपना घर-द्वार, बीवी के जेवर, जायदाद, मेहनत की कमाई सभी को दारू खरीदने में झोक देंगे। जिससे राज्यों की अर्थव्यवस्था सुधर जाएगी। इसमें सबसे आगे दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल रहे उन्होंने शराब पर 70 प्रतिशत कीमत बढ़ा दी। उन्हें लगा कि जिस तरह से पियक्कड़ों की हज़ारों हज़ार भीड़ जान की प्रवाह किये बिना दारू खरीदने पर टूट पड़ी है उससे कीमतें बढ़ा कर लूट लो। वास्तविकता यह है कि देश में मात्र ढाई लाख करोड़ शराब से आमदनी होती है जिसमे उत्तर प्रदेश से शराब से आय 26000 करोड़, महाराष्ट्र 24000 करोड़, कर्नाटक 20000 करोड़, बंगाल 11874 करोड़, पंजाब 6000 करोड़, मध्यप्रदेश 9000 करोड़, दिल्ली 5500 करोड़, राजस्थान 7800 करोड़, तेलगांना 21500 करोड़ रुपये और इसी तरह से अन्य राज्यों से भी शराब बिक्री से आय होती हैं। यहां एक चौकाने वाला आंकड़ा और भी है देश में दवाओं से ज्यादा शराब की दुकाने हैं। दवा की डिस्ट्रीब्यूटर्स की मात्र 10271 जबकि शराब के 72000 डिस्ट्रीब्यूटर्स हैं। दवा की रिटेल दुकाने 102907 है जबकि शराब की 6 लाख से अधिक है। अगर उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर जनपद को देखें तो देशी शराब की 341 विदेश शराब की 221, बियर की 169 तथा मॉडलशॉप की 10 दुकाने हैं। इसी तरह नोएडा में 115 विदेशी, 214 देशी और 129 बियर की दुकाने हैं। इन दोनों शहरों में दवा की दुकानों की संख्या शराब की दुकानों से आधी से भी कम है।
पियक्कड़ों से अर्थव्यवथा मजबूत करने वाले सरकार को बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी सीखना चाहिए। इन दोनों राज्यों में आबकारी पर प्रतिबन्ध है तो यह सरकारें अन्य सरकारों की तुलना में आर्थिक रूप से दिवालिया हैं? पियक्कड़ों से लूट करने वाली सरकार अपने-अपने राज्यों को कोरोना वायरस की मुसीबत में थकेल दिया है। संवेदनहीनता की पराकाष्ठा हो गयी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना को युद्ध घोषित किया है। युद्ध जीतने का सबसे बड़ा हथियार सोशल डिस्टेंसिंग और अधिक से अधिक घर में रहने का है। पियक्कड़ों ने कोरोना की लड़ाई का सबसे बड़ा हथियार सोशल डिस्टन्सिंग एकदम समाप्त कर दिया है। राज्य सरकारें चाहे जितनी तैयारी कर ले। पियक्कड़ों से खजाना बटोरने की ललक कोरोना की तैयारियों पर पानी फेर देगी। सामान्य व्यक्ति और पियक्कड़ों की मनोदशा इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों को समझना चाहिए कि जब सामान्य रूप में हम सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन नहीं करा पा रहे है तो पियक्कड़ों की भीड़ से कैसे करा पाएंगे। एक शराबी सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक और कानून व्यवस्था का मखौल किस तरह से उड़ाता है इसे सभी जानते है। 22 प्रतिशत से अधिक घरेलू हिंसा शराबी करते है। अपराध, लूट, हत्या व अन्य कई तरह के समाजित कुरूतियों में शराबियों का योगदान 27 प्रतिशत से अधिक है आखिर प्रधामंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्यों को पियक्कड़ों से अर्थव्यवस्था सुधारने का अवसर क्यों दिया है जबकि अपने राज्य गुजरात में शराब पर प्रतिबन्ध मोदी ने ही लगाई थी। अगर गुजरात और बिहार में शराब राज्यहित में नहीं है तो अन्य राज्यों में कैसे हो सकती है ?
पियक्कड़ों से धन कुबेर बनने का सपना देश और राज्य सरकारों को बहुत ही महंगा पड़ेगा। पियक्कड़ कोरोना युद्ध के सारे नियम कानून को तोड़ते हुए उसकी धज्जियां उड़ाएंगे। कानून व्यवस्था को बनाये रखने को लेकर पुलिस के लिए चुनौती पैदा कर दी है। तंगी में परिवार को आर्थिक कंगाल बनाएंगे। कंगाल बना कर घरेलु हिंसा करेंगे। ऐसे तमाम, नकारात्मक बिंदु पियक्कड़ों द्वारा सामाजिक, आर्थिक व आपराधिक दृष्टिकोण से खड़े कर देंगे जिसके कारण कोरोना युद्ध जीतना बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी।
उत्तर प्रदेश में शराबियों को करनी होगी अपने जेब और ढीली:
यूपी में योगी सरकार ने अब शराब खरीदना महंगा कर दिया है। यूपी कैबिनेट ने बुधवार को देशी और विदेशी शराब के दामों में 05 रुपये से लेकर 400 रुपये तक की वृद्धि की है। यूपी के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिए गए इस निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शराब के दामों में यह वृद्धि तत्काल प्रभाव से लागू होगी। इससे सरकार को इस साल करीब 2350 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान है।
यूपी के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि मंत्रिमण्डल ने देशी शराब पर मात्र पांच रुपये की वृद्धि के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के बाद से ही प्रदेश में शराब की बिक्री बंद हो गयी थी, लोगों को जब शराब नहीं मिली तो उन्होंने अवैध रूप से बनी शराब पीना शुरू किया और गांव-गांव में अवैध रूप से शराब बनने लगी।
विदेशी शराब पर-
180 एमएल तक 10 रुपये
180 एमएल से 500 एमएल तक 20 रुपये
500 एमएल से अधिक पर 30 की वृद्धि की गई है ।
मीडियम क्वालिटी की शराब
180 एमएल तक 10 रुपये
180 एमएल से 500 एमएल तक 20 रुपये
500 एमएल से अधिक पर 30 रुपये की वृद्धि की गई है।
रेगुलर शराब पर
180 एमएल 20 रुपये
180 एमएल से 500 एमएल तक 30 रुपये
500 एमएल से अधिक पर 50 की वृद्धि की गई है ।
प्रीमियम क्वालिटी की शराब
180 एमएल 20 रुपये
180 एमएल से 500 तक एमएल 30 रुपये
500 एमएल से अधिक पर 50 की वृद्धि की गई है।
विदेश से आने वाली शराब पर सर्वाधिक वृद्धि
180 एमएल की बोतल पर 100 रुपये
180 एमएल से 500 एमएल तक की बोतल पर 200 रुपये
500 एमएल से अधिक की बोतल पर 400 रुपये बढ़ाए गए हैं।