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(Update 12 minutes ago)

आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए श्रम शक्ति को महत्त्व देना जरुरी

राजेन्द्र द्विवेदी

देश को आत्मनिर्भर बनाना है तो श्रम शक्ति को महत्त्व देना होगा। अगर श्रम शक्ति को महत्व नहीं दिया गया तो कोई भी कार्ययोजना कितनी भी बेहतर बनाई जाए आत्मनिर्भर बनना बहुत बड़ी चुनौती होगी।

हिंदुस्तान एक जवान देश है और जवान देश होना ही उसकी सबसे बड़ी ताकत है। 130 करोड़ आबादी में जवानों में एक बहुत बड़ा तबका गरीब कमजोर वर्ग से आता है। इन गरीबी में कोई एक जाति व धर्म विशेष के लोग नहीं हैं। गरीबी, गरीबी होती है और गरीबों की कोई ना जात होती है ना धर्म होता है।

कोरोना वायरस के संकट में जिस तरह से शहरों से गांव की तरफ पलायन हुआ है उसने यह साबित कर दिया है की गांव कितने कमजोर हो गए हैं। आंकड़ों के अनुसार देश में कोरोना वायरस में चौदह करोड़ जो बेरोजगार हुए हैं जिनकी नौकरी गई है चाहे वह दिहाड़ी मजदूर हूं या निजी संस्थाओं में फैक्ट्रियों में कार्य करने वाले मजदूर इनमें 20 से 24 वर्ष के एक करोड़ तीस लाख। 25 से 29 वर्ष एक करोड़ चालीस लाख। 30 से 40 वर्ष के तीन करोड़ और 40 से ऊपर के 3 करोड़ की रोजी रोटी गई है। इनमें से सबसे अधिक युवा उत्तर प्रदेश और बिहार के हैं। उत्तर प्रदेश आबादी के कारण युवाओं की बेरोजगारी में पहले स्थान पर है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ पैकेज की घोषणा की है इस पैकेज को वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन् ने सरकार की नीतियों के अनुसार वितरण किया है निश्चित है आबादी का बोझ अधिक होने के कारण 20 लाख करोड़ का पैकेज से सभी आवश्यकताएं पूरी होगी ऐसा सोचना गलत है लेकिन प्रधानमंत्री ने जिस आत्मनिर्भर भारत की घोषणा की है वह आत्मनिर्भर भारत श्रम शक्ति की महत्त्व देने से ही हो सकता है और इसमें युवा श्रम को काफी अधिक प्राथमिकता देनी होगी।

आजादी के 73 वर्ष बाद भी हम आज श्रम शक्ति को प्राथमिकता नहीं दे पाए। कोरोना वायरस ने आज देश और सरकारों को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है कि श्रम से ही मजबूत भारत और आत्मनिर्भर भारत बन सकता है। पैसे आपके पास चाहे जितने हो लेकिन श्रम ही ऐसा है जो आप के जीवन में सुख सुविधा दे सकता है। घर में सफाई ड्राइवर, फैक्ट्रियों में उत्पादन ऑफिसों में कार्य सड़क भवन निर्माण से लेकर कदम कदम पर श्रम ही जीवन और विकास का आधार है।

सोचे आखिर श्रम करने वाले श्रमिक कौन है और श्रमिकों की हालत क्या है ? कोरोना वायरस में श्रम और श्रमिकों के महत्व को बता दिया है केंद्र व प्रदेश सरकार है चाहे जितने बड़े-बड़े पैकेज की घोषणा करें। छोटे बड़े लघु कुटीर सभी तरह के उद्योगों को करोड़ों करोड़ों रुपए दे दे लेकिन जब तक श्रमिक नहीं होंगे ? क्या यह पैकेज उत्पादन में बदल पाएगा ? आज जिस तरह से श्रम और श्रमिकों को अपमानित किया गया उनकी वेदना पीड़ा पर सरकारों ने सियासत की है अगर यही नीति और नियत तथा सियासत सरकारों के बीच होती रही तो आप निर्भर भारत बनाना एक सपना ही होगा। कहने से आत्मनिर्भर नहीं होते आत्मनिर्भर बनने के लिए साधन और माध्यम जब तक एक साथ मिलकर कार्य नहीं करेंगे तब तक आत्मनिर्भर होना संभव नहीं है।

देश के नौकरशाह और सत्ता में बैठे नेता सभी को मिलकर श्रम शक्ति को महत्त्व देने के लिए सम्मानजनक तरीके से काययोजना बनानी होगी। इसमें युवा श्रम को सबसे अधिक प्राथमिकता देनी होगी क्योंकि युवा ही देश के भविष्य और युवा श्रम शक्ति से ही आत्मनिर्भर भारत बन सकता है। श्रम और श्रमिक हमेशा दुनिया में उपेक्षित रहे हैं लेकिन जिन देशों ने आज कामयाबी हासिल की है उनके इतिहास को देखें तो अनेकों अनेक उदाहरण मिलेंगे किस तरह से श्रम और श्रमिक को महत्त्व देखकर उनकी क्षमता और योग्यता को जोड़कर ही देशों ने प्रगति के मार्ग पर दुनिया में विकसित राष्ट्र होने का गौरव प्राप्त किया है।
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