राजेन्द्र द्विवेदी
कोरोना वायरस की लड़ाई में प्रियंका गांधी वाड्रा और योगी आदित्यनाथ के बीच बसों की लड़ाई के बाद अब उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या को लेकर तकरार शुरू हो गई है। योगी आदित्यनाथ का एक वीडियो वायरल हो रहा है इसमें मुख्यमंत्री कहते हैं कि महाराष्ट्र से आने वाले 75% संक्रमित हैं दिल्ली से आने वाले 50% संक्रमित हैं और अन्य राज्यों से आने वाले 30 से 40% संक्रमित है।
योगी का यही बयान प्रियंका के लिए राजनीतिक हथियार बन गया है। प्रियंका का आरोप है कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह से अधिकारियों की मीटिंग में स्वीकार किया है कि संक्रामक बढ़ रहा है और महाराष्ट्र से आने वाले 75%, दिल्ली से आने वाले 50% तथा अन्य राज्यों से आने वाले 30 से 40% संक्रमित हैं। प्रियंका का कहना है कि योगी के अनुसार ही प्रवासी मजदूरों में 10 लाख से अधिक मजदूर संक्रमित है लेकिन सरकार सही आंकड़े नहीं बता रही है। सरकारी आंकड़े पीड़ितों की तुलना में बहुत ही कम है। प्रियंका ने कहा है कि योगी आदित्यनाथ प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या सही बताएं और पीड़ितों के लिए उचित इलाज की व्यवस्था करें। बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूरों के साथ-साथ खाने-पीने रहने की भी व्यवस्था करें। प्रियंका का कहना है कि योगी आदित्यनाथ की सरकार कोरोना वायरस की लड़ाई में पूरी तरह से फेल हो चुकी है। प्रियंका के इस आरोप पर भाजपा ने कांग्रेस की सियासत करने का आरोप लगाया है।
योगी आदित्यनाथ के कोरोना पीड़ितों की संख्या पर किया गया बयान बहुत ही डरावना और चौंकाने वाला है। योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि महाराष्ट्र से आने वाले 75% लोग संक्रमित हैं। दिल्ली से आने वाले 50% संक्रमित है और अन्य राज्यों से आने वाले 30 से 40% लोग संक्रमित है।
मुख्यमंत्री का इस बयान से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश में सरकारी आंकड़े जो दिखाए जा रहे हैं, वास्तविक आंकड़े उससे कहीं ज्यादा हैं अगर सरकारी आंकड़ों को देख ले तो अभी तक जितने प्रवासी मजदूर आए हैं उनमें से मुख्यमंत्री के अनुसार महाराष्ट्र 75%, दिल्ली 50% अन्य राज्यों में 30 से 40% संक्रमित हैं और 35 से 40 लाख प्रवासी मजदूर ट्रेन, बस, पैदल, डीसीएम व तमाम अन्य साधनों से उत्तर प्रदेश की सीमा में आए हैं। मुख्यमंत्री के बयान को आधार बनाया जाए तो उत्तर प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या 10 लाख से अधिक होगी यह सही है कि मुख्यमंत्री दिन रात मेहनत करके प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ कोरोना वायरस से प्रदेश की जनता को बचाने के लिए हर स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। सुबह से शाम तक अधिकारियों के साथ मीटिंग करके जनपदों से सीधे संपर्क कर रहे हैं। 75 हजार से अधिक मेडिकल टीम में जांच में लगी हुई है। यह सब सही है लेकिन जो बात मुख्यमंत्री ने कही है अगर यह सही है तो उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ा संकट अगले जून, जुलाई और अगस्त में आने वाला है क्योंकि यह 3 महीना उत्तर प्रदेश में संक्रामक रोगों के लिए हमेशा चुनौतीपूर्ण और खतरनाक रहा है। ऐसी स्थिति में अगर कोरोना की संख्या मुख्यमंत्री के अनुसार पाई गई तो उत्तर प्रदेश में बहुत बड़ा संकट अगले 3 महीनों में मेडिकल को लेकर पैदा हो जाएगा।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि एल-1, एल-2 और एल-3 कोविड अस्पतालों में बेड की संख्या को इस महीने के अंत तक बढ़ाकर एक लाख की जाए। अधिक से अधिक लोगों की टेस्टिंग करने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनपद में एक टेस्टिंग लैब की स्थापना के कार्य को गति प्रदान की जाए।
उन्होंने कहा कि सभी नॉन कोविड अस्पतालों में संक्रमण से सुरक्षा के सभी उपाय अपनाते हुए इमरजेंसी सेवाओं का संचालन और आवश्यक ऑपरेशन की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। एसजीपीजीआई, केजीएमयू और डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान जैसे प्रदेश के बड़े चिकित्सा संस्थानों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने और मजबूत करने का काम किया जाए।
यूपी में सामने आयी बड़ी लापरवाही, बिना सैंपल लिए ही नौ लोग कोरोना पॉजिटिव
उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में कोरोना टेस्टिंग को लेकर एक बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिले के सरपतहां गांव में संक्रमित अधेड़ की मौत के बाद रविवार को नौ कोरोना पॉजिटिव मिलने की खबर से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। ग्रामीणों का कहना है कि जब सैंपल ही नहीं लिया गया तो रिपोर्ट पॉजिटिव कैसे आ गई। हालांकि सोमवार सुबह सूची जारी कर जिला प्रशासन ने गलती सुधारी। उधर, सीएमओ ने कहा कि संक्रमित मृतक अधेड़ के परिजनों और ग्रामीणों का मंगलवार को सैंपल लिया जाएगा।
भदोही में रविवार को नौ कोरोना संक्रमित मरीज मिले थे। जिला प्रशासन ने गलती से सभी संक्रमितों को सरपतहां गांव का बता दिया, जहां पहले एक कोरोना संदिग्ध अधेड़ की मौत हुई थी। अधेड़ की मौत के बाद उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। इस खबर से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया। मृतक के परिजनों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि घटना के पांच दिन बाद भी अब तक सैंपल नहीं लिए गया तो रिपोर्ट कैसे आ गई। उधर, चूक का एहसास होने के बाद जिला प्रशासन ने सोमवार सुबह सभी नौ संक्रमितों की सूची जारी की, जिसमें लिखा था कि संक्रमित दूसरे गांवों के थे।
सीएमओ संक्रमित अधेड़ की मौत के बाद भी सैंपल नहीं लिए जाने की सूचना से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया। आनन फानन में सीएमओ ने मंगलवार को परिजनों और ग्रामीणों का सैंपल लेने की जानकारी दी। सीएमओ डा. लक्ष्मी सिंह ने बताया कि परिजनों व संक्रमित के अंतिम संस्कार में जाने वाले लोगों का सैंपल मंगलवार को लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि चिन्हित लोगों को एंबुलेंस से सीएचसी सुरियावां भेजा जाएगा।
सरपतहां गांव निवासी अधेड़ की मौत 17 मई की रात मुंबई से घर आते समय मिर्जापुर में हो गई थी। परिजन निजी वाहन से रात में शव घर लाए और अगली सुबह शव का अंतिम संस्कार करने जा रहे थे। शिकायत पर पुलिस ने शव को रोका और कोरोना सैंपल लेने के बाद अंतिम संस्कार के लिए जाने दिया। 21 मई को मृतक की आई रिपोर्ट में वह पॉजिटिव निकला। इसके बाद प्रशासन ने गांव को हॉट स्पाट घोषित कर दिया। लेकिन न तो परिजनों का और न ही अंतिम संस्कार में शामिल लोगों का ही सैंपल लिया गया।