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(Update 12 minutes ago)

पशुपालन विभाग में लूट का टेंडर

राजेन्द्र द्विवेदी

भ्रष्टाचारी कितने दुस्साहसी हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भय नहीं है खुले रुप में सचिवालय में बैठकर मंत्री के कमरे में 9 करोड़ 72 लाख रुपए टेंडर देने के नाम पर ले लिया फर्जी टेंडर जारी कर दिया और टेंडर देने वाले को पुलिस से पकड़ा भी लिया सीबी सीआईडी से जांच भी करा दी। पशुपालन घोटाले से जुड़े प्रकरण को कर देखें और एफ आई आर की प्रति पढ़ें तो लगता नहीं है कि भ्रष्टाचारी किसी भी तरह से योगी आदित्यनाथ से डरते हैं क्योंकि उन्हें अधिकारियों और नेताओं का कहीं ना कहीं संरक्षण प्राप्त है। पीड़ित द्वारा जो एफ आई आर दिखाई गई है उसे आप पूरा पढ़ ले अपने आप पता चल जाएगा कि भाजपा सरकार में भी भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं और किस स्तर से लूट हो रही है
प्रार्थी बंगला नंबर -4, 25 पुरनीता कालोनी बिचोली हप्सी इंदौर मध्य प्रदेश का निवासी है। मेरे पास वैभव शुक्ला निवासी इंदौर और उनके साथ उनके मित्र संतोष शर्मा मेरे निवास स्थान पर माह अप्रैल 2018 में मुझसे आकर मिले और मुझसे पूछा कि आपकी आटा बनाने की फैक्ट्री है। उसका टर्नओवर कितना है। वैभव शुक्ला मेरे छोटे भाई का परम मित्र होकर बहुत बड़े परिवार से है। मेरे द्वारा कंपनी का टर्नओवर बताया गया और उसने मुझे मेरे ऑफिस आने हेतु कैसे चला गया फिर वह मेरे ऑफिस आया तथा मेरी कंपनी के पिछले वित्तीय वर्ष के पूरे पेपर और कंपनी की प्रोफाइल ले ली। फिर कुछ दिनों बाद पुनः मेरे ऑफिस आया और मुझे बताया कि हम लोग लखनऊ एस के मित्तल, उपनिदेशक, पशुपालन से मिले थे और उन्होंने हम लोगों से बताया है कि माननीय मंत्री जी के बहुत खास हैं और बताया कि वो पार्टी हित में गेहूं, आटा, दाल का एक सप्लाई आर्डर आपको दिलवाना चाहते हैं जिसके लिए 3% ऑर्डर मिलने से पहले आपको देना होगा। आपको कुल 292 करोड़ 14 लाख का वर्क आर्डर दिया जायेगा। जिसके लिए 1 वर्ष की अवधि निर्धारित की गई है। यह सब सुनकर मैंने संतोष शर्मा, वैभव शुक्ला से कहा इतना बड़ा वर्क आर्डर पूरा करने में बहुत ज्यादा समय लगेगा तब संतोष शर्मा ने कहा कि यह हम समय अवधि 1 वर्ष से अधिक करवा देंगे। संतोष शर्मा ने कहा कि सारी जिम्मेदारी हमारी है। टेंडर मिलने पर मुनाफे का 60% आपका रहेगा और 40% हमारी कंपनी का रहेगा। इन लोगों की बात से आश्वस्त होने पर मैंने अपनी कंपनी का टर्नओवर के कागजात और प्रोफाइल संतोष शर्मा को दे दिया। कुछ दिनों बाद यह लोग टेडर फॉर्म लेकर आए जिसे पशुपालन विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा जारी किया गया था। इस सादे टेंडर फॉर्म पर मुझसे व मेरी पत्नी के हस्ताक्षर कराने के बाद संतोष शर्मा बोला कि कई सारे टेंडर आने हैं। रेट को देखते हुए बाद में मित्तल साहब दवारा खुद ऐसे रेट भर दिए जायेंगे जिससे कि टेंडर हम लोगों को मिल जायेगा। हम से 3% पैसा देने की तैयारी करने को कहा और एडवांस के तौर पर 1% तुरंत देने को कहा। मैंने वैभव और संतोष की बात पर यकीन करते हुए दिनांक 3-5-2018 को रूपये 50 लाख, दिनांक 18-06 -2018 रूपये 50 लाख एवं दिनांक 07-07-2018 को रूपये 50 लाख पेशगी के तौर पर मित्तल के पास पंहुचा दिया। इसके बाद मैंने व्यवस्था करके 27-07-2018 को रूपये 2 करोड़ वैभव शुक्ल के सुपुर्द कर दिए, जिसे इन लोगों ने मित्तल के कहने पर उसके परिचित अमित मिश्रा को 27-07-2018 को लखनऊ में सुपुर्द कर दिए थे। जिसके बाद वैभव शुक्ला ने मुझे फोन पर बताया कि आपको टेंडर मिल गया है। आप तुरंत लखनऊ आ जाईये। आप से एस0 के0 मित्तल० स्वयं मिलना चाहते है तथा मंत्री जी से मिलवाना चाहते है। मैं दिनांक 31-08-2018 को लखनऊ आ गया जहाँ मुझे वैभव शुक्ला एवं संतोष शर्मा मिले। हम लोग वी0वी0आई0पी0 गेस्ट हाउस के पास से टैक्सी करके बताए अनुसार विधानसभा गेट न 9 पर पहुंचे। हम लोगों के पहुंचने पर गेट पर महजूद चपरासी बिना हम लोगों का पास बनवाये सचिवालय में ले गया तथा एक बड़े से कमरे में बैठे एक व्यक्ति से मिलवाया। जिसके सामने रखी तख्ती पर एस के मित्तल लिखा हुआ था। उस व्यक्ति ने अपना परिचय एस0 के0 मित्तल के रूप में दिया। बातचीत करने के बाद उन्होंने रिसीविंग रजिस्टर वर्क आर्डर लाने के लिए चपरासी को आदेश दिया । चपरासी द्वारा एक वर्क आर्डर व रजिस्टर लाने पर रजिस्टर में मुझसे रजिस्टर्ड में रिसीविंग करा कर वर्क आर्डर कराने के बाद मुझसे शेष धनराशि देने को कहा। इसके बाद बाहर कॉफी हाउस में हम लोगों को काफी चाय पिलाने ले गए। मैंने मित्तल जी से पूछा कि इस वर्क आर्डर में समय अवधि बहुत कम है. आर्डर आपने 31-8-2018 को हमें दिया है और उस पर तारीख 12-06-2018 अंकित की गई है इतनी बड़ी सप्लाई के लिए बैंक लोन लेना पड़ेगा। त्यौहारों की वजह से लेबर आदि की भी समस्या है। जिस पर मित्तल जी ने कहा कि सब कुछ मेरे हाथ में है। थोड़ा जुर्माना करके समय अवधि बढ़ाते रहूंगा। चूकी आज कैबिनेट की बैठक है नहीं तो मैं आपको मंत्री जी से अवश्य मिलाता। मंत्री जी आपसे बहुत प्रसन्न है क्योंकि आपने अपना कमिटमेंट पूरा कर दिया है। आप जल्दी शेष राशि पहुंचा दीजिएगा। इसके बाद मित्तल जी हम लोगों से विदाई लेकर सफारी गाड़ी में बैठ कर चले गए। इस मीटिंग से मैं आश्वस्त हो गया था। अतः शेष 5.50 करोड़ की व्यवस्था करके मित्तल साहब के पास वैभव शुक्ला एवं संतोष शर्मा के माध्यम से कई किश्तों में पहुंचा दिया था। कुछ दिनों बाद मुझे संतोष शर्मा ने फोन करके बताया कि माल सप्लाई करने के लिए एक बड़े गोदाम की आवश्यकता है इसके लिए मित्तल साहब ने आर0 के0 ट्रेडर्स यूपी से गोदाम किराए पर लिए जाने के संबंध में बात किया है। आप 7200000 लाख रुपया उसके खाते में जमा करा दें। तो मैंने संतोष शर्मा के अनुसार दिनांक 25-09- 2018 को रूपये 66000, दिनांक 6-10-2018 को 21,46,000 तथा दिनांक 16-10- 2018 को रूपये 50,00,000 आर0 के0 ट्रेडर्स के अकाउंट में आर0टी0जी0एस0 के माध्यम से ट्रांसफर कर दिए थे। इस प्रकार मैंने मित्तल साहब को अब तक 9,72,12000 रूपये पंहुचा दिए थे। मैंने ऑनलाइन टेंडर को चेक करवाया तो मेरा टेंडर कही प्रदर्शित नहीं हो रहा था। इस पर मैंने वैभव और संतोष को फ़ोन करके बताया कि मेरा टेंडर कहीं प्रदर्शित नहीं हो रहा है। हमे कब से सप्लाई देनी है इस बारे में जल्दी बताओ तो इन दोनों ने हमसे कहा कि में मित्तल साहब से मिलकर आपको वस्तुस्थिति से अवगत कारता हूँ। कुछ दिनों बाद वैभव एवं संतोष हमसे इंदौर में आकर मिले और हमसे कहा कि टेंडर की जांच मित्तल साहब द्वारा कराइ जा रही है। आपको दिनाक 22-11-2018 को सीबीसीआईडी लखनऊ आना पड़ेगा क्योकि निविदा को लेकर शिकायत की गई है। इस लिए आर्डर का वेरीफिकेशन कराया जाना आवश्यक है। आप चिंता बिल्कुल ना करें मित्तल साहब ने सब मैनेज कर दिया है। मैंने नियत तिथि 22-11-2018 को सीबीसीआईडी ऑफिस पंहुचा। जहाँ सिक्योरिटी ऑफिस में रखे रजिस्टर में मेरी एंट्री कराई गयी तथा एक सिपाही मुझे लेकर एस पी साहब के पास पंहुचा, मिलने पर उन्होंने मुझसे पूछा सरदार जी यह आर्डर आपको मिला है। में इसे वेरीफाई कर रहा हूं आपके द्वारा माल की सप्लाई की गई या नहीं। जब मैंने बताया कि मेरे द्वारा कोई सप्लाई नहीं की गई है तो अधिकारी ने डांटते हुए कहा कि आपने सप्लाई की है और उसके बाद मुझसे एक पेपर पर बोल बोलकर कुछ लिखाया गया था मेरे हस्ताक्षर करवाकर यह पेपर रख लिया। मैं यहां से निकल कर सीबीसीआईडी गेट से बाहर आया जहां मित्तल साहब मेरा इंतजार कर रहे थे। मुझे देखते ही पूछा कि वेरिफिकेशन हो गया। मैंने हामी भरते हुए मित्तल साहब को बताया कि एसपी साहब मुझ से सप्लाई कर दी लिखवाकर मुझसे हस्ताक्षर करवाकर कागज अपने पास रख लिया। तब मित्तल साहब ने हमसे कहा कि आप जाइए बाकी बातें वैभव और संतोष आपको बता देंगे। मैं उसी दिन में वापस इंदौर लौट आया। दिनाक 26-12-2018 को वैभव शुक्ला एवं संतोष शर्मा के साथ पुनः एस0 के0 मित्तल से मिला। वा उनसे जल्द ही सप्लाई शुरू करने के लिए कहा। तब मित्तल साहब ने कहा कि ओरिजिनल आर्डर की कॉपी, अपने बिल बुक जो बिना डेट के, और कुछ सप्लाई के एफिडेविट जो दोनों पार्टनर साइन करके तुरंत दे, तभी आपकी सप्लाई चालू की जाएगी। जब मैंने इन चीजों का विरोध किया, तब मित्तल साहब बिले यह देखना हमारा काम है आप इसकी चिंता बिल्कुल मत करो। कुछ दिनों बाद वैभव शुक्ला व संतोष शर्मा इंदौर आकर मुझसे मिले और मुझे बताया कि मित्तल साहब ने हम लोगों को ओरिजिनल वर्क आर्डर, तथा साथ में उन सभी गाड़ियों के नंबर तथा उनके चालकों के नाम को बिल के विवरण में भर कर साथ में लाना। उन सभी बिल के विवरणों पर कोई तारिख ना डाली जाए। आवश्यकतानुसार मित्तल साहब उसे स्वयं भर लेंगे मैंने अपने कर्मचारी लखेंद्र के हाथ ओरिजिनल वर्क आर्डर, व मित्तल साहब के बताए अनुसार सप्लाई के एफिडेविट व बिल वाउचर तथा खाली बिल बुक देकर संतोष शर्मा के साथ लखनऊ भेज दिया। जहां इन लोगों को दिनांक 11-01-2019 को मित्तल साहब मिले। उन्होंने एफिडेविट एवं बिल वाउचर अपने पास रख लिए तथा लखेंद्र व संतोष शर्मा उसी दिन ओरिजिनल वर्क आर्डर के साथ सीबीसीआईडी के एसपी साहब के पास भेज दिया। एसपी साहब ने ओरिजिनल आर्डर देखने के बाद अपने पास यह कहके रख लिया कि अब तुम जाओ मैं इसकी जांच करके आपको अगली तारीख को बुलाता हूं। रुपए 9,72,12000 का भुकतान हो जाने के बाद मेरे द्वारा बार-बार कहने पर मित्तल जी ने हम लोगों को 30 मार्च 2019 को लखनऊ बुलाया। हम लोग लखनऊ पहुंचकर पिकेडली होटल के पीछे स्थित आयो एक होटल में हम चार लोग रुक गए। वहां से हम लोग बार-बार फोन पर मित्तल जी से संपर्क करते रहे। मित्तल जी बार-बार हम लोगों को आज ही आरटीजीएस से भुगतान करा देने का आश्वासन दो दिनों तक देते रहे। दिनांक 31-03-2019 को जब हम लोगों ने पुनः बात की तो उन्होंने सायं 6:00 बजे फिनिक्स मॉल के सामने पहुंचने को कहा। तब मैं, वैभव शुक्ला, संतोष शर्मा, संतोष का एक मित्र राकेश पोरवाल फिनिक्स मॉल के सामने पहुंच गए। जैसे ही हम लोग पहुंचे तीन गाड़ियों में पुलिस वाले आए और हम चारों को जबरदस्ती गाड़ी में बिठा लिया और बोले कि ज्यादा बोलोगे तो यही गोली मार दूंगा। हम लोग चुपचाप बैठ गए तब यह लोग हम लोगों को थाना नाका हिंडोला पर ले आए और वहां बैठे पुलिस इंस्पेक्टर के सामने हम लोगों को पेश किया गया। जहां हम लोगों को पुलिस वालों द्वारा बहुत धमकाया गया। उनके द्वारा हमारे आईडी प्रूफ ले लिए गए और पूछताछ करने के बाद धमकाते हुए कहा कि अगर दोबारा दिख गए तो तुम लोगों का इनकाउंटर कर देंगे। यह कहते हुए हम लोगों को छोड़ दिया। हम परदेसी अपनी जान बचाकर उसी रात्रि फ्लाइट करके वापस इंदौर आ गए थे। अब जब पूरा यकीन हो चुका था कि मेरे साथ बहुत बड़ी साजिश की गई है तथा मेरी जान को भी खतरा हो सकता है अत मैं व्यवसाई व्यक्ति चुप होकर बैठ गया। काफी दिनों तक मुझे कुछ समझ नहीं आया कि मैं क्या करूं फिर मैंने अपने स्तर से जानकारी कराई तो मुझे पता चला कि जो व्यक्ति मुझसे एस0 के0 मित्तल कह कर मिला था वह वास्तव में आशीष राय नामक जालसाझ व्यक्ति है जिसे अपने साथ मोंटी गुर्जर निवासी जयपुर राजस्थान, रूपक राय निवासी आजमगढ़, संतोष मिश्रा तथाकथित पत्रकार निवासी विकास खंड गोमती नगर लखनऊ, ऐ0 के0 राजीव तथाकथित पत्रकार गोमतीनगर लखनऊ, अमित मिश्रा निवासी फरीदाबाद मूल निवासी अमेठी, उमाशंकर तिवारी निवासी कानपुर नगर, रजनीश दीक्षित निवासी लखनऊ, डी बी सिंह निवासी लखनऊ, अरुण राय जो एक खुंखार अपराधी है वर्तमान में मुंबई में रहता है एवं मुलत: आजमगढ़ का निवासी है। एवं न्यूज़ चैनल 18 के एडिटर पत्रकार अनिल राय के साथ साथ सरकारी तंत्र के धीरज कुमार, निजी सचिव, मंत्री पशुधन, उमेश मिश्रा, कार्यालय राज्य मंत्री, पशुधन एवं अन्य अधिकारी/कर्मचारियों के साथ मिलकर कूटरचित दस्तावेजों को तैयार करके मेरे साथ 97212000 रूपये की ठगी गई है। मुझे यह भी जानकारी मिली है इसके द्वारा इसी प्रकार और भी ठगी की गई है। महोदय से निवेदन है कि मेरी प्रथम सूचना रिपोर्ट लिख कर आवश्यक कार्रवाई करने की कृपा करें।

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