News Updates

(Update 12 minutes ago)

विज्ञापनों और प्रचार पर करदाताओं के पैसे का खुलेआम दुरूपयोग कर रही दिल्ली सरकार

विजय शंकर पाण्डेय

मैंने कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रमुख के रूप में कार्य किया है। इस दौरान मुझे एक भी ऐसा कोई एक भी उदाहरण याद नहीं है, जब केवल मुख्यमंत्रियों के चेहरे को बेवजह प्रचारित करने के लिए विज्ञापन जारी किया गया हो।
उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों के बीच अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को विज्ञापनों से पाटने की होड़ सी लग जाती है। इसमें कुछ भी गलत या अनैतिक नहीं है, लेकिन करदाताओं के पैसों का इस्तेमाल निजी प्रचार के लिए बेशर्मी से बर्बाद करना गलत है।
देश की कई राज्य सरकारों ने भी अब ऐसे लोगों के नक्शेकदम पर चलना शुरू कर दिया है जो बेशर्मीपूर्वक खुद के प्रचार में लगे रहते हैं और यह लोग इस धंधे में सबसे आगे भी हैं।
हाल ही दिल्ली के मुख्यमंत्राी अरविंद केजरीवाल ने एक ऑडियो और वीडियो के माध्यम से प्रचार अभियान शुरू किया है, जिसमें उन्होंने दिल्ली की दो करोड़ जनता को 5 नवंबर की शाम 7 बजे दिवाली पूजा के लिए आमंत्रित किया है। इस पूजा में वह और उनकी सरकार की पूरी कैबिनेट शामिल होगी। अरविंद केजरीवाल के अनुसार इस बेवजह के प्रचार प्रोग्राम का टेलीविजन पर लाइव टेलीकास्ट भी होगा।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि मुख्यमंत्राी अरविंद केजरीवाल ने हर विज्ञापन, हर ऑडियो, हर विजुअल, पोस्टर, बैनर और अखबार के हर विज्ञापन या किसी भी चीज में बड़ी बेशर्मी से अपना चेहरा दिखाने की आदत विकसित कर ली है।
केजरीवाल ऐसा तब कर रहे हैं जबकि दिल्ली में अब वहां का मुख्यमंत्राी सरकार का मुखिया नहीं है और उनके पास सीमित शक्तियां हैं। क्योंकि केंद्र सरकार ने हाल ही में पारित एक कानून के माध्यम से एलजी को दिल्ली सरकार का प्रमुख बना दिया है।

कुछ मुख्यमंत्रियों की ओर से इस तरह का गलत व्यवहार गंभीर सवाल खड़े करता है। व्यक्तिगत गौरव और प्रचार के लिए जनता के धन की इस तरह बर्बादी चिंताजनक विषय है।
सरकार की योजनाओं, नीतियों और कार्यों के प्रचार-प्रसार के लिए हर राज्य में अलग से सूचना एवं जनसंपर्क विभाग बनाया गया है, जो जनता को सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ इनसे होने लाभों के बारे में जागरूक करता है। सरकार के प्रमुख के रूप में मुख्यमंत्राी लोगों को अपनी सरकार के प्रयासों और कार्यों से अवगत कराता है और उसे चुनावी दृष्टि से अप्रत्यक्ष लाभ भी प्राप्त होता है। लेकिन सूचना और जनसंपर्क विभाग कभी भी किसी विशेष व्यक्ति का प्रचार करने और उसे राजनीतिक रूप से स्थापित करने के लिए उस सरकार के अधिकार क्षेत्रा से बाहर जाकर प्रचार करने के लिए नहीं है।
मुख्यमंत्राी केजरीवाल ने दिल्ली के करदाताओं के पैसों की बर्बादी का नया रिकार्ड बनाया है। दिल्ली की हालत यह है कि यदि कहीं पर बिजली का एक खंबा भी लगता है तो लाखों रूपये खर्च कर उसका प्रचार किया जाता है। पूरी दिल्ली में स्ट्रीट लाइट के उद्घाटन, डेंगू के खिलाफ लड़ाई से संबंधित लगाये गये सैकड़ों होर्डिंग में अरविंद केजरीवाल मास्क लगाये हुए दिख जाएंगे। कोरोना संकट के दौरान उन्हें देश भर में लोगों को मास्क पहनने, हाथ धोने और क्या करने और क्या नहीं करने के व्याख्यान देते देखा गया। ये विज्ञापन सभी प्रमुख, राष्ट्रीय और राज्य टेलीविजन चैनलों पर सभी समय और प्राइम टाइम के दौरान लंबे समय तक प्रसारित किए गए थे।
कोई कल्पना कर सकता है कि इन बेकार और फालतू के विज्ञापनों पर कितना भारी पैसा खर्च हुआ होगा। यह सब भुगतान दिल्ली सरकार के खजाने से किया गया, जिसे करदाताओं के पैसों से भरा गया है। एक आरटीआई प्रश्न के जवाब में जानकारी दी गई कि दिल्ली सरकार अपने विज्ञापन पर अपने से पांच से दस गुना आकार में बड़े राज्यों से अधिक पैसा खर्च कर रही है।
मुझे कई वर्षों तक उत्तर प्रदेश के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के प्रमुख के रूप में सेवा करने का अवसर मिला। मुझे एक भी उदाहरण याद नहीं है जब विज्ञापन केवल मुख्यमंत्रियों के चेहरे को बेवजह प्रचारित करने के लिए जारी किए गए थे। नियोजित विज्ञापनों की कड़ाई से निगरानी की गई और यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी तरह से समय-समय पर जारी कानून, नियमों, विनियमों, दिशानिर्देशों के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं होने दिया जाएगा।
हम सभी जानते हैं कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां राज्य सभी धर्मों के प्रति तटस्थ हैं और इसलिए किसी भी सरकार द्वारा किसी विशेष धर्म को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक धन का उपयोग नहीं किया जा सकता है और न ही किया जाना चाहिए। हमारा संविधान देश का सर्वाेच्च कानून है और कोई भी निकाय इससे ऊपर नहीं है।
इसलिए सभी लोक सेवक, चाहे राजनीतिक अधिकारी हों या चयनित नौकरशाही, जो संविधान की शपथ लेकर कार्यालय में प्रवेश करते हैं, उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए कि संविधान के प्रावधानों और भावना के विपरीत चूक या कमीशन के किसी भी कार्य की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। क्योंकि स्थाई नौकरशाही को हमारे संविधान में नौकरी की सुरक्षा प्रदान की गई है और वह संविधान व कानून के प्रावधान का पालन सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है। नौकरशाही द्वारा अपनी जिम्मेदारी में ढिलाई बरतने की कीमत पहले ही देश को बहुत भारी पड़ चुकी है।
यदि अब भी वह अपनी उच्च पदों पर रहकर अपनी नौकरी की सुरक्षा का आनंद लेते हुए अपने हर ओर हरे संविधान व कानून के उल्लंघन पर आंखें बंद रखेंगे तो उन्हें यह भी याद रखना चाहिए कि आज जो बीज वो बो रहे हैं, कल वह भी उसके दुष्परिणाम भुगतेंगे। सार्वजनिक सेवाओं में शामिल होने से पहले हर नौकरशाह आम भीड़ का हिस्सा था और सेवानिवृत्ति के बाद फिर से उसी में शामिल हो जाएगा। इसलिए सार्वजनिक सेवा में रहते हुए आनंदपूर्वक बिताए गये यही दिन बाद में हर गलत कार्य के लिए परेशान करेंगे।
इसलिए सरकारों के बड़े-बड़े असंवैधानिक कार्यों की जांच की जानी चाहिए और हर गलत कार्य पर रोक लगाई जानी चाहिए। हमें इसकी जिम्मेदारी हमसे बाद में आने वालों पर नहीं डालनी चाहिए। देश सभी का है और इसे मजबूत, सुशासित बनाने की जिम्मेदारी सभी की है। हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सरकारें सही मार्ग पर चलें। यही संभलने का समय है। हमारे चारों तरफ दिख रहे गंभीर संकटों के संकेतों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।

(श्री विजय शंकर पाण्डेय, पूर्व सचिव भारत सरकार)

Share via

Get Newsletter

Most Shared

Advertisement