भ्रष्टाचार के दलदल में गहरे डूबे हुए हैं ’नई राजनीति’ के पाखंडी समर्थक

“नई राजनीति” के पाखंडी समर्थक भ्रष्टाचार के दलदल में गहरे डूबे हुए हैं। यह उन लोगों के लिए एक गंभीर झटका है जो तथाकथित ’दिल्ली आबकारी घोटाला’ को एक मिथक साबित करने में लगे थे। आने वाले दिन उन लोगों के लिए अहम होने वाले हैं जो जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। यह गिरफ्तारी एलजी और दिल्ली सरकार के बीच सत्ता के बंटवारे पर सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले द्वारा पैदा किए गए उत्साह को भी कम कर देती है, जिसने केजरीवाल और आप पार्टी के मौजूदा निराशाजनक परिदृश्य को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ काल्पनिक समारोह आयोजित करके घोटाले से ध्यान हटाने का अवसर प्रस्तुत किया था।

विजय शंकर पांडे

अखबारों में छपी खबर के मुताबिक हवाला के जरिए कई करोड़ रुपए गोवा में ट्रांसफर करने के मामले में सीबीआई ने हाल ही में एक समाचार चैनल के मीडिया प्रमुख को गिरफ्तार किया था। कथित तौर पर उक्त समाचार चैनल के मीडिया प्रमुख ने विधानसभा चुनाव में आप पार्टी के प्रचार में मदद की थी। यह खबर श्री केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं द्वारा फैलाए गए झूठ की पोल खोलती है, जिन्होंने दावा किया था कि आबकारी घोटाले में पैसे के किसी भी लेन-देन का जांच एजेंसियाँ पता नहीं लगा पाईं और घोटाले की जांच करने वाली एजेंसियां केवल श्री केजरीवाल को बदनाम करने के लिए ही यह सब जाँच कर रहीं थीं। यह खुलासा इस बात की ओर इशारा करता है कि ’नई राजनीति’ के पाखंडी समर्थक भ्रष्टाचार के दलदल में गहरे डूबे हुए हैं। यह उन लोगों के लिए एक गंभीर झटका है जो तथाकथित ’दिल्ली आबकारी घोटाला’ को एक मिथक साबित करने में लगे थे। आने वाले दिन उन लोगों के लिए अहम होने वाले हैं जो जांच एजेंसियों के निशाने पर हैं। यह गिरफ्तारी एलजी और दिल्ली सरकार के बीच सत्ता के बंटवारे पर सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले द्वारा पैदा किए गए उत्साह को भी कम कर देती है, जिसने केजरीवाल और आप पार्टी के मौजूदा निराशाजनक परिदृश्य को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ काल्पनिक समारोह आयोजित करके घोटाले से ध्यान हटाने का अवसर प्रस्तुत किया था।
यह उत्सव अल्पकालिक और अनावश्यक था क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने वही स्पष्ट किया जो पहले ही कहा जा चुका था, लेकिन हमेशा की तरह श्री केजरीवाल लंबे समय से प्रतीक्षित जीत का दावा करने के लिए आगे बढ़ गए और उन्होंने घोषणा की कि उन्होंने अब दिल्ली के लोगों की सेवा करने के लिए आवश्यक शक्ति हासिल कर ली है। श्री केजरीवाल को यह बताने की जरूरत है कि किस प्रकार शासन करने की तथाकथित पूर्ण शक्तियों के बिना ही उन्होंने कुख्यात दिल्ली आबकारी घोटाले और 40 करोड़ रुपये की लागत से ’शीश महल’ के निर्माण जैसे कई संदिग्ध कार्य कैसे कर लिए ।इसके अलावा उन्होंने 120 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत पर उन्होंने अपने विशाल आलीशान मकान के लॉन के आकार को भी बेशर्मी से बढ़ा लिया ।केजरीवाल की अन्य लंबित इच्छाएँ क्या हैं जो अभी भी तथाकथित नई अधिग्रहीत बेलगाम शक्ति के साथ पूर्ति की प्रतीक्षा कर रही हैं, यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर केवल भविष्य ही देगा। अब केजरीवाल के अंधे भक्तों के लिए भी उनका बचाव करना मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि उन्हें यह अहसास हो गया है कि दिल्ली के आबकारी घोटाले से केजरीवाल की आम आदमी की ईमानदार छवि को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। सीबीआई द्वारा उनसे घंटों पूछताछ किए जाने के बाद इस घोटाले के काले बादल उनपर घिरने लगे। आप नेताओं के साथ ही दिल्ली के मतदाताओं के मोहभंग का बढ़ाने के लिए केजरीवाल के आधिकारिक आवास के नवीनीकरण पर खर्च किए गए धन से संबंधित लगभग 45 करोड़ रुपये के हालिया ’शीश महल घोटाले’ का पर्दाफाश काफ़ी है। इसने केजरीवाल की सादा जीवन, उच्च विचार वाली विचारधारा की सावधानीपूर्वक गढ़ी गई छवि को पूरी तरह से धूमिल कर दिया । जनता केजरीवाल द्वारा किए गए बड़े-बड़े उन दावों को कैसे भूल सकती है जिनमें वह चुने जाने पर अपने ऊपर कम से कम खर्च करने की बात कही थी और कहा था कि वह न तो कभी सरकारी वाहन का उपयोग करेंगे और न ही वह आधिकारिक आवास का उपयोग करेंगे। यह वही केजरीवाल हैं जो दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर एयर कंडीशनर के इस्तेमाल का आरोप लगाया करते थे। अपने पूर्ववर्ती पर सरकारी सुविधाओं के दुरुपयोग का झूठा आरोप लगाने वाले केजरीवाल ने अपने आधिकारिक घर को सुसज्जित करने के लिए 45 करोड़ रुपये खर्च किए।
यह हमारे गणतंत्र के इतिहास में अभूतपूर्व है। केजरीवाल ने अपने आराम के लिए जिस तरह की विलासिता की वस्तुओं का आदेश दिया, वह आश्चर्यजनक है। अतीत के राजा, महाराजा, जिनकी लोगों के प्रति कोई जवाबदेही नहीं थी, वे बेशर्मी से इन प्रचंड विलासिता की चीजों में लिप्त हो सकते थे, लेकिन लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित कोई व्यक्ति नहीं। दर्दनाक कोविड महामारी के दौरान यही केजरीवाल कह रहे थे कि उनके पास अपने लोगों को आपदा से निपटने में मदद करने के लिए पैसे नहीं थे, जबकि चुपचाप और भयावह रूप से वह अपने आधिकारिक घर के लिए महंगे किचन गैजेट्स, लक्ज़री पर्दे, इटालियन टाइल्स आदि आयात करने के लिए करोड़ों रुपये मंजूर कर रहे थे। केजरीवाल जिस तरह की शानदार और भव्य जीवनशैली का वर्तमान में आनंद ले रहे हैं, वह एक लोक सेवक के लिए अशोभनीय है, जो दुनिया के सामने तपस्या करने का नाटक कर रहा था और यह घोषणा कर रहा था कि वह भारत में राजनीतिक संस्कृति को बदल देगा। विडंबना यह है कि उनके अलावा कुछ भी नहीं बदला। भ्रष्टाचार विरोधी अभियान का एक तथाकथित उत्पाद अब एक भ्रष्ट मंडली से घिरा हुआ है। उनके दो पूर्व वरिष्ठ कैबिनेट सहयोगी लंबे समय से सलाखों के पीछे हैं। आबकारी घोटाला स्पष्ट रूप से बहुत बड़ा है। इस भारी लूट से जुड़े इस घोटाले में सरगनाओं की भूमिका को उजागर करने के लिए गंभीर जांच की आवश्यकता है। जांच एजेंसियों को अपनी जांच में तेजी लाने और इस अपराध के मास्टरमाइंड को सलाखों के पीछे डालने की जरूरत है ताकि राजनीतिक सत्ता चलाने वाले सभी लोगों को एक मजबूत संदेश दिया जा सके कि उन्हें अंततः अपने भ्रष्ट कृत्यों के लिए कीमत चुकानी पड़ेगी। जांचकर्ताओं को अनुकरणीय साहस दिखाना होगा जैसा कि उन्होंने बिहार के चारा घोटाले में दिखाया था जब एक मौजूदा मुख्यमंत्री को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था। कई अरब रुपये के दिल्ली आबकारी घोटाले में किए गए अपराधों के लिए जिम्मेदार सभी लोगों के लिए घड़ी की सुई जोर-जोर से चल रही है। कोई भी छल-कपट और पाखंडी विरोध आम आदमी सरकार की चालबाजी पर पर्दा नहीं डाल सकता है। केजरीवाल ने जनता के भरोसे को तोड़ा है। यही उनका सबसे बड़ा अपराध है।

(विजय शंकर पांडे भारत सरकार के पूर्व सचिव हैं)

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