कांग्रेस के चुनाव घोषणापत्र में भाजपा की तुलना में स्थानीय निकायों के सशक्तिकरण पर अधिक जोर दिया गया है
मेरी राय में सबसे महत्वपूर्ण संकल्प स्थानीय सरकार को मजबूत करने के दृष्टिकोण से राजकोषीय स्वायत्तता और स्थिरता सुनिश्चित करने से संबंधित है। जहाँ भारतीय जनता पार्टी ने इसकी कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं की है वहीँ कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता बिल्कुल साफ़ है। वस्तु एवं सेवा कर के एक हिस्से का पंचायत व नगर पालिका को सीधा अंतरण कदाचित राजकोषीय स्वायत्तता करने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण होगा। इसी प्रकार इसे अमली जामा पहनाने के लिए स्थानीय सरकार का समेकित निधि (Consolidated Fund of Local Government) की भी व्यवस्था करनी होगी। इस प्रयोजनार्थ संविधान संशोधन की आवश्यकता की आवश्यकता होगी।
सुनील कुमार
भारत के आम चुनाव में उत्तरोत्तर प्रमुख राजनीतिक दलों के द्वारा चुनावी घोषणा / संकल्प पत्र तैयार कर जारी करने के कार्य को रस्मअदायगी से बढ़कर एक महत्वपूर्ण कार्य के रूप में देखा जाने लगा है। यह परिवर्तन पिछले दो तीन दशक में ज्यादा तेजी से हुआ है और अब इसका अध्ययन गंभीरता से होने लगी है। इसी प्रकार राजनीतिक दल के नेता एवं कार्यकर्ता भी अब गंभीरता से पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र का अध्ययन कर उसके मुख्य बिंदुओं को मतदाता तक पहुँचाने का प्रयास करते हैं। राजनीतिक दलों के द्वारा प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से भी अपने चुनावी घोषणा पत्र के प्रमुख बिंदुओं का प्रचार प्रसार किया जाता है। चुनाव के बाद सत्तारूढ़ पार्टी अपने घोषणा पत्र के वादों के क्रियान्वयन हेतु भी विशेष प्रयास करते हुए देखे जा सकते हैं। यह एक सुखद परिवर्तन है।
2024 के लोकसभा चुनाव में सम्मिलित होने वाले लगभग सभी प्रमुख दलों ने अपना चुनावी घोषणा पत्र जारी कर दिया है। इनका समीक्षकों के द्वारा विश्लेषण भी किया गया है और उन्होंने उन बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया है जो उनकी दृष्टि में ज्यादा लोक-लुभावन थीं और यह उचित भी है। परन्तु कई बार कुछ महत्वपूर्ण बिंदु समीक्षकों की पैनी दृष्टि से भी छूट जाती हैं। कई बार खुद पार्टी के नेता व कार्यकर्ता भी उन बिंदुओं से अनभिज्ञ रहते हैं। उदहारण के लिए शोधकर्ताओं ने पाया कि संविधान के आर्टिकल 370 को हटाने का वादा भारतीय जनता पार्टी अपनी स्थापना के बाद से ही लगातार अपने चुनावी घोषणा पत्रों में कर रही थी। परन्तु उन दिनों वह बहुत बड़ी पार्टी नहीं थी और उसके सांसदों की संख्या भी दहाई में होती थी, इसलिए किसीने इस पर ध्यान नहीं दिया था। जब भारतीय जनता पार्टी के द्वारा आर्टिकल 370 को हटाने का विरोध किया गया तो सत्तारूढ़ दल के नेताओं के द्वारा कहा गया कि यह सदा से उनके चुनावी घोषणा पत्र का हिस्सा रहा है और इसका क्रियान्वयन करना पार्टी का प्राथमिक दायित्व था। इससे यह प्रमाणित होता है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के द्वारा जारी किये गए घोषणा पत्रों को सभी सम्बंधित पक्षकारों, मतदाता सहित, के द्वारा गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है।
इस लेख में भारत के दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों – भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस पार्टी – के द्वारा स्थानीय सरकार के सम्बन्ध में अपनी चुनावी घोषणा पत्रों में किये गए वादों की समीक्षा की जा रही है। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में मात्र दो स्थानों पर पंचायती राज संस्थाओं के बारे में उल्लेख किया है। सबसे प्रमुख संकल्प निम्नवत है – हम पंचायती राज संस्थाओं की राजकोषीय स्वायत्तता और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए और कदम उठाएंगे। इसके अलावा एक अन्य स्थान पर यह कहा गया है कि भारत नेट के तहत 2 लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को अभी तक ब्रॉडबैंड से जोड़ा गया है और बाकी ग्राम पंचायतों को भी ब्रॉडबैंड से जोड़कर हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त 76 पृष्ठ के संकल्प पत्र में और किसी स्थान पर पंचायती राज संस्थाओं अथवा शहरी क्षेत्र में नगर पालिका आदि का कहीं कोई उल्लेख नहीं किया गया है।
इसके विपरीत कांग्रेस पार्टी के 48 पृष्ठों के घोषणा पत्र में ग्रामीण एवं शहरी स्थानीय सरकार के सम्बन्ध में व्यापक और विस्तार से न केवल उल्लेख किया गया है वरन भविष्य में शहरी तथा ग्रामीण स्थानीय सरकार के सुदृढ़ीकरण के लिए किये जाने वाले उपायों का भी स्पष्ट उल्लेख एवं प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है।
सबसे महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता देश की संघीय व्यवस्था (federal system) को मजबूत करने की है। इसमें राज्य सरकार के साथ ग्रामीण तथा शहरी स्थानीय सरकार भी सम्मिलित हैं। वस्तु एवं सेवा कर (GST ) का एक हिस्सा सीधे पंचायत और नगरपालिका को हस्तांतरित करने की व्यवस्था राज्य सरकारों के सहयोग एवं परामर्श से करने का उल्लेख घोषणा पत्र (न्याय पत्र ) में की गयी है। इसके अलावा यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि ७३ वें व ७४ वें संविधान संशोधन के जनक के रूप में कांग्रेस पार्टी यह सुनिश्चित करेगी कि fund, function एवं functionaries का पंचायतों तथा नगरपालिकाओं को वास्तविक अंतरण राज्य सरकारों के द्वारा किया जाये। इसी तरह पूर्वोत्तर राज्यों के जनजाति बाहुल्य ज़िलों में स्वायत्त डिस्ट्रिक्ट कौंसिल (Autonomous District Council) को सुदृढ़ करने का भी वचन दिया गया है। ग्राम सभा की भूमिका तथा अधिकार को सुदृढ़ करने का भी उल्लेख किया गया है। विशेष रूप से पेसा (PESA) अधिनियम, 1996 ; वन अधिकार अधिनियम 2006 तथा भू अधिग्रहण अधिनियम 2013 के क्रियान्वयन में ग्राम सभा की भूमिका और अधिकार को और मजबूत करने की स्पष्ट प्रतिबद्धता व्यक्त की गयी है।
पंचायतों तथा नगर पालिका को ऊर्जा क्षेत्र में सोलर ग्रिड स्थापित कर यथा संभव आत्म निर्भर बनाने और पंचायत स्तर पर रोजगार के नए अवसर सृजित करने की व्यवस्था एक और क्रांतिकारी प्रतिबद्धता है। इस से ग्राम ऊर्जा स्वराज के सपने को साकार करने में सहायता मिलेगी। प्रत्येक पंचायत में एक महिला ‘अधिकार मैत्री’ की तैनाती, आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों, आशा की संख्या में वृद्धि की प्रतिबद्धता भी पंचायतों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती हैं।
शहरी क्षेत्रों में स्थानीय सरकार को मजबूत करने की दृष्टि से मेयर /नगर पालिका अध्यक्ष का पांच वर्ष के कार्यकाल के लिए सीधे चुनाव की व्यवस्था तथा प्रशासनिक, वित्तीय एवं कार्यकारी अधिकारों से लैस करने का संकल्प भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके शहरी निकायों को मजबूत करने की दिशा में दूरगामी प्रभाव होंगे ।
यहाँ पर यह उल्लेख करना उपयुक्त होगा कि कांग्रेस पार्टी के घोषणा /न्याय पत्र में कुल 39 स्थानों पर पंचायत एवं /अथवा नगर पालिका का प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष तौर पर उल्लेख है जो शायद इससे पहले कभी नहीं हुआ है।
मेरी राय में सबसे महत्वपूर्ण संकल्प स्थानीय सरकार को मजबूत करने के दृष्टिकोण से राजकोषीय स्वायत्तता और स्थिरता सुनिश्चित करने से संबंधित है। जहाँ भारतीय जनता पार्टी ने इसकी कोई स्पष्ट व्याख्या नहीं की है वहीँ कांग्रेस पार्टी की प्रतिबद्धता बिल्कुल साफ़ है। वस्तु एवं सेवा कर के एक हिस्से का पंचायत व नगर पालिका को सीधा अंतरण कदाचित राजकोषीय स्वायत्तता करने की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण होगा। इसी प्रकार इसे अमली जामा पहनाने के लिए स्थानीय सरकार का समेकित निधि (Consolidated Fund of Local Government) की भी व्यवस्था करनी होगी। इस प्रयोजनार्थ संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी। यदि इस बिंदु पर दोनों प्रमुख राष्ट्रीय दलों के घोषणा / संकल्प / न्याय पत्र में समानता है तो यह प्रशंसनीय कदम है। लेकिन दोनों घोषणा पत्रों की विवेचना से यह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी के न्याय पत्र में शामिल किये गए बिंदुओं का यदि सही क्रियान्वयन अगले पांच वर्षों में कर दिया जाता है तो भारत में त्रिस्तरीय संघीय व्यवस्था मजबूती के साथ खड़ी हो जाएगी। जरूरत इस बात की है कि इस मुद्दे पर सभी पक्षकारों यथा केंद्र, राज्य, स्थानीय सरकार के जनप्रतिनिधि तथा अधिकारी, सत्तारूढ़ एवं विपक्षी दल एकमत हों और एकजुटता के साथ कार्य करें जो देश के सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त करे।
(लेखक पूर्व IAS अधिकारी हैं। लेख में व्यक्त विचार निजी हैं )