अर्बन मिरर संवाददाता
नई दिल्ली 10 अगस्त: लोक गठबंधन पार्टी (एलजीपी) ने आज कहा कि देश के विकास की संभावनाओं पर हाल ही मैं आई सकारात्मक आईएमएफ रिपोर्ट पर एनडीए सरकार द्वारा मनाई जा रही ख़ुशी सही नहीं है क्योंकि विश्व भर मैं तेल की कीमतों में बढ़ोतरी और बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ जीएसटी संग्रह में स्लीपेज की संभावना के चलते देश की अर्थव्यवस्था के बारे में सरकार को अत्यधिक सजग रहने की जरूरत है । एलजीपी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी खतरे से पूरी तरह से बाहर नहीं आपाई है और वस्तुओं और सेवाओं कर (जीएसटी) के बिना पूरी तैयारी के लागु किये जाने और नोटेबंदी के नकारात्मक प्रभाव से देश की अर्थव्यवस्था को उबरने में अभी और समय लगेगा ।
पार्टी के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि आईएमएफ ने 7.5% की वृद्धिदर के दौरान 5.2% की मुद्रास्फीति दर में वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त की जो भारतीय रिज़र्व बैंक के 4% के लक्ष्य से ऊपर है और इसलिए मौद्रिक नीति के तंग होने की उम्मीद है। प्रवक्ता ने कहा कि उच्च वृद्धि दर की संभावनाओं के बावजूद आईएमएफ ने स्पष्ट रूप से जोर दिया है कि “बाहरी वैश्विक तेल की कीमतों और कठिन वित्तीय स्थितियों के साथ-साथ घरेलू वित्तीय कमजोरियों जैसे बाहरी कारकों से होने वाले जोखिम अभी भी विद्यमान हैं ।” प्रवक्ता ने कहा कि देश को अभी भी असंख्य मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है जिन्हें ठीक से संबोधित नहीं किया गया है। आईएमएफ की भविष्वाणी के बारे में प्रवक्ता ने कहा कि यह अतीत में भी सटीक नहीं रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि फरवरी 2017 में, पिछले साल के आकलन के दौरान, आईएमएफ ने कहा कि 2016-17 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 2016-17 में 6.6% और 2017-18 में 7.2% होगी। लेकिन यह 2016-17 में 7.1% और पिछले वित्त वर्ष में 6.7% पर बंद हुआ।
प्रवक्ता ने कहा कि खराब ऋण संकट, नवंबर 2016 में उच्च मूल्य मुद्रा नोटों पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिशाहीन निर्णय और नए सामान और सेवाओं कर (जीएसटी) के खराब तरीके से लागू किये जाने के कारण देश में काफी हद तक मंदी के हालात पैदा हो गए । प्रवक्ता ने कहा कि इन सभी कारकों ने अतीत में विकास दर को 6% से नीचे धकेल दिया है। प्रवक्ता ने कहा कि मौजूदा स्थिति में आईएमएफ अनुमानों के लिए उत्साह दिखाना अजीब है। यह बताते हुए कि मुद्रास्फीति प्रवृत्ति निरंतर जारी है, प्रवक्ता ने कहा कि बैंक ऋण दरों में हालिया वृद्धि और मेगा पीएनबी घोटाले के उजागर होने के कारण निजी निवेश में वृद्धि भी मंद होने लगी है । एलजीपी ने कहा कि आर्थिक और राजकोषीय नीतियों को तत्काल सही करने की जरुरत है और देश के करोड़ों लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए ईमानदारी, पारदर्शिता के साथ सर्वत्र व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए तत्काल कड़े कदम उठाए जाने की जरूरत हैं।