प्रचार के लिए राहुल ने अपनाया मोदी का फार्मूला

राजेन्द्र द्विवेदी

देश में मीडिया एन0डी0ए एवं यू0पी0ए और तीसरे मोर्चे में बँटी है। कुछ छोटे और वरिष्ठ पत्रकार जो किसी मीडिया हाउस से नहीं जुड़े है। निष्पक्ष लिखने और कहने का प्रयास कर रहे हैं। वर्त्तमान में मीडिया सरकार को ज्यादा महत्व दे रही है। यह सही भी है कि बिना सरकारी मदद के कोई भी मीडिया ग्रुप चल नहीं सकता। सरकारें भी इस कमजोरी को जान गयी है और अपने शर्तों पर मीडिया हाउस की मदद करती हैं। स्वाभाविक है केंद्र में भाजपा की सरकार है नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। प्रधानमंत्री की बात प्रमुखता से प्रकाशित की जाएगी और राहुल गाँधी को महत्व नहीं मिल पायेगा। राहुल गाँधी ने इस कमजोरी को पहचानते हुए मोदी के फॉर्मूले पर चलने की रणनीति अपनाई है प्रधानमंत्री की तरह विदेशी दौरे में सरकार, संघ और मोदी पर तीखे हमले तथा विवादास्पद बयान देते है जिसकी देश में खूब प्रतिक्रिया होती है। भाजपा और मोदी टीम राहुल के बयान पर आक्रामक हो जाती है और यही राहुल की सफलता मानी जाएगी। इसलिए तीन दिनों से राहुल गाँधी विदेश में विभिन्न कार्यकर्मों में शामिल होकर संघ, मोदी सरकार और 1984 दंगे पर बयान देकर खूब चर्चा में हैं। राहुल गाँधी के बयान पर 24 घंटे लगातार चैनलों में डिबेट चल रहें है और प्रिंट मीडिया में लीड- बैनर खबरें प्रकाशित हो रही हैं। हर बयान पर भाजपा, संघ और सरकार सयुक्त रूप से मीडिया के माध्यम से राहुल गाँधी पर हुमला कर रहे हैं और देश को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि राहुल गाँधी विदेश की धरती पर देश का अपमान कर रहे हैं। कांग्रेस भी ऐसे ही हमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेशी दौरे पर दिए गए बयानों पर करती रही है। अब तो यहाँ तक कहा जाने लगा है कि अगर विपक्ष, विशेष कर राहुल गाँधी को मीडिया में व्यापक प्रचार-प्रसार पाना है और मोदी सरकार के खिलाफ जनता तक अपनी बात पहुचानी है तो उन्हें लगातार विदेश की धरती से ही मोदी पर हमला करना चाहिए क्योकि जब देश में बयान देंगे तो मीडिया उतना महत्व नहीं देगी। इसलिए यह कहा जा सकता है कि प्रचार के लिए राहुल ने जो फार्मूला अपनाया है और विदेश की धरती पर मोदी सरकार पर हमला कर रहे वो एक तरीके से सफल रणनीति मानी जा सकती है।

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