अर्बन मिरर समवाददाता
नई दिल्ली 27 अगस्त: लोक गठबंधन पार्टी (एलजीपी) ने आज कहा कि लगभग एक साल के अंतराल के बाद भी उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु सरकारें सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के शीघ्र निपटान के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने में नाकाम रही हैं। । एलजीपी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल इन अदालतों की स्थापना के लिए निर्देशित किया था लेकिन इन दो राज्यों ने अब तक निर्देशों का पालन नहीं किया है। एलजीपी ने एनडीए सरकार द्वारा तय की गई 12 ऐसी अदालतों की स्थापना के लिए अपनी मांग को दोहराया लेकिन कहा कि इन अदालतों की संख्या इतनी कम है कि इस खतरनाक समस्या को हल करने में मदद के लिए प्रत्येक मंडल मुख्यालय में इन मामलों को जल्दी निपटने के लिए अदालतें स्थापित होना चाहिए।
पार्टी के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि देश भर में इन मंडल मुख्यालयों में इस तरह की अदालतों की स्थापना के साथ हाई समस्या की विशालता और इन आपराधिक मामलों मैं लापरवाही ना हो इसके लिए इन मामलों में समय-समय पर जांच और परीक्षण होना चाहिए। । प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय हित के इस बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे के लिए केवल 12 अदालतों का उद्घाटन बिल्कुल अपर्याप्त है और त्वरित परीक्षण के उद्देश्य को पूरा नहीं करेगा।
प्रवक्ता ने कहा कि लोक गठबंधन पार्टी के एक समर्थन समूह, भारत पुनरोथान अभियान (आईआरआई) ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के जल्दी निपटारे के लिए शीर्ष अदालत में 2011 में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर किया था। प्रवक्ता ने कहा कि एलजीपी ईमानदारी, पारदर्शिता और सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है, और लंबे समय से राजनीति से अपराधियों को बाहर निकालने के लिए लड़ रहा है, जिसने देश में खतरनाक आयाम ग्रहण किया है।
प्रवक्ता ने कहा कि पिछले कुछ सालों में माफियाओं और अपराधियों ने गुण्डागर्दी और राजनीतिक संरक्षण के मिश्रण के माध्यम से सार्वजनिक जीवन में पकड़ मज़बूत कर ली है और उनमें से बड़ी संख्या में अपराधी संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रवेश करने में सफल रहे है। उन्होंने धन और बाहुबल की शक्ति के माध्यम से उनके खिलाफ लंबित मुकदमो को रोके रखने में सफलता हासिल की है। प्रवक्ता ने कहा और कहा कि इन घृणास्पद तत्वों से भारतीय राजनीति की तेजी से सफाई करना और देश को लोगों को सर्वांगगीन विकास पथ में ले जाना अनिवार्य हो गया है। प्रवक्ता ने कहा कि राजनीति में प्रचलित माफियोसी भूमिका के परिणाम मंत्रियों, विधायकों, नौकरशाहों और बेईमान व्यापारियों के साथ शासन की प्रक्रिया के बढ़ते अपराधीकरण में दिखाई देते हैं, जो सार्वजनिक धन को लूटने और जनता पर अत्याचार करने के लिए ही कोशिश करते हैं। प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार को भी इस मुद्दे पर साफ होना चाहिए क्योंकि कई सांसदों को हत्या, बलात्कार और अपहरण के भारी आरोपों का सामना करना पड़ रहा है और ऐसे लोग संसद और असेंबली में प्रवेश करने के लायक नहीं थे।