अर्बन मिरर समवाददाता
नई दिल्ली 12 सितंबर: लोक गठबंधन पार्टी (एलजीपी) ने आज देश में खराब एनपीए की स्थिति पर खेल करने का दोषी ठहराते हुए कांग्रेस और बीजेपी दोनों को निंदा की। एलजीपी ने कहा कि पूर्व रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन के खराब ऋण की स्थिति पर संसदीय समिति के सामने जो तथ्य रखे उसको लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि बैंकिंग क्षेत्र की दुर्दशा के लिए दोनों ही बराबर के जिम्मेदार हैं क्योंकि यूपीए सरकार के दौरान स्थिति जहाँ खराब हो रही थी वहीं मौजूदा एनडीए ने दोषी लोगों पर कोई कार्यवाही नहीं किया ।
पार्टी के प्रवक्ता ने राजन की रिपोर्ट से मनमुताबिक़ पॉइंट्स उठाकर एक दूसरे पर वार करने के लिए दोनों पक्षों की आलोचना की। प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों बैंकिंग गड़बड़ी के लिए ज़िम्मेदार हैं और इन दोनो को इस गम्भीर मामले के बारे मैं देश को स्पष्टीकरण देना चाहिए।प्रवक्ता ने कहा कि यदि यूपीए सरकार के दौरान एनपीए की स्थिति खराब हुई तो भाजपा सरकार मैं नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने पंजाब नेशनल बैंक लूट लिया और भाग गए। लोगों को दोनों पक्षों के इस मामले में आचरण के बारे में सतर्क रहने के लिए आगाह करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि देशवासियों को यह जानना है कि बैंक ऋण की लूट को नियंत्रित करने के लिए क्या कार्रवाई की गई है। प्रवक्ता ने कहा कि न तो यूपीए और न ही एनडीए ने राष्ट्रीय बैको द्वारा किए गए वित्तीय अपराधों के खिलाफ कोई कार्रवाई की है ।प्रवक्ता ने कहा कि यूएपी और एनडीए दोनों एनपीए के महत्वपूर्ण मुद्दे पर अपनी अपनी ज़िम्मेदारीयों से बरी नहीं किए जा सकते हैं, जिसने राष्ट्र को आपदा के कगार पर धकेल दिया है।
प्रवक्ता ने कहा कि सरकारी क्षेत्र के बैंक (पीएसबी) लंबे समय से लूटे जा रहे है क्योंकि बढते एनपीए ,जो अब बड़े पैमाने पर कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के कारण दस लाख करोड़ रुपये पार कर चुके हैं , को नियंत्रित करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई है। प्रवक्ता ने कहा कि अब यूपीए और एनडीए वास्तविक मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान संकट राजनेताओं और भ्रष्ट कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ बैंकिंग प्रबंधन के शीर्ष स्तर की प्रत्यक्ष भागीदारी का परिणाम है।
प्रवक्ता ने कहा कि बढ़ते एनपीए और कॉर्पोरेट धोखाधड़ी के बाद पिछले दस वर्षों में बैंकों के पुनर्पूंजीकरण ने गरीब करदाताओं पर भारी बोझ डाला गया है और बैंकिंग में छोटे जमाकर्ताओं के आत्मविश्वास को पूरी तरह से हिला दिया है। प्रवक्ता ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी प्रभावी ढंग से उन्हें नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि इस स्थिति मैं अर्थव्यवस्था के संकट में आने की संभावना है और वित्तीय अव्यवस्था का आयाम इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि देश में हर चार घंटे एक बैंक अधिकारी धोखाधड़ी के लिए आरोपित किया जा रहा है।