अर्बन मीरर समवाददाता
नई दिल्ली, 16 अक्टूबर: लोक गठबंधन पार्टी (एलजीपी) ने आज थोक और खुदरा मुद्रास्फीति सूचकांक को नियंत्रित करने में नाकाम रहने के लिए एनडीए सरकार पर हमला किया जिसने देश में गरीब लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है। एलजीपी ने कहा कि सितंबर 2018 के दौरान थोक मूल्य मुद्रास्फीति (डब्ल्यूपीआई) बढ़कर 5.1% हो गई है, जबकि खुदरा सूचकांक 3.8% था, जिसने एक बार फिर आर्थिक मोर्चे पर सरकार के खराब प्रदर्शन का खुलासा किया है।
एलजीपी प्रवक्ता ने मंगलवार को यहां कहा कि मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी के चलते ईंधन की कीमतों में 16.7% की बढ़ोतरी हुई है। प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2.50 रुपये प्रति लीटर कम करने की हालिया घोषणा के बाद बीजेपी शासित राज्यों द्वारा वैट में इसी तरह की कमी से कोई सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि पेट्रोल की कीमतें फिर से 80 रुपये प्रति लीटर से ज्यादा हो गई हैं। ।
प्रवक्ता ने कहा कि समग्र आर्थिक परिदृश्य गंभीर है क्योंकि देश को अजीब तरीके से बिना तैयारी के लागू किए गए माल और सेवा कर (जीएसटी) के दुष्प्रभाव और ख़राब कार्यान्वयन के सदमे से बाहर आना बाकी है।
प्रवक्ता ने कहा कि मुद्रास्फीति की वर्तमान स्थिति को देखते हुए अगले वित्तीय वर्ष में इसकी गिरावट की कोई संभावना नहीं है और यह 4% से ऊपर जारी रहेगा। विनिर्माण, कृषि, रोजगार उत्पादन और अन्य क्षेत्रों में कम वृद्धि के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार ने देश को पिछले साढ़े चार सालों के दौरान ग़लत आर्थिक नीति का जो तोहफ़ा दिया है उसका ख़ामियाज़ा देश भुगत रहा है और अब आर्थिक विकास को लेकर भ्रामक भ्रामक दावे किए जा रहे हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा अपने सहयोगियों के साथ “अछे दिन ” के वादे को पूरा करने में पूरी तरह से विफल रही और भ्रष्ट यूपीए सरकार से राहत देने का उसका वादा भी बेमानी कहा जाएगा जिसने देश को 10 साल के कुशासन के दौरान देश को धराशायी कर दिया था। प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार वास्तव में सभी प्रमुख मुद्दों पर विफल रही है जिनका लंबे समय से राष्ट्र सामना कर रहा है ।बीजेपी ने नौकरी निर्माण, मुद्रास्फीति, भ्रष्टाचार के अंत, काले धन वापस लाने, सुस्त अर्थव्यवस्था में सुधार लाने, सीमा पर सुरक्षा में सुधार करने का वादा किया था, लेकिन अब तक स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। विभिन्न क्षेत्रों के नौकरी निर्माण रिपोर्टों ने साफ़ संकेत दिया गया है कि एनडीए सरकार इस मोर्चे पर पूरी तरह से विफल रही है क्योंकि बेरोजगार युवाओं में व्यापक निराशा व्याप्त हो गई है।