राजेन्द्र द्विवेदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक आदर्श नेता के रूप मिसाल कायम की है। प्रधानमंत्री देश के पहले नेता है की जिन्हे अपनी सरकार की गलतियों का एहसास है। बार बार अपने सम्बोधन में अपने कार्यकाल की गलतियों को भी शामिल कर लेते हैं। मोदी जैसा बड़ा दिल अगर राजनेताओं का हो जाए तो देश की राजनीतिक कटुता ही समाप्त हो जाएगी। स्वस्थ्य राजनीतिक प्रतिस्पर्धा की शुरुवात हो सकती हैं।
प्रधानमंत्री जब भी सम्बोधन करते है तो कहते है कि 70 वर्षों में देश में विकास कार्य नहीं हुए भ्रष्टाचार अनिमियतता और परिवारवाद का बोलबाला रहा है। प्रधानमंत्री की इस बेबाकी के लिए देश की सवा सौ करोड़ जनता को बधाई देना चाहिए क्योकि 70 वर्षों का कार्यकाल अगर हम 15 अगस्त 1997 की आज़ादी के समय से जोड़े तो यह 70 वर्ष कार्यकाल 15 अगस्त 2017 को पूरा होता है। जिनमें नरेंद्र मोदी का 26 मई 2014 से 15 अगस्त 2017 तीन वर्ष से अधिक का कार्यकाल भी शामिल है।
इन 70 वर्षों के कार्यकाल में जवाहर लाल नेहरू का 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964। 9 जून 1964 से 11 फरवरी 1966 तक लालबहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री रहे। इन्दिरा गांधी 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977 और 14 जनवरी 1980 से 31 अक्टूबर 1984 तक प्रधानमंत्री रहीं। इस बीच जवाहर लाल नेहरू के निधन के बाद 27 मई 1964 से 9 जून 1964 और लालबहादुर शास्त्री के निधन के बाद 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी १९६६ तक 2 बार गुलजारी लाल नंदा कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहे। 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 मोरारजी देसाई, 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 चौधरी चरण सिंह की सरकार रही। 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसम्बर 1989 तक राजीव गाँधी और 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक विश्वनाथ प्रताप सिंह तथा 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक चंद्रशेखर प्रधानमंत्री रहे। 21 जून 1991 से 16 मई 1996 तक कांग्रेस के पी. वी. नरसिम्हा राव प्रधान मंत्री थे। अटल विहारी बाजपेयी 16 मई 1996 से 1 जून 1996 और 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक प्रधानमंत्री रहे। एचडी देवगौड़ा 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997 एवं इंद्रकुमार गुजराल 21 अप्रैल 1997 से 19 जून 1998 तक प्रधानमंत्री थे। मनमोहन सिंह 22 मई 2004 से 26 मई 2014 तक 10 वर्ष प्रधानमंत्री पद पर काबिज़ थे। जवाहरलाल नेहरू और इन्दिरा गाँधी के बाद मनमोहन सिंह ऐसे प्रधानमंत्री है जो 10 वर्ष तक लगातार प्रधानमंत्री रहे। 26 मई 2014 से प्रधानमंत्री पद की कमान नरेंद्र मोदी के हाथों में हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के पिछड़ेपन के लिए बार बार 70 वर्षों का जिक्र करते हैं और यह कहते है कि 70 वर्षों में पूर्व सरकारों में कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री का यह कहना एक आदर्श राजनीतिक का कथन माना जायेगा और देश के राजनीतिक दलों को विशेषकर कांग्रेस और राहुल गाँधी को इससे सबक सीखना चाहिए। प्रधानमंत्री की तारीफ इसलिए की जानी चाहिए कि 15 अगस्त 1947 देश आज़ाद हुआ और 70 वर्षों का कार्यकाल जोड़े तो यह 15 अगस्त 2017 को पूरा होता है। 15 अगस्त 2017 तक 7० वर्ष पूरे होने में नरेंद्र मोदी के पितातुल्य अटल विहारी वाजपेयी का 6 वर्ष कार्यकाल और नरेंद्र मोदी का खुद का 3 वर्ष 2 माह और 20 दिन का कार्यकाल शामिल हैं। इन 70 वर्षों में मोरारजी देसाई, चौधरीचरण सिंह, विश्वनाथ प्रताप सिंह, इंद्रकुमार गुजराल, एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री थे इनका कार्यकाल कम या ज्यादा जरूर था लेकिन इन सभी प्रधानमंत्रियों के सरकार चलाने में भाजपा के नेता भी सहभागी रहे हैं।
70 वर्ष सत्ता में रहने वाले नाकाम प्रधानमंत्रीयों के कार्यकाल
(15 अगस्त 1947 से 15 अगस्त 2017 – में पूरा होता है 70 वर्ष)
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प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार के मंत्री एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सभी कहते है कि 70 वर्षों में देश में कुछ नहीं हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में ही देश का सर्वागीण विकास और विश्व में सम्मान बढ़ा है। 70 वर्षों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री एक बड़ा दिल रखते है। अगर 70 वर्षों के कार्यकाल का दावा सही है तो यह माना जायेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने सरकार के 3 साल की नाक़ामियाँ और अटल विहारी बाजपेयी के 6 वर्ष कार्यकाल की नाक़ामियाँ को भी इन 70 वर्षों में जोड़ते है।
मोदी सही कहते हैं कि 70 वर्षों में जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में चीन से पराजय मिली। इंदिरा गाँधी ने आपातकाल लगाकर तानाशाही रवैया अपनाया विरोधियों को जेल में भेजा। राजीव गाँधी पर सैनिक हथियार बोफोर्स खरीदने में दलाली का आरोप लगा। वी पी सिंह कमंडल का जवाब देने के लिए मंडल लागू किया जिससे देश में जातीय समरसता टूटी। नरसिम्हा राव के कार्यकाल में अयोध्या का विवादित ढांचा टूटा जिससे देश में हिन्दू मुस्लिम भाईचारे में खाई बढ़ी। अटल बिहारी बाजपेयी के समय इंडिया शाइनिंग का व्यापक प्रचार करके जन समस्यायों को दबाने की गलती की। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के 10 वर्ष के कार्यकाल में मंहगाई, भ्रष्टचार, कांग्रेस नेताओ के अहंकार चरम पर थे। इसी तरह गैर कांग्रेस प्रधानमंत्रियों के थोड़े थोड़े समय के कार्यकाल में नाकामियों की एक लंबी सूची है। 70 वर्षों में 67 वर्ष नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक नाकामियों का फेहरिस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गिनाते है लेकिन इस बात के लिए वह बधाई के पात्र है कि अपने कार्यकाल की 3 वर्ष की नाकामियों को भी 70 वर्षों में जोड़ते है इनमें बढ़ती महंगाई, पेट्रोल डीजल के आसमान छूती कीमतें, गुणात्मक रूप से बढ़ती बेरोज़गारी। रुपयों की डॉलर की तुलना में निरंतर गिरावट। कश्मीर में पत्थरबाज़ी की समस्या, मॉब लिंचिंग, महिलाओ के साथ बढ़ते अत्याचार और अनिल अम्बानी को राफेल डील में करोडो रूपये लाभ पहुंचाने के आरोपों को भी 70 वर्षों में शामिल करते है। इन 70 वर्षों में भाजपा शासित राज्यों की नाकामियों भी जोड़ते हैं। इसलिए ऐसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की सवा सौ करोड़ जनता की तरफ से बधाई के पात्र है जो दूसरों के साथ साथ अपनी नाकामियों को भी बड़े बेबाकी से आज़ादी के 70 वषों के कार्यकाल में जोड़ते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार 70 वर्षों में देश में कोई कार्य नहीं हुआ। इन 70 वर्षों का कार्यकाल 15 अगस्त 1947 से 15 अगस्त 2017 में पूरा होता है जिसमे मोदी का भी 3 वर्ष शामिल है।