जनवरी 2019 उच्चतम न्यायालय बनाम भाजपा

अर्बन मीरर समवाददाता

नयी दिल्ली- आने वाल वर्ष जनवरी 2019 में उच्चतम न्यायालय कई महत्वपूर्ण मामले विचाराधीन में है। जिसकी सुनवाई और निर्णय से देश की राजनीति में उबाल आना तय है और इसका सीधा प्रभाव भारतीय जनता पार्टी पर पड़ेगा। देश के समस्त महत्वपूर्ण प्रकरण जो वर्षो से चल रहे है उनकी सुनवाई तिथि जनवरी 2019 है।
राफेलडील, अयोध्या, सबरीमाला, एनआरसी, सीबीआई तथा नेशनल हेरल्ड के बाद अन्य कई महत्वपूर्ण विवादों के सुनवाई तिथि जनवरी में है। राफेलडील पर जिस तरह से राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अनिल अंबानी को लाभ पहुंचाने का सीधा आरोप लगा रहे है मोदी को देश का चैकीदार नही बल्कि चोर कह रहे है। राफेलडील का मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित है। न्यायालय क्या निर्णय करता है इससे सियासत और तेज होगी, अगर राफेलडील की एसआईटी से जाचं कराने का निर्णय होता है तो विपक्ष को भाजपा के खिलाफ बहुत बड़ा हथियार मिल जायेगा क्योंकि राहुल गांधी के तेवर से यही लग रहा है कि लोकसभा चुनाव में राफेलडील एक बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा होगा। उच्चतम न्यायालय के निर्णय से राफेलडील में भाजपा को राहत भी मिल सकती है और चुुनौती भी। अगर डील को सही मान लिया गया और उच्चतम न्यायालय ने मोहर लगा दी तो राफेलडील के विवाद की हवा निकल जायेगी और 2019 में विपक्ष का राफेलडील हथियार बहुत कमजोर हो जायेगा।

अयोध्या विवाद जिसकी तिथि उच्चतम न्यायालय ने जनवरी दिया है। जनवरी में उच्ततम न्यायालय सुनवाई की तिथि निर्धारित करेगा। जिस तरह से पूर्व मुख्य न्यायाधीश ने अयोध्या रामजन्म भूमि विवाद पर सुनवाई की तिथि 29 अक्टूबर 2018 निर्धारित किया था और यह माना जा रहा था कि 29 अक्टूबर से नियमित सुनवाई होगी और चुनाव के पहले निर्णय आ जायेगा। लेकिन वर्तमान मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सुनवाई के लिए जनवरी-2019 की तिथि दिया है। जनवरी में यह निर्णय होगा कि रामजन्म भूमि विवाद पर सुनवाई कब से होगी। 29 अक्टूबर की सुनवाई की तिथि टलने पर पूरे देश में भाजपा सहित साधु-सन्त और रामभक्तों में काफी आक्रोश है सरकार पर दबाव बनाया जा रहा है कि कानून बनाकर मंदिर का निर्माण कराये। 25 नवम्बर को साधु-सन्तों की देश भर में जगह-जगह बैठके होने वाली है। विश्वहिन्दु परिषद और संघ द्वारा 1992 की तरह आंदोलन करने की चेतावनी दी जा रही है। पूरे देश में रामजन्म भूमि मंदिर के विवाद पर भाजपा बनाम गैर भाजपा दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। ऐसे में जनवरी माह में उच्चतम न्यायालय का निर्णय बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। अगर न्यायालय ने नियमित सुनवाई शुरू कर दी तो देश में मंदिर बनाने के पक्ष-विपक्ष में एक नया माहौल बनेगा। अगर सुनवाई की तिथि फिर 29 अक्टूबर की तरह लम्बे टाल दी गयी तो भाजपा के सामने एक नयी चुनौती होगी। भाजपा पर संघ विहिप और भाजपा के नेता सहित देश भर के रामभक्त यह दबाव बनायेगे कि 2019 लोकसभा चुनाव के पहले सरकार कानून बनाकर मंदिर का निर्माण करें क्योंकि भाजपा ने लगातार यह वादा किया था कि जब उत्तर प्रदेश और केन्द्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार होगी तो राममंदिर का निर्माण निश्चित रुप से किया जायेगा। हिन्दु जनमानस का एक बहुत बड़ा तबका राममंदिर निर्माण को लेकर भाजपा का समर्थन किया आज देश में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूर्ण बहुमत की सरकार है और उत्तर प्रदेश में तीन चैथाई के बहुमत से योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार चल रही है। गोरखपुर पीठ जिसके मुखिया योगी आदित्यनाथ ने मंदिर निर्माण के आन्दोलन के अगुवाई करती आ रही है। 1992 के आन्दोलन में गोरखपुर पीठ की भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ऐसे में रामभक्त के रूप में योगी आदित्यनाथ और हिन्दुत्व का कट्टर चेहरा माने जाने वाले नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री है ऐसे में मंदिर का निर्माण न होना भाजपा के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन गयी है। इस चुनौती को भाजपा सरकार किस तरह से हल करेगी यह तो समय बतायेगा लेकिन जनवरी माह में राममंदिर विवाद पर कोर्ट के निर्णय भाजपा सीधे प्रभावित होगी। सबरीमाला मंदिर विवाद भी एक नया रूप लेता जा रहा है जिस तरह से उच्चतम न्यायालय के निर्णय का अपरोक्ष विरोध भाजपा कर रही और महिला श्रृद्धालुओं जिनकी उम्र 50 से कम है मंदिर में दर्शन करने से रोका जा रहा है। ऐसे में यही सवाल उठ रहा है कि अगर न्यायालय ने निर्णय को बहाल रखा तो उसका अनुपालन कराने में भाजपा का की भूमिका में बदलाव होगा। क्योंकि उच्चतम न्यायालय का निर्णय अगर सबरीमाला मंदिर में लागू होने में बाधाएं आ रही है और किसी न किसी तरह से भाजपा निर्णय के विरोध में अपरोक्ष रूप से मंदिर के साथ है ऐसे में उच्चतम न्यायालय के अन्य निर्णय आते है तो क्या भाजपा और गैर भाजपा दल अपने राजनीतिक लाभ-हानि के आधार पर समर्थन और विरोध करेंगे।

एनआरसी की सुनवाई भी जनवरी-2019 में है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय से बंग्लादेशियों को लेकर एक नया राजनीतिक बवन्डर खड़ा होगा। जिसकी आंच आसाम, पश्चिम बंगाल के साथ-साथ उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में आयेगी क्योंकि इन राज्यो में भी काफी बांग्लादेशी रहते है। इस निर्णय से भी भाजपा सरकार को सीधी चुनौती मिलेगी। सीबीआई का विवाद भाजपा सरकार के लिए मुसीबत बना हुआ है सीबीआई के विवादो पर निर्णय जनवरी 2019 में ही आने की उम्मीद है क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने जिस तरह से सीबीआई अधिकारियों के आचरण पर नाराजगी व्यक्त किया है उसे देखते हुए नवम्बर, दिसम्बर में कोई अन्तिम निर्णय होगा ऐसी उम्मीद कम दिखाई दे रही है। इसके अलावा नेशनल हेरल्ड विवाद पर भी निर्णय जनवरी में आने की उम्मीद है यह विवाद भी कांग्रेस के नेतृत्व सोनिया गांधी और राहुल गांधी से जुड़ा है जिसमें दोनों निचली अदालत से जमानत पर है प्रधानमंत्री राफेलडील पर राहुल के आरोप का जबाव नेशनल हेरल्ड विवाद में मां बेटे जमानत पर घूम रहे है। यह कहते है। इसी तरह से अन्य कई विवाद उच्चतम न्यायालय में लंबित है जिनकी सुनवाई की अधिकांश तिथियां 2019 जनवरी से शुरू हो रही ऐसे में यह कहा जा सकता है कि ये वर्ष की शुरूआत जनवरी 2019 बनाम भाजपा का होगा।

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एटीएम अपग्रेड नहीं हुए तो नोटबंदी की तरह बैंकों में लगेंगी कतारें
एटीएम के नियमों में बदलाव करने से जनता को नोटबंदी जैसी समस्या का सामना करना पड़ेगा। हार्डवेयर सॉफ्टवेर अपग्रेड, कैश मैनेजमेंट स्टैंडर व कैश लोडिंग को लेकर जारी किये गए नियम के कारण 2.38 हज़ार एटीएम में से 1.13 हज़ार एटीएम मार्च 2019 तक बंद हो जायेगे। इन एटीएम का अपग्रेड करने पर 3000 करोड़ रूपये खर्च होंगे। अगर सरकार ने समय रहते नए नियमों के तहत एटीएम को अपग्रेड नहीं किया तो जनता को नोटबंदी जैसी समय में हुई परेशानी की तरह समस्या से जूझना पड़ेगा इसका प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक होगा और गरीब व्यक्ति, किसान, छात्र जो अपनी थोड़ी थोड़ी रकम निकालते थे वो नहीं निकाल पाएंगे, बैंकों में पैसे निकालने के लिए लम्बी लम्बी कतारें होंगी जिससे एक बार फिर नोटबंदी की यादें ताज़ा हो जाएंगी। बैंकिंग व्यवथा के जानकारों का कहना है कि केंद्र सरकार जिस तरह से नियमों में बदलाव कर रही है और नए नए नोट ला कर परिवर्तन कर रही है उसके अनुसार बैंकों और एटीएम में सुधार नहीं हो पा रहा है। सरकार ने अगर एटीएम से आने वाली परेशानी को दूर नहीं किया तो यह बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा भी बन सकता है।

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