अर्बन मीरर समवाददाता
नई दिल्ली, 07 मार्च: लोक गठबंधन पार्टी (एलजीपी) ने आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा विवादास्पद राफेल जेट लड़ाकू सौदे की जांच की मांग की है, जिसे एनडीए सरकार सार्वजनिक तौर पर टालने की कोशिश कर रही है। एलजीपी ने कहा कि शीर्ष अदालत में केंद्र सरकार की दलील कि रक्षा मंत्रालय से सौदे के कुछ दस्तावेज चोरी हो गए और मीडिया में लीक हो गए और इसलिए अदालत को इस पर भरोसा नहीं करना चाहिए , कदापि मान्य नहीं है।
पार्टी के प्रवक्ता ने गुरुवार को यहां कहा कि एनडीए सरकार ने इस मामले में अंग्रेजों के जमाने के क़ानून के तहत व्हिसल-ब्लोअर के खिलाफ कार्रवाई करने का जो कदम उठाया, वह न्याय के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करेगा। प्रवक्ता ने कहा कि इस अधिनियम पर न्यायिक नज़र डालने का भी समय है ताकि सरकार किसी भी व्हिसल-ब्लोअर को परेशान करने के लिए इस क़ानून का सहारा न ले सके। प्रवक्ता ने कहा कि राफेल सौदे के मुद्दे पर साफ आने के बजाय एनडीए सरकार इस तरह के हथकंडे से मामले को मोड़ने की कोशिश कर रही है और पिछले महीने मीडिया में सामने आए लीक दस्तावेजों ने सरकार को न्यायिक जांच से बचने के प्रयास करने के बारे में पर्याप्त संकेत दिए थे। प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार का तर्क है कि अदालत को मामले में “चोरी हुए” दस्तावेजों पर ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि मंत्रालय से इन कागजात के गायब होने और सौदे में अनियमितताएं दो अलग-अलग मुद्दों हैं और यह अंतर-संबंधित नहीं हैं और दो नो मामलों का अलग अलग निपटारा होना चाहिए ।प्रवक्ता ने कहा कि अतीत में कई मौकों पर दस्तावेज लीक हुए थे और अदालत ने उनका नोटिस लिया था ।इस बात की ओर इशारा करते हुए कि राफेल सौदा एनडीए सरकार के लिए हर दिन परेशानी पैदा कर रहा है, प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा, ईमानदारी और पारदर्शिता के बड़े हित में लोगों को सौदे में तथ्यों को जानने का पूरा अधिकार है। प्रवक्ता ने कहा कि चूंकि शक की सुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इर्द-गिर्द है, जबकि सौदे में एक कॉरपोरेट घराने को सरकारी खजाने की भारी कीमत पर मौद्रिक लाभ मिल रहा ऐसा आरोप है, इसलिए शीर्ष अदालत को मामले की जांच के आदेश देने चाहिए। प्रवक्ता ने कहा कि यह एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि उच्च स्थानों पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है।