मोदी लहर ने सियासी घरानों की नींव हिला दी। वे अपने दल को तो दूर, घर वालों को भी नहीं बचा पाए। कांग्रेस की नैया पार लगाने के लिए ट्रंप कार्ड के रूप में उत्तर प्रदेश लाई गईं प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी का परचम फहराना तो दूर, भाई राहुल गांधी की नैया भी किनारे नहीं पहुंचा पाईं।
यादव परिवार का भी बुरा हाल हुआ। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पहली ही परीक्षा में बुरी तरह असफल साबित हुए। पिता मुलायम सिंह यादव की सियासी जमीन बचाना तो दूर, वे अपनी पत्नी डिम्पल यादव और भाई अक्षय की फिरोजाबाद व धर्मेंद्र यादव की बदायूं सीट भी नहीं बचा पाए।
वह भी तब, जब उन्होंने बसपा का साथ भी लिया। चौधरी चरण सिंह की विरासत पर राष्ट्रीय लोकदल चलाने वाले चौधरी अजित सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी को इस लोकसभा चुनाव में भी निराशा ही मिली।
इस बार इन सियासी घरानों की पराजय इसलिए ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि भाजपा के खिलाफ सभी एक थे। सपा, बसपा और रालोद घोषित तौर पर जबकि कांग्रेस अघोषित तौर पर। कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और मौजूदा अध्यक्ष राहुल गांधी को जीतने में कोई दिक्कत न हो, भाजपा विरोधी वोटों में बंटवारा न होने पाए, इसके लिए गठबंधन ने रायबरेली और अमेठी में कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था।
बावजूद इसके भाजपा ने रायबरेली में सोनिया गांधी को कड़ी टक्कर दी और अमेठी में स्मृति ईरानी ने राहुल को पटकनी देकर यह भ्रम तोड़ दिया कि गांधी परिवार को पराजित नहीं किया जा सकता। आपातकाल के बाद हुए चुनाव को छोड़ दें तो अमेठी में पहली बार नेहरू-गांधी परिवार के किसी सदस्य को पराजय का सामना करना पड़ा है।
राहुल से पहले संजय गांधी 1977 में हारे थे। स्मृति से पहले भाजपा के संजय सिंह 1998 में अमेठी से जीत चुके हैं लेकिन तब उनके सामने कांग्रेस से कैप्टन सतीश शर्मा थे।
यादव परिवार को बड़ा झटका
चुनाव में यादव परिवार को पारिवारिक कलह का खामियाजा भुगतना पड़ा है। अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह यादव जीते नहीं, लेकिन उनके अलगाव का कहीं न कहीं असर इस चुनाव में दिखाई दिया है। साथ ही मुलायम सिंह की गैरहाजिरी का प्रभाव भी दिखा है।
समाजवादी पार्टी के गठन के बाद संभवत: यह पहला मौका होगा कि जब यादव परिवार अपने कुनबे के लोगों को भी चुनाव नहीं जिता पाया है। वह भी कन्नौज, बदायूं जैसी सीटों से जो इस परिवार की परंपरागत सीटें मानी जाती हैं।
बदायूं से प्रदेश सरकार के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की पुत्री संघमित्रा मौर्य, कन्नौज से भाजपा के युवा नेता सुब्रत पाठक तथा फिरोजाबाद से चंद्रसेन जादौन चुनाव जीते। यादव परिवार से सिर्फ पिता-पुत्र मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ही चुनाव जीत पाए। आजम खां सहित तीन अन्य प्रत्याशी न जीतते तो सपा का आंकड़ा पांच तक भी न पहुंचता।