भारत की चांद पर एक और छलांग, ISRO चंद्रयान-2 सफलता पूर्ण उड़ा

हरिकोटा से दोपहर 2:43 बजे हुई लॉन्चिंग
-बीते 15 जुलाई को ऐन वक्त पर टाल दी गई थी लॉन्चिंग
-3.8 टन वजनी है चंद्रयान-2
-आज से 48वें दिन चांद की सतह पर पहुंचेगा चंद्रयान-2
-978 करोड़ रुपये है चंद्रयान-2 की कुल लागत
-15 मंजिला इमारत जितना ऊंचा है बाहुबली

इसरो के महत्वकांक्षी मून मिशन चंद्रयान- 2 ने दोपहर 2.43 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। बारिश और घने बादलों के बीच चंद्रयान-2 की उड़ान को देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग पहुंचे। जानकारी के अनुसार, अभी तक ‘बाहुबली’ नाम से चर्चित जीएसएलवी मार्क-3 रॉकेट सामान्य तरीके से काम कर रहा है।

चंद्रयान 2 का काउंटडाउन रविवार शाम 6.43 बजे शुरू हुआ और 22 जुलाई 2019 सोमवार दोपहर 2:43 पर लॉन्च किया गया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो (ISRO) के चीफ के सिवन ने बताया कि श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (जीएसएलवी मार्क-3 GSLV Mk III) के जरिये 44 मीटर लंबा और 640 टन का रॉकेट में रखे 3.8 टन का चंद्रयान 2 को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। भारत का दूसरा सबसे महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-2 की लागत 603 करोड़ रुपये है जबकि जीएसएलवी-मार्क-3 रॉकेट की कीमत 375 करोड़ रुपये है। पृथ्वी से चांद की दूसरी लगभग 3.844 किलोमीटर है और जीएसएलवी-मार्क-3 रॉकेट ही चंद्रयान-2 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करेगा, जहाँ से रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम की चाँद की यात्रा शुरू होगी। सितंबर या अक्टूबर तक लैंडर विक्रम चांद पर पहुंचेगा और इसके बाद रोवर प्रज्ञान वहां काम शुरू करेगा। चंद्रयान-2 वास्तव में चंद्रयान-1 मिशन का ही नया संस्करण है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। यह लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा।

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