85 हज़ार करोड़ से ज्यादा घाटे में यूपीपीसीएल

डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता

आईएएस और नेताओ ने बिजली महकमे को बर्बाद कर दिया। नेताओं और अभियंताओं के गठजोड़ के कारण पावर कारपोरेशन में घोटाले ही घोटाले हो रहे है जिसके कारण पावर कारपोरेशन 85 हज़ार करोड़ से अधिक घाटे में पहुंच गया है। किसानों, गरीबों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली देने के नाम पर व्यापक धोखाधड़ी की जा रही है। 90 प्रतिशत बिजली चोरी आईएएस अधिकारी, अभियंता और नेताओं के गठजोड़ से हो रही है। सबसे अधिक बकायेदार आईएएस, उद्योगपति, सरकारी महकमें और नेता ही है। PF जैसे घोटाले बहुत ही छोटे घोटाले हैं। ऐसे कई गुना घोटाले निरंतर हो रहे हैं।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के सयोजक शैलेन्द्र दुबे के अनुसार प्राविडेण्ट घोटाले के विरोध में बिजली कर्मचारियों का प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन दूसरे दिन भी जारी रहा। घोटाले के आरोपी पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को हटाने व गिरफ्तार करने की मांग हुई। प्रान्तव्यापी विरोध सभाओं का क्रम चलता रहेगा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के आह्वान पर आज ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारियों व अभियन्ताओं ने राजधानी लखनऊ सहित प्रदेश के समस्त परियोजना एवं जिला मुख्यालयों पर दूसरे दिन भी जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मांग की है कि पावर सेक्टर इम्पलाइज ट्रस्ट में जमा धनराशि के भुगतान की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार ले और घोटाले के दोषी पावर कारपोरेशन व ट्रस्ट के अध्यक्ष को उनके पद से तत्काल हटाकर गिरफ्तार किया जाये जिससे घोटाले की निष्पक्ष जांच हो सके। संघर्ष समिति ने यह भी ऐलान किया है कि प्रान्तव्यापी विरोध सभाओं का क्रम चलता रहेगा।

संघर्ष समिति ने कहा कि पावर सेक्टर इम्प्लाईज ट्रस्ट के घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश हो रही है और ऊर्जा मंत्रालय ट्रस्ट के भुगतान की जिम्मेदारी उप्र पावर कारपोरेशन पर डालकर पल्ला झाड़ने में लगा है। संघर्ष समिति ने कहा कि यह कहना अत्यन्त हास्यास्पद है कि ट्रस्ट की धनराशि के भुगतान को पावर कारपोरेशन सुनिश्चित करेगी। उन्होंने कहा कि पावर कारपोरेशन खुद 85000 करोड़ रूपये से अधिक के घाटे में है तो उसके मत्थे ट्रस्ट का भुगतान डाल देना केवल गुमराह करने वाला कदम होगा। संघर्ष समिति ने कहा कि वैसे भी पावर कारपोरेशन नियामक आयोग के समक्ष ए आर आर में खर्च का विवरण देता है तो उससे इतर ट्रस्ट के भुगतान की गुंजाइश कहां रह जाती है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऐसा कोई भी प्रस्ताव अस्वीकार्य है और भड़काने वाला है।

राजधानी लखनऊ में आज शक्ति भवन पर सैकड़ों की तादाद में बिजली कर्मचारी व अभियन्ता प्रदर्शन में सम्मिलित हुए और बिजली दफ्तरों में सन्नाटा पसरा रहा। विरोध प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सारे प्रकरण की सीबीआई जांच हेतु प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के प्रति आभार प्रकट किया और मांग की कि निष्पक्ष जांच हेतु जिम्मेदार अधिकारियों विशेषतया पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को उनके पद से हटाकर तत्काल गिरफ्तार किया जाये क्योंकि वे ट्रस्ट के भी अध्यक्ष है और उनके पद पर रहते हुए साक्ष्यों से छेड़छाड़ की सम्भावना है और निष्पक्ष जांच प्रभावित होंगी। उल्लेखनीय है कि ट्रस्ट के माध्यम से कर्मचारियों के जीपीएफ व सीपीएफ की धनरशि गैरकानूनी ढंग से अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक की सूची में न आने वाले डीएचएफएल कम्पनी में निवेश की गयी जिसकी जिम्मेदारी पावर कारपोरेशन व ट्रस्ट के चेयरमैन की होती है। संर्घर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि डीएचएफएल में निवेश करना ही गलत था किन्तु यह निवेश एफडी में किया गया जो और भी असुरक्षित था जिसके लिए चेयरमैन पर कार्यवाही किया जाना नितान्त आवश्यक है।

अनपरा, ओबरा, परीछा, हरदुआगंज, पिपरी, वाराणसी, गोरखपुर, प्रयागराज, बरेली, अयोध्या, मुरादाबाद, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, कानपुर, झांसी, बांदा, अलीगढ़ और आगरा में उत्तेजित बिजली कर्मचारियों ने 03 बजे से 05 बजे तक जोरदार नारेबाजी और प्रदर्शन कर मांग की कि ट्रस्ट में निवेशित धनराशि की जिम्मेदारी सरकार ले।

राजधानी लखनऊ में शक्ति भवन में हुए विरोध प्रदर्शन को संयोजक शैलेन्द्र दुबे, राजीव सिंह, एके सिंह, राम प्रकाश, गिरीश पाण्डेय, सुहेल आबिद, विपिन प्रकाश, मो. इलियास, विजय त्रिपाठी, पी एन तिवारी, परशुराम, करतार प्रसाद, डी के मिश्र, भगवान मिश्र, पूसेलाल, पी एन राय, पी एस बाजपेयी, कपिल मुनि प्रकाश, राम सहारे वर्मा, विशम्भर सिंह, शम्भू रत्न दीक्षित, कुलेन्द्र सिंह चैहान, सागर शर्मा, नितिन शुक्ला, सना उल्लाह खान, के एस रावत, दीपक चक्रवर्ती, कपिल मुनि प्रकाश मुख्यतया उपस्थित थे।

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