अयोध्या विवाद- जानें उसका इतिहास, तब से लेकर अब तक क्या-क्या हुआ?

डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता

सुप्रीम कोर्ट ने संवेदनशील अयोध्या विवाद मामले में शनिवार को फैसला सुना दिया है। भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई (CJI Ranjan Gogoi), जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ , जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर की 5 सदस्यीय बेंच यह फैसला सुनाया।

-सवा सौ साल पहले हुए मंदिर मस्जिद झगड़े के पहले बाबरी मस्जिद के दरवाजे के पास बैरागियों ने एक चबूतरा बना रखा था। 1885 में महंत रघुबर दास ने अदालत से मांग की कि चबूतरे पर मंदिर बनाने की इजाजत दी जाए। यह मांग खारिज हो गई।

-1528: ऐसा माना जाता है कि अयोध्या में मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर के गर्वनर मीर तकी ने करवाया था। इस कारण इसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था।

-1853: इस तारीख का जिक्र सुप्रीम कोर्ट में बहस के दौरान किया गया था कि पहली बार इस विवादित स्थल को लेकर सांप्रदायिक दंगे हुए थे।

-1859: ब्रिटिश शासकों ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी थी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिन्दुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दे दी।

-1885: निर्मोही अखाड़े के महंत रघुबर दास ने राम चबूतरे पर मंदिर निर्माण की अनुमति के लिए मुक़दमा किया था और अदालत से मांग की थी कि चबूतरे पर मंदिर बनाने की इजाजत दी जाये। यह मांग खारिज हो गई थी।

-1946: मस्जिद शियाओं की या सुन्नियों की, इसे लेकर विवाद उठा। बाद में यह फैसला हुआ कि बाबर सुन्नी था, इसलिए मस्जिद सुन्नियों की है।

-1946 में विवाद उठा कि बाबरी मस्जिद शियाओं की है या सुन्नियों की। फैसला हुआ कि बाबर सुन्नी की था इसलिए सुन्नियों की मस्जिद है।

-1949 जुलाई में प्रदेश सरकार ने मस्जिद के बाहर राम चबूतरे पर राम मंदिर बनाने की कवायद शुरू की। लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली।

-1949 में ही 22-23 दिसंबर को मस्जिद में राम सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां रख दी गईं।

-1949 29 दिसंबर को यह संपत्ति कुर्क कर ली और वहां रिसीवर बिठा दिया गया।

-1950 से इस जमीन के लिए अदालती लड़ाई का एक नया दौर शुरू होता है। इस तारीखी मुकदमे में जमीन के सारे दावेदार 1950 के बाद के हैं।

-1950 16 जनवरी को गोपाल दास विशारत अदालत गए। कहा कि मूर्तियां वहां से न हटें और पूजा बेरोकटोक हो। अदालत ने कहा कि मूर्तियां नहीं हटेंगी, लेकिन ताला बंद रहेगा और पूजा सिर्फ पुजारी करेगा। जनता बाहर से दर्शन करेगी।

-1959 निर्मोही अखाड़ा अदालत पहुंचा और वहां अपना दावा पेश किया।

-1961 सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड अदालत पहुंचा। मस्जिद का दावा पेश किया।

-1986 1 फरवरी को फैजाबाद के जिला जज ने जन्मभूमि का ताला खुलवा के पूजा की इजाजत दे दी।

-1986 कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाने का फैसला हुआ।

-1989 वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे का मुकदमा किया।

-1989 नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया।

-25 सितंबर 1990 को बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से एक रथ यात्रा शुरू की। इस यात्रा को अयोध्या तक जाना था। इस रथयात्रा से पूरे मुल्क में एक जुनून पैदा किया गया। इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए। ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए लेकिन आडवाणी को

-23 अक्टूबर को बिहार में लालू यादव ने गिरफ्तार करवा लिया।

-1990 कारसेवक मस्जिद के गुम्बद पर चढ़ गए और गुम्बद तोड़ा। वहां भगवा फहराया. इसके बाद दंगे भड़क गए।

-1991 जून में आम, चुनाव हुए और यूपी में बीजेपी की सरकार बन गई।

-1992 30-31 अक्टूबर को धर्म संसद में कारसेवा की घोषणा हुई।

-1992 नवंबर में कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया।

-लेकिन 6 दिसंबर 1992 को लाखों कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद गिरा दी। कारसेवक 11 बजकर 50 मिनट पर मस्जिद के गुम्बद पर चढ़े। करीब 4.30 बजे मस्जिद का तीसरा गुम्बद भी गिर गया।

-इस घटना के बाद मुख्यमंत्री कल्याण सिंह जिन्होंने अदालत में हलफानामा देकर

मस्जिद की हिफाजत की जिम्मेदारी ली थी, अपनी बाद से पलट गए थे। उन्होंने इस पर फख्र जताया था। कल्याण सिंह ने कहा था, अधिकारियों का कर्मचारियों का किसी रूप में कहीं कोई दोष नहीं। कसूर नहीं, सारी जिम्मेदारी मैं अपने ऊपर लेता हूं। इस्तीफा देता हूं। किसी कोर्ट में कोई केस चलना है तो मेरे खिलाफ करो। किसी कमीशन में कोई इन्क्वायरी होनी है तो मेरे खिलाफ करो।

-2003: हाईकोर्ट ने 2003 में झगड़े वाली जगह पर खुदाई करवाई ताकि पता चल सके कि क्या वहां पर कोई राम मंदिर था।

-2005 में यहां आतंकवादी हमला हुआ लेकिन आतंकवादी वहां कुछ नुकसान नहीं कर सके और मारे गए।

-30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आदेश पारित कर अयोध्या में विवादित जमीन को राम लला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड में बराबर बांटने का फैसला किया जिसे सबने सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया है।

-8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को बातचीत से सुलझाने का फैसला किया और इसके लिए तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति का गठन कर दिया। इस समिति के अध्यक्ष जस्टिस खलीफुल्ला, श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं।

-9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवादित भूमि का मालिकाना हक़ रामलला विराजमान को दिया।

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