गंगा में क्रोमियम बहाने पर एनजीटी ने कानपुर की 122 टेनरियों के खिलाफ कार्रवाई की
गंगा में क्रोमियन युक्त सीवेज गिरने से रोकने में नाकाम यूपी सरकार को लगाई फटकार
राज्य सरकार पर 10 करोड़ का तो यूपीपीसीबी-जल निगम पर एक-एक करोड़ का जुर्माना
एनजीटी ने कहा, पहले भी चेतावनी देने के बावजूद नियमों की अनदेखी की जाती रही है
नगर व देहात में प्रदूषित किया जा रहा है भूमिगत जल, लेकिन सरकार का ध्यान नहीं
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) ने गंगा में प्रदूषण पर सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी ने कानपुर देहात के रनिया और नगर के राखी मंडी इलाके में गंगा में जहरीले क्रोमियम युक्त सीवेज गिरने से रोकने में नाकाम रहने पर उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही प्रदूषण फैलाने वाली 122 टेनरियों पर 280 करोड़ रुपये जुर्माना लगाया है।
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार गंगा में जहरीले पदार्थ गिरने से रोकने में नाकाम रही है। इसके चलते 1976 से अब तक इस समस्या का समाधान नहीं हो सका। वहीं, यहां का भूजल दूषित हुआ और आसपास के निवासियों की सेहत के साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान हुआ है।
यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) को दोषी टेनरियों से जुर्माना राशि वसूलनी चाहिए। जब तक इस रकम की वसूली नहीं होती तब तक सरकार खुद यह रकम ईएससीआरओडब्ल्यू के खाते में हस्तांतरित करे। इसका इस्तेमाल इलाके में पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य के सुधार में किया जाएगा। राज्य सरकार की भी जिम्मेदारी है कि वह दोषी टेनरियों या दोषी अधिकारियों से जुर्माना वसूले।