केंद्रीय कैबिनेट ने आर्थिक सुस्ती से निजात पाने और राजस्व बढ़ाने के लिए सरकारी कंपनियों में अब तक के सबसे बड़े विनिवेश को मंजूरी दे दी है। सरकार ने बुधवार को पांच ब्लू चिप कंपनियों भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया और ऑनलैंड कार्गो मूवर कॉनकोर आदि में अपनी हिस्सेदारी कम करने का फैसला लिया।
आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) की बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पत्रकारों को बताया कि बीपीसीएल में इस समय सरकार की 53.29 फीसदी हिस्सेदारी को बेचा जाएगा और इस कंपनी का प्रबंधकीय नियंत्रण भी खरीदने वाली कंपनी को सौंप दिया जाएगा। हालांकि असम में काम करने वाली सरकारी नुमालीगढ़ रिफाइनरी का विनिवेश नहीं होगा।
कैबिनेट ने शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया में भी सरकार की 63.75 फीसदी हिस्सेदारी को बेचने का निर्णय लिया है। जबकि रेलवे की कंपनी कॉनकोर को भी बेचा जाएगा। इसमें सरकार की हिस्सेदारी 54.8 है।
इसके अलावा टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन और नॉर्थ-ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लि. की पूरी हिस्सेदारी को एनटीपीसी को बेचा जाएगा। उपरोक्त पांचों कंपनियों का प्रबंधकीय नियंत्रण खरीदने वाली कंपनी को मिलेगा।
चुनिंदा कंपनियों में सरकारी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम होगी
सरकार इसके अतिरिक्त चुनिंदा सार्वजनिक उपक्रमों जैसे इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम करेगी। हालांकि इन पर प्रबंधकीय नियंत्रण सरकार का ही रहेगा। इंडियन ऑयल में सरकार की मौजूदा हिस्सेदारी 51.5 फीसदी है। इसके अलावा 25.9 फीसदी हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लि. (ओआईएल) के पास है। सरकार ने 26.4 फीसदी हिस्सेदारी 33000 करोड़ रुपये में बेचने का फैसला किया है।
1.2 लाख टन प्याज के आयात को मंजूरी
कैबिनेट ने 1.2 लाख टन प्याज के आयात को मंजूरी दे दी है। प्याज के बढ़ते दामों पर नियंत्रण लगाने और घरेलू बाजार में अधिक उपलब्धता को लेकर सरकार ने यह फैसला किया। गौरतलब है कि दिल्ली व अन्य शहरों में प्याज 60 रुपये किलो तक बिक रहा है। हाल ही में खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने सरकार द्वारा संचालित एमएमटी के माध्यम से एक लाख टन प्याज आयात करने की घोषणा की थी। इसके साथ ही सरकार ने निजी आयात की भी सुविधा दी है और दिसंबर तक फाइटोसैनेटिक और फ्यूमिगेशन मानदंड में भी छूट दी गई है।
दूरसंचार कंपनियों को राहत, स्पेक्ट्रम भुगतान दो साल टला
कैबिनेट ने वित्तीय संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों को राहत देते हुए उनके लिए स्पेक्ट्रम किस्त का भुगतान दो साल के टालने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा, दूरसंचार कंपनियों को 2020-21 और 2021-22 दो साल के लिए स्पेक्ट्रम किश्त भुगतान से छूट दी गई है । सूत्रों के मुताबिक, सरकार के फैसले से दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और रिलायंस जियो को 42,000 करोड़ रुपये की राहत मिलेगी।