प्रियंका की सियासत से यू.पी. में कांग्रेस और कमजोर हुई

डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता

लखनऊ, । उत्तर प्रदेश में प्रियंका वाड्रा जिस तरह से तानाशाही सियासत कर रही है उससे पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है। कांग्रेस का नेतृत्व नेहरू गांधी परिवार जरूर कर रहा लेकिन जिन वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने अपनी पूरी जिन्दगी पार्टी को समार्पित कर दिया उनकी उपेक्षा से कांग्रेस कमजोर ही होगी। प्रियंका का तानाशाही रूख से पार्टी के वरिष्ठ नेता पूरी तरह से आहत है। पूर्व सांसद संतोष सिंह के यहां 80 से अधिक वरिष्ठ नेताओं ने बैठक करके अपनी उपेक्षा की बात कही थी और सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा था। यह लोकत्रंत में सशक्त और सही प्रक्रिया होती है मतभेद होने पर पार्टी के सभी नेताओं कार्यकर्ताओं को अपनी बात कहने का पूरा अधिकार होता है। इसी अधिकार का प्रयोग नेताओं ने किया लेकिन उनकी भावनाओं का कद्र करने के बजाय उन्हें अनुशासन तोड़ने की नोटिस दे दी गयी। जिससे मामला और बिगड़ता जा रहा है प्रियंका का अहंकार और पति को जांच एजेंसियों से बचाने की भाजपा से मिलीभगत से यह तय हो गया है कि कांग्रेस प्रदेश में बहुत बुरे समय गुजर रही है और आने वाले दिन पार्टी के लिए बहुत बुरा होगा। प्रियंका वाड्रा यह भूल गयी है कि वर्तमान राजनीतिक माहौल में नेहरू गांधी परिवार का करिश्मा खत्म हो चुका है जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण अमेठी संसदीय क्षेत्र में मिली शर्मनाक हार है। जिस तरह से उत्तर प्रदेश में प्रियंका राजनीति कर रही उससे दिखायी दे रहा है कि वह तानाशाह के रूप में पार्टी को समाप्त करना चाहती है। तीन दशक बाद एक अवसर आया था जब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन वापस पा सकती थी लेकिन प्रियंका ने शाजिसन अवसर को गवा दिया। लोकसभा चुनाव के समय राहुल ने प्रियंका को राष्ट्रीय महासचिव बनाने के साथ उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपी। प्रियंका को लांच करने के लिए राहुल गांधी स्वयं लखनऊ आये। पार्टी में जबरदस्त उत्साह था कार्यकर्ताओं को लग रहा था कि प्रियंका वाड्रा कोई करिश्मा करेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रियंका वाड्रा ने अपने पहले लखनऊ आगमन और तीन दिनों तक बैठक के बाद बयान दिया उससे यह लग गया था कि राहुल गांधी ने प्रियंका पर भरोसा करके बहुत बड़ी गलती की है। लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ही मोदी से लड़ रहे थे और कांग्रेस पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी थे। ऐसे में प्रियंका का यह बयान की वह 2019 नही 2022 की तैयारी के लिए पार्टी को मजबूत करने आयी है। प्रियंका का यह बयान यह साबित करता है कि उन्होने राहुल गांधी के खिलाफ जबरदस्त रूप से धोखा किया है। भाई प्रधानमंत्री पद का दावेदारी के लिए लोकसभा का चुनाव लड़ रहा है और प्रियंका 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारी की बात कर रही है। कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं को समझना चाहिए कि आखिर प्रियंका ने लोकसभा चुनाव में ऐसा बयान क्यों किया? आखिर उनकी मंशा क्या थी अगर चुनाव परिणाम का विश्लेषण करें तो प्रियंका के राहुल के खिलाफ साजिश का परिणाम भी अमेठी लोकसभा चुनाव हारने के साथ ही सामने आ गया। प्रदेश में जिस तरह की सियासत प्रियंका कर रही उससे यह लग रहा है कि वह कांग्रेस को मजबूत करने नही राहुल गांधी की सियासत समाप्त करने के लिए राजनीति कर रही है। प्रियंका का करिश्मा समाप्त हो चुका है जिस तरह से प्रदेश कांग्रेस कमेठी का गठन किया पुराने कांग्रेसियों को अपमानित कर रही है उससे यह लग रहा है कि प्रियंका की सियासत अपने भ्रष्टाचार के आरोपी पति रार्बट वाड्रा को बचाने के लिए हो रही है लेकिन वाड्रा जेल जाने से बचेगें कि नहीं यह तो समय बतायेगा लेकिन प्रियंका की सियासत राहुल गांधी कमजोर हुए और कांग्रेस पार्टी सबसे बुरे दिनों में की तरफ बढ़ रही है। समय है कि अगर कांग्रेस को बचाना है तो निष्टावान कांग्रेसियों को एकजुट होकर राहुल के खिलाफ प्रियंका के साजिश को बेनकाब करना चाहिए।

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