मिड डे मील में नया मामला: एक लीटर दूध में मिला दिया बाल्टी भर पानी और बाँट दिया 81 बच्चों में

डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता

सोनभद्र जिले के कक्षा एक से आठ तक के परिषदीय स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को स्वस्थ रखने के लिए सरकार की ओर से मिड डे मील कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके तहत जिले के 2458 प्राथमिक और 654 उच्च प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को सोमवार को फल और बुधवार को दूध दिए जाने की व्यवस्था है। लेकिन यह योजना दुरूह-नक्सल क्षेत्रों के कई स्कूलों में कागजों पर चल रही है। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि चोपन ब्लॉक के एक प्राथमिक विद्यालय में एक लीटर दूध 81 बच्चों में बांटे जाने का आरोप उसी ग्रामसभा के ग्राम पंचायत सदस्य ने लगा दिया है।

वर्ष 2019-20 में राबर्ट्सगंज, दुद्धी और घोरावल तहसील क्षेत्र में संचालित 1804 प्राथमिक स्कूलों में 1,77,028 और 654 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 77,513 विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। सरकार ने परिषदीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों को कुपोषण से दूर रखने और उनका शारीरिक, मानसिक विकास कराने के लिए सप्ताह में एक दिन दूध और एक दिन मौसमी फल देने की योजना शुरू की है।

मेन्यू के अनुसार सोमवार को हर एक बच्चे को एक मौसमी फल और बुधवार को 200 एमएल दूध देने की व्यवस्था की गई है। शासन से हर बच्चे पर कनवर्जन कास्ट के रूप में करीब 6.51 रुपये खर्च किए जाने की व्यवस्था की गई है। इस धनराशि से फल, दूध दिया जाता है।

नक्सल, दुरूह और पहाड़ी क्षेत्रों के काई स्कूलों में माह में एक-दो बार ही बच्चों को फल और दूध दिया जा रहा है। इस बारे में बच्चों एवं अभिभावकों के पूछने पर शिक्षक शादी विवाह का सीजन होने के कारण दूध नहीं मिलने और फल महंगा होने के कारण कम मात्रा में देने की बात कह कर उनको टरका देते हैं। इसकी जानकारी होने के बाद भी संबंधित अधिकारी द्वारा मेन्यू के अनुसार बच्चों को फल और दूध उपलब्ध न कराने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं।

जिले के सुदूर गांवों में खुले परिषदीय विद्यालयों में निर्धारित मेन्यू के अनुसार बच्चों को भोजन नहीं मिल रहा है। इसकी शिकायत अक्सर प्रशासनिक और शिक्षा विभाग से जुड़े अफसरों के पास पहुंचती है और शिकायतकर्ताओं को जांच कराकर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया जाता है। इसके बाद जांच ठंडे बस्ते में चली जाती है। इसकी अगर उच्चस्तीय जांच कराई जाए तो सच्चाई सामने आ सकती है।

पूर्वांचल नवनिर्माण मंच के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष क्रमश: श्रीकांत त्रिपाठी और गिरीश पांडेय ने डीएम से प्राथमिक विद्यालय सलईबनवा में एक लीटर दूध में एक बाल्टी पानी मिलाकर बच्चों को दिए जाने की जांच कराकर कार्रवाई करने की मांग की है।

इन्होंने मांग की है कि विकास खंड स्तर के जिम्मेदार अधिकारी और ठेकेदार पर प्राथमिकी दर्ज कराते हुए बीएसए के खिलाफ भी कार्रवाई की जाए। मंच के संरक्षक रामकृष्ण पाठक और बालकृष्ण पांडेय ने चेतावनी दी है कि तीन दिन में जिला प्रशासन ने दोषियों को दंडित नहीं किया तो सूबे के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दंडात्मक कार्रवाई की मांग की जाएगी।

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