राजेन्द्र द्विवेदी
महाभारत की लड़ाई जीतकर पांडव मृत शैया पर पढ़े हुए भीष्म पितामह से मिलने जाते हैं। श्री कृष्ण भगवान भीष्म पितामह से अनुरोध करते हैं कि पांडवों कैसे शासक बने। राज्य की व्यवस्था बेहतर और न्यायप्रिय हो इसके लिए ज्ञान दें। भीष्म पितामह ने कहा सबसे अच्छा शासक वही होता है जिसका अपना कुछ नहीं होता। देश की जनता उसकी प्राथमिकता और राज्यहित उसका हित होता है। कोई भी शासक अगर अतीत की कमियों में उलझा रहेगा तो वर्तमान में बेहतर और अच्छा शासक नहीं हो सकता। भीष्म पितामह के यह संदेश राज्य में ही नहीं व्यक्ति पर भी लागू होता है।
अपने निजी जीवन में अगर आपको आगे बढ़ना है तो पूर्व की कमियों को छोड़ते हुए वर्तमान में समय काल परिस्थितियों के अनुसार कार्य योजना और मेहनत करते हुए आगे बढ़ सकते हैं। अगर भीष्म पितामह की बात हम वर्तमान परिवेश में देखें तो ईमानदार शासक कोई हो ही नहीं सकता। आज की पूरी सियासत ही अतीत की कमियों और आलोचनाओं पर ही टिकी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर होने का नारा दिया है यह नारा सफलता तभी प्राप्त कर सकता है जब सियासत में ईमानदारी नैतिकता और अतीत की आलोचना करने की प्रवृत्ति समाप्त नहीं तो कम जरूर होनी चाहिए।
यह निश्चित है कि पूर्व की सरकार की खामियों के कारण ही वर्तमान सरकार को बेहतर अवसर मिला। अगर कांग्रेस की सरकार जनता के हितों को देखते हुए इमानदारी से कार्य करती तो भारतीय जनता पार्टी को ऐसा आसान अवसर नहीं मिलता। अवसर मिला ही इसीलिए है कि कांग्रेसी और गैर कांग्रेसी सरकारों ने जन आकांक्षाओं को छोड़कर निजी हितों को प्राथमिकता दी। आजादी के 73 वर्ष मे कोरोना संकट एक ऐसा संकट आया है जिसने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। विश्व का सुपर पावर अमेरिका त्राहिमाम कर रहा है। हमारे देश में भी कोरोना वायरस पांव फैलाता जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लॉकडाउन लागू करके कोरोना वायरस संकट को दूर करने का प्रयास किया। कोरोना वायरस की लड़ाई के लिए सबसे बड़ी बात सोशल डिस्टेंसिग है। यही सोशल डिस्टेंसिंग राजनीतिक दलों के आपसी सियासत ने तोड़ने के लिए गरीबों को मजबूर कर दिया।
लाकडाउन के दौरान अगर केंद्र एवं प्रदेश सरकारों ने मिलकर मजदूरों के हित में उनकी आवश्यकताओं और व्यवहारिक कठिनाइयों को देखते हुए कार्य किया होता तो प्रधानमंत्री का लॉकडाउन शत प्रतिशत सफल होते हुए कोरोना वायरस की कमर तोड़ देता। दुर्भाग्य से ऐसा नहीं हुआ प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर भारत बनाने की मुहिम शुरुआत की है यह एक ऐसा सपना है जिसे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने आजादी के पहले ही देखा था और उन्होंने अपने ग्राम स्वराज की अवधारणा में आत्मनिर्भर भारत बनेगा लेकिन शहरों के विकास के कारण गांव वाला भारत नहीं बन पाया।
कोरोना वायरस ने आज सरकार को गांधी के गांव वाले भारत की तरफ जाने के लिए मजबूर कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का जो संकल्प किया है उस संकल्प को पूरा करने के लिए उन्हें भीष्म पितामह के उस संदेश को जरूर अपनाना चाहिए जिसमें अतीत की कमियों को देखने के बजाय वर्तमान में पार्टीहित व्यक्तिगत हित और मित्रहित छोड़कर जनहित एवं राष्ट्रहित में आगे बढ़कर इमानदारी से निर्णय करना चाहिए। भीष्म पितामह ने यह भी कहा था सत्ता आती है चली जाती है लेकिन शासक ने शासन कैसे किया है वह इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ईमानदार अनुभवी और कड़े फैसले लेने वाले नेता के रूप में जाने जाते हैं। वर्तमान कोरोना संकट देश के सामने बहुत बड़ी चुनौती है जिसने नए भारत के निर्माण के लिए जनता और सरकारों को अवसर भी दिया है मोदी के बारे में यह माना जाता है संकट को अवसर में बदलने की बेहतर क्षमता है और उन्होंने समय-समय पर इसे प्रमाणित भी किया है इसीलिए वह देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं। कोरोना वायरस संकट मोदी के लिए एक अग्निपरीक्षा है आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प पूरा करना एक चुनौती है लेकिन कोई भी कार्य असंभव नहीं है बशर्ते उसे सही तरीके से कार्ययोजना बनाकर इमानदारी पूर्वक लागू किया जाए। आत्मनिर्भर भारत बन सकता है लेकिन जब शीर्ष पर बैठे हुए लोग सियासत से ज्यादा इमानदारी पूर्वक व्यवहारिक कार्ययोजना के साथ जनता का भरोसा जीते।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जनता को अपेक्षा भी यही है कि आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए व्यवहारिक योजना बनाकर सबको साथ में लेकर से उसे लागू करें। समय बताएगा कि मोदी आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए भीष्म पितामह ने बेहतर शासक बनने का जो संदेश पांडवों को दिया था उसका अमल कितना और वर्तमान परिस्थितियों में कैसे और किस तरह से बेहतर तरीके से करने में सफल होते हैं।