डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता
लखनऊ, 20 मई: लोग पार्टी ने आज दिल्ली-यूपी सीमा पर हजारों फंसे हुए प्रवासी मजदूरों के परिवहन पर खेली जा रही राजनीति पर निराशा व्यक्त की। लोग पार्टी ने कहा कि प्रवासियों को ले जाने के बजाय इस पर राजनीत करना वास्तव में चौंकाने वाला है, और ऐसा लगता है कि राजनीतिक हित इन असहाय श्रमिकों की दुर्दशा से ऊपर है।
लोग पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि मार्च 25 को तालाबंदी के बाद नौकरी से निकाले गए लाखों कर्मचारियों को उनके गृहनगर में स्थानांतरित करने के लिए केंद्र सरकार ने उचित कदम नहीं उठाया और उनको सडको पर मरने के लिए छोड़ दिया जो, की चिंता का विषय है। प्रवक्ता ने कहा कि पहले चरण के लॉकडाउन की घोषणा करते हुए केंद्र सरकार ने प्रवासी श्रमिकों की स्वदेश वापसी की इच्छा को कम करके आंका था। अब पिछले दो दिनों से हजारों प्रवासी श्रमिकों दिल्ली-यूपी सीमा पर राजनीतिक दलदल में फंस गए हैं। प्रवक्ता ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अचानक लॉकडाउन ने भारत के सबसे गंभीर मानवीय संकटों में से एक को देखा है। प्रवक्ता ने कहा कि सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहने के अलावा, केंद्र और राज्य सरकारें सबसे अधिक असंवेदनशील दिखाई दीं। घरों तक पहुंचने के लिए लाखों श्रमिकों की दिन-रात चलने की रिपोर्ट और तस्वीरें सामने आईं। इन असहाय श्रमिकों को पैदल यात्रा के दौरान सुरक्षा बलों के क्रोध का सामना भी करना पड़ा। प्रवक्ता ने कहा प्रवासियों मज़दूरों की इस प्रतारणा के लिए केंद्र और संबंधित राज्य सरकारें जिम्मेदारी से बच नहीं सकती हैं।
प्रवक्ता ने इन लोगों के कष्टों को कम करने पर जोर देते हुए कहा कि यात्रा को आसान बनाया जाना चाहिए ताकि वे अपने गृहनगर और गांवों तक जल्द से जल्द पहुंच सकें। चूँकि इन लोगों के पैदल यात्रा करने से कोरोना वायरस का प्रकोप हुआ है, और अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से खुलने में अधिक समय लगेगा, इन लोगों को अपने मूल स्थानों पर सुरक्षित पहुँचाना होगा, और सरकार को इनके भरण-पोषण के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार के प्रावधान भी करने चाहिए।