ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक संकट गहराया: लोग पार्टी

डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता

लखनऊ, 04 जून: लोग पार्टी ने आज कहा कि पिछले मई माह के दौरान कई राज्यों में विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में मनरेगा के तहत गांवों में काम करने की बढती मांग ने बड़े आर्थिक संकट के पर्याप्त संकेत दिए हैं। लोग पार्टी ने कहा कि बेरोजगार युवाओं के बढ़ते दबाव के साथ, उनके मेजबान राज्यों से गृह राज्यों में आने से स्थिति और खराब हो गई है।

लोग पार्टी के प्रवक्ता कहा कि यह इस कारण से है कि प्रवासी मजदूरों के अपने कार्यस्थल पर वापस जाने की खबरें आ रही हैं। प्रवक्ता ने कहा कि कोरोना वायरस के प्रसार में लगातार बढ़ोतरी के बावजूद, ऐसे संकेत मिल रहे है कि गृह राज्यों से श्रमिकों के जाने की संख्या में वृद्धि होगी, क्योंकि ऐसी भावना है कि यूपी जैसे राज्य मनरेगा के तहत इतनी बड़ी संख्या में बेरोजगार युवाओं को रखने में सक्षम नहीं होंगे। प्रवक्ता ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण के हाल के संस्करण में देखा गया है कि इस संकट से निपटने में मनरेगा एक उपयोगी मार्ग साबित हो सकता है। प्रवक्ता ने कहा कि मई में लगभग 2.19 करोड़ परिवारों ने इस योजना का उपयोग किया है, जो कि आठ वर्षों में सबसे अधिक है और सबसे बड़ी संख्या यूपी और पश्चिम बंगाल से है। प्रवक्ता ने कहा कि चूंकि आय के गैर- कृषि स्रोत बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, मनरेगा ग्रामीण क्षेत्र में इस समस्या का समाधान हो सकता है। हालांकि, सिर्फ एक योजना संकट को हल करने में सक्षम नहीं होगी, प्रवक्ता ने कहा कि 57% औसत घरेलू आय गैर-कृषि स्रोतों से आती है। प्रवक्ता ने कहा कि इस योजना में ग्राम प्रधानों और अन्य निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों के देखते हुए इसके क्रियान्वयन को प्रशासनिक रूप से और सख्त करने की आवश्यकता है। प्रवक्ता ने कहा कि यह कहना कि मजदूरी सीधे मजदूरों के खाते में जा रही है, पर्याप्त नहीं है, क्योंकि ग्राम स्तर की कार्यान्वयन एजेंसियां पैसे निकालने के दूसरे तरीके निकाल लेती है। प्रवक्ता ने कहा और योजना के कार्यान्वयन में ईमानदारी और पारदर्शिता नहीं है और ग्राम स्तर पर सरकार को इस पर गौर करना चाहिए।

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