डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता
खेती-किसानी से जुड़े तीन विधेयकों पर आज संसद चर्चा चल रही है. इन बिलों को लेकर राज्य सभा में जोरदार हंगामा भी हो रहा है. उधर, संसद के बाहर भी इस बिल को लेकर भूचाल मचा हुआ है. हरियाणा और पंजाब के किसान बीते कई दिनों से बिलों के विरोध में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। आज पंजाब के कुछ किसान दिल्ली की ओर कूच भी कर रहे हैं।
प्रदर्शनकारी किसानों की आने की सूचना पर दिल्ली में अलर्ट जारी कर दिया गया है।दिल्ली की सभी सीमाओं पर फोर्स तैनात कर दी गई है। जानकारी के मुताबिक, अशोक नगर-गाजीपुर एरिया और दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा राजधानी में भी सुरक्षा चौकसी बढ़ा दी गई है।संसद मार्ग और आसपास के इलाकों में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के सिपाहियों के साथ अन्य फोर्स भी तैनात की गई है।
पंजाब यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता किसानों के साथ दिल्ली-चड़ीगढ़ हाईवे पर दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली में सवार होकर कृषि बिलों के खिलाफ अपना विरोध प्रकट करने के लिए दिल्ली की ओर आ रहे हैं।
दिल्ली के अलावा हरियाणा सरकार ने भी किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए अलर्ट जारी कर दिया है। अंबाला बॉर्डर के पास बड़ी संख्या में फोर्स तैनात की गई है।हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन ने कृषि बिलों के विरोध में प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।
केंद्र सरकार आज राज्य सभा में जो तीन कृषि बिलों को पेश कर रही है उनमें कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक 2020 शामिल हैं।
ये विधेयक कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश 2020 और मूल्य आश्वासन पर किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा अध्यादेश 2020 की जगह लेंगे।
इन विधेयकों के जरिए फसलों की खरीद में एपीएमसी (मंडी परिषदों) का एकाधिकार खत्म करने का प्रावधान किया गया है. इस बिलों के पास होने के बाद किसानों को अपनी फसल कहीं भी और किसे भी बेचने का अधिकार मिल जाएगा।
इन बिलों में यह व्यवस्था की गई है कि राज्य के भीतर और बाहर देश के किसी भी स्थान पर किसानों को अपनी उपज बिना किसी रुकावट से बेचने का मौका दिया जाएगा।
किसानों के विरोध को लेकर सरकार साफ कर चुकी है कि इन बिलों से मंडी की कार्यप्रणाली पर कोई असर नहीं होगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था जारी रहेगी। किसान के पास यह ऑप्शन रहेगा कि वह अपनी फसल चाहे तो मंडी में या मंडी से बाहर कहीं भी बेच सकता है।