डेली न्यूज़ एंड व्यूज संवाददाता
कृषि सुधार विधेयकों के मुद्दे पर विरोध झेल रही सरकार ने रबी की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का फैसला किया है। एमएसपी जिन फसलों पर बढ़ाया गया है, उनमें गेहूं की फसल भी शामिल है। पंजाब और हरियाणा में गेहूं काफी मात्रा में उगाया जाता है। अब जब कृषि सुधार विधेयक का विरोध भी सबसे ज्यादा इन्हीं दो राज्यों में हो रहा है तो गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाकर सरकार किसानों की नाराजगी को दूर करने का प्रयास कर रही है।
सरकार ने गेहूं पर एमएसपी 50 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बढ़ाया है। जिसके बाद इस सीजन में गेहूं की प्रति क्विंटल कीमत 1975 रुपए होगी। इसी तरह सरकार ने सरसों पर 225 रुपए प्रति क्विंटल की दर से बढ़ोत्तरी की है। जिसके बाद सरसों का एमएसपी 4650 रुपए प्रति क्विंटल हो जाएगा। चना और दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी वृद्धि की गई है। जिसके तहत चना का एमएसपी 225 रुपए बढ़ाकर 5100 रुपए प्रति क्विंटल कर दिया गया है। दालों पर सरकार ने 300 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की है और इस तरह एक क्विंटल दाल का एमएसपी 5100 रुपए होगा।
सरकार ने अपने बयान में कहा है कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में इकॉनोमिक अफेयर्स की कैबिनेट कमेटी ने एमएसपी में इस बढ़ोत्तरी को अपनी मंजूरी दी है। बताया गया है कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के तहत रबी की फसलों की एमएसपी तय की गई है। बता दें कि कृषि सुधार विधेयकों को लेकर देश के अलग अलग इलाकों में किसान इसका जमकर विरोध कर रहे हैं। विरोध का सबसे बड़ा कारण भी एमएसपी है। दरअसल किसानों का आरोप है कि सरकार ने नए बिल में एमएसपी को शामिल नहीं किया है और इस पर स्पष्टता भी नहीं है। यही वजह है कि किसानों को एमएसपी व्यवस्था के खत्म होने का डर सता रहा है। हालांकि सरकार साफ कर चुकी है कि एमएसपी की व्यवस्था पहले की तरह ही लागू रहेंगी। सरकार का दावा है कि नए बिल से देश के कृषि सेक्टर में बड़े बदलाव आएंगे। देश के किसान आत्मनिर्भर बनेंगे। सरकार ने विपक्ष पर किसानों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया। वहीं विपक्ष नए बिल को काला कानून बताकर इसकी आलोचना कर रहा है। पंजाब सरकार का कहना है कि नए बिल से देश के किसानों को बड़ा नुकसान होगा।