क्या मायावती जी आने वाले विधान सभा चुनावों में ख़ास तौर पर उत्तर प्रदेश में ओवैसी की भूमिका निभाएँगी ?

वसिन्द मिश्रा

क्या मायावती जी आने वाले विधान सभा चुनावों में ख़ास तौर पर उत्तर प्रदेश में ओवैसी की भूमिका निभाएँगी ?
मायावती ने पिछले दिनो अपने दल के दो क़द्दावर नेताओं लाल जी वर्मा और राम अचल रजभर को पार्टी से निकाल कर उनके स्थान पर शाह आलम को नामित किया है
शाह आलम पेशे से बिल्डर हैं और बसपा के विधायक हैं इसके अलावा कई और मुस्लिम नेताओं को अहम ज़िम्मेदारी दी गयी है
मायावती पर इससे पहले भी गुजरात मध्य प्रदेश राजस्थान सहित कई राज्यों में कांग्रिस के वोट को काटने के मक़सद से अपने उमीदवार उतारने के आरोप लगते रहे हैं
उत्तर प्रदेश इस तरह के आरोप समाजवादी पार्टी का वोट काटने का हो सकता है
उत्तर प्रदेश और पंजाब में विधान सभा के चुनाव हैं उत्तर प्रदेश में भाजपा का सीधा मुक़ाबला समाजवादी पार्टी और पंजाब में कांग्रिस से होने वाला है
मायावती पर पहले भी भाजपा से मिलकर राजनैतिक समीकरण बिगाड़ने के आरोप लगते रहे हैं
यह भी सच है की मायावती भाजपा के समर्थन से ही दो बार मुख्य मंत्री बनी है पिछले लगभग दो साल से भाजपा के भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ मायावती की चुप्पी आने वाले वक्त के राजनैतिक समीकरण का संकेत भी हो सकता है
शायद इसीलिए उत्तर प्रदेश में मायावती की भूमिका को ओवैसी की भूमिका के रूप में देखा जा रहा है
पिछले दिनो हुए चुनावों में ओवैसी की वजह से भाजपा को कई राज्यों में राजनैतिक लाभ मिला था ओवैसी को भाजपा विरोधी वोट को काटने वाला कहा जाने लगा
इस बार के विधान सभा के चुनाव परिणाम 2024 के लोक सभा चुनाव के सेमी फ़ाइनल के रूप में माने जाएँगे
इस लिए इन विधान सभाओं के चुनाव कांग्रिस और भाजपा के राजनैतिक दसा और दिशा तय करेंगे ।

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