बैंकों को धोखाधड़ी के कारण हुए 70,000 करोड़ रुपये के नुकसान के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार -लोक गठबंधन पार्टी
नई दिल्ली, 8 जुलाई: लोक गठबंधन पार्टी ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान वाणिज्यिक बैंकों को हुए भारी नुकसान के लिए एनडीए सरकार की आलोचना की। पार्टी ने कहा कि यह चिंता का विषय है कि बैंकों ने मार्च 2018 तक तीन फिस्कल वर्षों के दौरान धोखाधड़ी के कारण लगभग 70,000 करोड़ रुपये की हानि की सूचना दी।
पार्टी के प्रवक्ता ने बुधवार को कहा कि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार 2015-16, 2016-17 और 2017-18 के दौरान वाणिज्यिक बैंकों द्वारा धोखाधड़ी के मामलों में हानि की सीमा 16,40 9 करोड़ रुपये, 16,652 करोड़ रुपये और क्रमशः 36,694 करोड़ रुपये घोषित किया , जो इन बैंकों में बेहद खराब प्रबंधन को दिखाता है। प्रवक्ता ने कहा कि इन वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिया गया ऋण 2008 में 25.03 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2014 में 68.75 लाख करोड़ रुपये हो गया , जो प्रभावी निगरानी प्रणाली की कमी को दर्शाता है और जिसके चलते धोखाधड़ी के मामले बेतहाशा बढ़ गए हैं। प्रवक्ता ने कहा कि बैंकिंग प्रणाली में यह गिरावट गलत ऋण प्रथाओं, जानबूझकर किये गए डिफ़ॉल्ट, ऋण लेने मैं की गई धोखाधड़ी और बैंकिंग क्षेत्र में व्याप्त भारी प्रचलित भ्रष्टाचार के कारण थी।
प्रवक्ता ने कहा कि खराब ऋण बढ़ने के कारन पूरा बैंकिंग क्षेत्र गहरे संकट और अंधेरे में घिर गया है। प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार के पास इन विशाल डूबे ऋणों की वसूली के लिए कोई ठोस कार्य योजना नहीं है । प्रवक्ता ने कहा कि एनपीए 2013 में 88500 करोड़ रुपये से बढ़कर दिसंबर 2017 में 8 लाख करोड़ रुपये हो गया है। प्रवक्ता ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में तमाम गड़बड़ी है क्योंकि सीबीआई कम से कम 2 9 2 मामलों में बैंक धोखाधड़ी और धोखाधड़ी की जांच कर रही है।
प्रवक्ता ने कहा कि बैंकों में लोगों का विश्वास पूरी तरह से हिल गया है, एनडीए सरकार ने अब तक बैंकों को धोखा देने में शामिल लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही में तेजी लाने के लिए कुछ भी नहीं किया है। प्रवक्ता ने कहा कि बड़े एनपीए वास्तव में वरिष्ठ बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर उच्च स्तर की धोखाधड़ी का परिणाम हैं लेकिन उनके खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही अभी तक नहीं की गई है । प्रवक्ता ने कहा कि पारदर्शिता, सुशासन और ईमानदारी की कमी ने अंततः इस क्षेत्र को आपदा के कगार पर धकेल दिया है। इस संबंध में अपनी पर्यवेक्षी भूमिका में विफल होने के लिए आरबीआई की आलोचना करते हुए प्रवक्ता ने कहा कि वह जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है। प्रवक्ता ने कहा कि पिछले साल अकेले सीबीआई को 22 बैंक अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी गई थी। प्रवक्ता ने कहा कि इन लोगों को दंड सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही तेज होनी चाहिए।