अर्बन मिरर संवाददाता
लखनऊ, उत्तर प्रदेश में 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी-जंग तेज हो गयी है। सभी राजनीतिक दल जातीय एवं धार्मिक आधार पर चुनावी गणित के फार्मूले में जुट गये है। अमर सिंह का आजम खांन पर किया जा रहा जबानी हमला भी इसी कड़ी में है। पिछले दिनों में लखनऊ के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अमर सिंह का नाम लेकर कहा था बहुत सारे लोगों की जानकारी अमर सिंह रखते है अब वह बतायेगें। प्रधानमंत्री का यह इशारा वर्तमान में अमर सिंह के बयान से सीधा जोड़ा जा रहा है। अमर सिंह और आजम खां जैसा कई नेता है जो गरीबों के पैसों पर मिली हुई सुरक्षा पर व्यकितगत दुश्मनी और अपमान जनक भाषा का उपयोग करते है। आज अमर सिंह और आजम खां सहित अपमान जनक और समाज में जाति एवं धर्म पर बयान देकर नफरत फैलाने वाले सभी नेताओं की सुरक्षा हटा ली जाय तो इनकी भाषा बदल जायेगी। आजम खां एवं अमर सिंह जिस तरह से बयान बाजी कर रहे है वह साम्प्रादायिकता फैलाने वाली भाषा है। इस पर कार्यवाही भी होनी चाहिए लेकिन सियासत है और 2019 का चुनाव जाति धर्म पर ही लड़ा जाना है। इसलिए आजम और अमर की बयान बाजी भाजपा और गैर भाजपा सभी दलों को ठीक लग रही है। अमर सिंह के बयान में यह भी बता दिया है कि शिवपाल सिंह यादव भाजपा में नही जाना चाहते है उनकी पहली प्राथमिकता आज भी सपा है। सपा के दरवाजे से प्रवेश के लिए अंतिम समय तक प्रतिक्षा करके ही नया राजनीतिक गठबन्धन बनायेगें। शिवपाल एवं मुलायम सिंह दोनों जानते है कि अलग मोर्चे बनाने का मतलब है अखिलेश यादव के सियासी भविष्य अन्धकार में हो सकता है। सपा, बसपा का गठबन्धन मुलायम एवं शिवपाल के मोर्चे बनाने से ही बहुत ही कमजोर हो जायेगा। जिसका लाभ सीधे भाजपा को मिलेगा। सीधा सा राजनीतिक समीकरण है कि सपा, बसपा गठबन्धन में लोकसभा चुनाव लड़ने वाले दावेदार को टिकट नही मिलेगा निश्चित रूप से उनमे से अधिकांश मोर्चे पर चुनाव लड़ सकते है जो माया, अखिलेश के लिए घाटे का सौदा हो सकता है। भाजपा एवं कांग्रेस सहित सभी छोटे-छोटे दल अपनी सियासत की गोट जाति एवं धर्म के आईने में ही बिछा रहे है। दलितों एवं पिछड़ों में राजनीतिक चेतना के कारण आयी जागरूकता से भी जातीय राजनीति को बहुत अधिक बढ़ावा मिल रहा है। पिछड़ों में अभी तक यादव, कुर्मी, लोध, भी राजनीति की महत्वाकांक्षा रखते थे लेकिन अब अति-पिछड़ों में 50 से अधिक जातियों के नेता से सियासी जंग में अपना भाग्य अजमाना चाहते है। इसलिए पिछले राजनीतिक दलों की संख्या बढ़ती जा रही है। कांग्रेस सियासी जंग में उत्तर प्रदेश में हाशियें पर है और सपा, बसपा गठबन्धन पर उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का भविष्य छोड़ दिया है।भारतीय जनता पार्टी आक्रामक होकर चुनाव की तैयारी कर रही है। 73 का आकड़ा बना रहे है इसके लिए जाति एवं धर्म के आधार पर किसी भी स्तर पर चुनावी गठबन्धन व राजनीतिक पैतरेबाजी करने में हर स्तर पर जुटी हुई है। जैसे-जैसे 2019 की तिथिया नजदीक आती जा रही है सियासी जंग बढ़ती जा रही है समाज में जाति एवं धर्म का जहर बढ़ता जा रहा है नेताओं की जुबान बेलगाम होती जा रही है। आने वाले दिनांे में यह सियासी जंग का और बिकृत स्वरूप ही सामने आयेगा। वर्तमान सभी राजनीतिक दलों से किसी भी प्रकार की राजनीति में नैतिकता की उम्मीद करना बेनामी है।