अर्बन मिरर समवाददाता
लखनऊ, उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग की भर्तियों में हुई अनियमितता की जांच कर रही सीबीआई संदेह के घेरे में है। भाजपा ने चुनाव के दौरान बड़े जोर-शोर से लोकसेवा आयोग में हुई भर्तियों में घोटाले का आरोप लगाया था और सीबीआई जांच की मांग करते रहते। सरकार बनने के बाद न्यायालय के निर्देश पर आयोग में हुई भर्तियों की सीबीआई जांच के निर्देश दिये गये। सीबीआई जांच भी शुरू हुई। जांच शुरू करते हुए सीबीआई ने लोकसेवा आयोग की भर्तियों को लेकर ऐसा मीडिया ट्रायल कराया जैसे लग रहा था कि तत्कालीन लोकसेवा अध्यक्ष अनिल यादव सहित सलोकसेवा आयोग की जांच में सीबीआई संदेह के घेरे में
मस्त घोटाले बाज जिन्होने भर्तियों में करोड़ों कमाये और बिना परीक्षा में बैठे मनमानी तरीके से युवाओं को पीसीएस से लेकर तमाम पदों पर चयन कर लिया। ऐसा लग रहा था सीबीआई घोटाले बाजों को जल्दी से जल्दी से पकड़कर जेल के सीकड़ों के पीछे पहुंचा देगी। सीबीआई रोज नये-नये बढ़ चढ़कर बयान दे रही थी और मीडिया के माध्यम से यह बताने का प्रयास कर रही थी कि सपा सरकार ने आयोग के भर्तियों में घोटाले ही घोटाले हुए है। आयोग ने तैनात अधिकारियों कर्मचारियों और विभिन्न पदों पर चयनित अभ्यभर्तियो से ऐसे पूछ-ताछ का दिखावा करके मीडिया ट्रायल कराया जा रहा था। जैसे लग रहा था कि भर्तियों के घोटाले बाज जल्द ही पकड़े जायेगें लेकिन एक साल से अधिक होने जा रहा है ऐसा कुछ भी नही हुआ। सीबीआई जांच टीम आयोग की भर्तियों की जांच के बारें में मीडिया को जानकारी देने से भी कतरा रही है। एक समय तो ऐसा आया था कि सीबीआई ने मीडिया की खबरों के अनुसार तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सचिवालय तक को भी संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया था और चर्चा यह भी शुरू हो गयी थी कि सीबीआई शीघ्र ही अखिलेश यादव से भी पूछ-ताछ कर सकती है। मामला ऐसा जोर पकड़ा कि रोज नये-नये खुलासे हो रहे थे और सीबीआई मीडिया ट्रायल के माध्यम से बढ़-चढ़कर भाग ले रही थी। लेकिन अचानक जांच ही संदेह के घेरे में आ गयी है सूत्रों के अनुसार जांच में लगे सीबीआई अधिकारी जो निष्पक्ष जांच कर रहे उनमे से कई अधिकारियों को हटा दिया गया है। कहने के लिए जांच के नाम पर लोकसेवा आयोग के परिसर में सीबीआई कैम्प बना करके रोज-रोज पूछ-ताछ का ड्रामा कर रही है। लेकिन जांच में भ्रष्टाचारियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। जब सीबीआई ने जांच शुरू की थी तो उदाहरण दिया जा रहा था कि हरियाणा में शिक्षक भर्ती घोटाले में जिस तरह से तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चैटाला बांप-बेटे जेल में है उससे भी बड़ा उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग का घोटाला है जिसमें सीबीआई कई राजनेताओं सहित बड़े-बड़े अधिकारियों को जेल भेजेगी। लेकिन हुआ कुछ नही आज भी लोकसेवा आयोग में अनियमिताये जारी है । सपा सरकार में हुई भर्तियों के घोटाले की लीपा-पोती जारी है तत्कालीन लोकसेवा अध्यक्ष अनिल यादव खुले घूम रहे है और फर्जी नियुक्ती पाये अभ्यर्थी नौकरी कर रहे है। ऐसे तमाम अभ्यभर्ती जो घोटाले बाज गिरोह के माध्यम से फर्जी चयनित किये गये उनसे केवल पूछ-ताछ का ड्रामा किया गया जबकि दस्तावेजी प्रमाण उपलब्ध है कि आयोन ने पीसीएस के परीक्षा में बड़ी अनियमिताये हुई है। सूत्रों के अनुसार सीबीआई की जांच का पूरी तरह राजनीतिकरण कर दिया गया है जांच के नाम पर खाना पूर्ति की गयी है और विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में लोकसेवा आयोग की भर्तियों को लेकर चुनावीं भाषण होंगे और इसे एक मुद्दा बनाकर रखा जायेगा। घोटाले बाज सीबीआई की पकड़ से बाहर है कारण जो भी हो लेकिन यह माना जा रहा है कि अरबों-खरबों कमाये आयोग के घोटाले बाज गैंग में सीबीआई में ऐसी पकड़ बना ली है कि घोटाले की जांच प्रोपगंडा तक समिति होकर रह गयी है। पूरी जांच संदेह के घेरे में है जिन लाखों युवाओं को सीबीआई की जांच का निष्पक्ष भरोसा था निराश हो रहे है और आयोग ने लगातार आज भी घोटाले हो रहे है। आयोग की परीक्षाओं के पेपर लिक हो रहे है पीसीएस मुख्य परीक्षा 2017 में भी गलत पेपर बांट करके भ्रष्टाचारी गैंग ने यह साबित कर दिया है कि जांच के नाम पर सीबीआई केवल मीडिया ट्रायल कर रही है। सीबीआई पूरी तरह आयोग के गैंग से मिल गयी है और जांच के नाम पर केवल और केवल बयान बाजी तथा मीडिया ट्रायल ही हो रहा है। वर्तमान लोकसेवा अध्यक्ष अनुरूद्ध सिंह यादव भी पूर्व अध्यक्ष अनिल यादव की तरह आयोग में मनमाने तरीके से भर्तियां कर रहे है दिखाने के लिए सीबीआई जांच हो रही है बाहर और आयोग परिसर में खूब सख्ती दिखायी जा रही है लेकिन यह केवल ड्रामा है सपा सरकार और भाजपा सरकार दोनों में भर्तियों में घोटाले का क्रम एक जैसा है। पीसीएस की मुख्य परीक्षा में हुई अनियमितता पर सीजीएम कोर्ट ने पेपर लीक होने की जांच के निर्देश दिेये है। अगर सीबीआई निष्पक्ष जांच करती तो यह माना जा रहा है कि अब तक कई नेता और बड़े-बड़े अधिकारी तथा आयोग के पूर्व और वर्तमान अध्यक्ष सहित घोटाले गैंग में शामिल बहुत लोग जेल में होते।