अर्बन मिरर समवाददाता
लखनऊ, । पिछले दो दशक से खाद्यान्न घोटाले की जांच कर रही सीबीआई के लिए लूट का साधन बन गया है। न्यायालय के निर्देश पर जांच कर रही सीबीआई केवल न्यायालय में जांच की प्रगति रिर्पोट दाखिल करने की औपचारिकता निभा रही है। अरबों रूपये के हुए खाद्यान्न घोटाले की जांच में सीबीआई के लापरवाही के कारण ही एक और राशन घोटाला हो गया है। सीबीआई जांच के नाम पर केवल नोटिस देकर आंतक पैदा करती है और इसी आंतक के माध्यम से लूट करती है। 40 से अधिक जनपदों में खाद्यान्न घोटाले पर सीबीआई की जांच कटघरे में खड़ी होती जा रही है। घोटाले में शामिल हजारों लोगों की सूची लेकर सीबीआई जांच टीम जनपदों में जाती है और घोटाले के आरोपी को नोटिस देकर बुलाती है बहुत से मामलों में बिना नोटिस दिये ही सूचना देकर घोटाले बाजों को बुलाती है और उनसे वसूली करके जांच की खाना पूर्ति कर रही है। सीबीआई की घोटाले बाजों से कारण ही आज तक प्रभावी कार्यवाही नही हो पा रही है। घोटाले बाज नये-नये घोटाले करने में लिप्त है और सीबीआई का भय समाप्त हो गया। खाद्यान्न घोटाले में सीबीआई जांच करती और अपराधियों को सजा मिल जाती तो राशन जैसा एक और घोटाला नही होता। राशन घोटाला भी अरबों रुपये का है। एसटीएफ जिस तेजी से जांच कर रही है अगर ऐसी ही निष्पक्ष जांच होती रही तो राशन घोटाले बाज जेल में होगें। घोटाले बाज के नये-नये पैतरे करके जांच को प्रभावित करने चाहते है और खाद्यान्न घोटाले की तरह सीबीआई जांच के नाम पर बचना चाहते है। यह सही है कि बिना अधिकारियों की मिली भगत से खाद्यान्न और राशन घोटाले नही होते। जांच में केवल सबसे कमजोर लोग पकड़े जा रहे है। बड़े-बडे़ अधिकारी लूट में शामिल है। इनके खिलाफ कार्यवाही नही हो रही है। जब तक बड़े अधिकारीयों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही नही होगी घोटाले होते रहेगें।
शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच से सबक ले सीबीआई
लखनऊ, । उत्तर प्रदेश में 68500 सहायक अध्यापकों की भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। बिना परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों को नौकरी दी गयी अंक पत्र बदले गये। मुख्य परीक्षा में कम अंक पाने वाले स्कैन कापी में अधिक अंक देकर चयनिय कर लिये गये। मामला न्यायालय में जाने के बाद सरकार को मजबूरी में जांच का आदेश देना पड़ा। जांच की कमेटी का अध्यक्ष एक बहुत ईमानदार वरिष्ठ आईएस अधिकारी संजय भुस रेड्डी को सौंपी गयी। कमेटी के अध्यक्ष ने पारदर्शिता और बेहद ईमानदारी के साथ जांच शुरू की और चंद दिनों में ही भर्ती के घोटाले की परत-दर-परत कमियां खुलने लगी। जिसके कारण सचिव सुधा सिंह सहित कई घोटाले बाज अधिकारियों पर कार्यवाही हो रही है और घोटाले में शामिल लोग पकड़े जा रहे है। घोटाला इतना बड़ा है कि अध्यक्ष ने समस्त कापियों के दोबारा जांच करने का निर्देश दिया है। दोबारा जांच करने से जहां योग्य अभ्यर्थियों को अवसर मिलेगा और शिक्षा में एक व्यापक सुधार आयेगा। क्योंकि जब भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से फर्जी नियुक्तिी पाकर शिक्षक बन जाते थे तो पूरी शिक्षा प्रणाली ही चढ़ जाती है। शिक्षा विभाग के कुछ ईमानदार अधिकारी मानते है कि पिछले कई वर्षो से शिक्षक भर्ती में घोटाले ही घोटाले हुए है। फर्जी मार्कसीट के आधार पर हजारों शिक्षक आज भी कार्य कर रहे है। शिक्षा में आयी गिरावट भी फर्जी नियुक्तियों के कारण है। मुख्यमंत्री योगीआदित्य नाथ ने जिस तरह से शिक्षक भर्ती की अनियमिताओं की जांच के आदेश दिये और श्री रेड्डी जैसे ईमानदारी अधिकारी को जांच कमेटी का अध्यक्ष बनाया है उससे निश्चित है कि योगी आदित्य नाथ सहायक शिक्षक भर्तियों में ईमानदारी चाहते है और इसका प्रभाव शिक्षा की गुणवत्ता पर भी पड़ेगा। घोटालो में सीबीआई जांच की मांग कम होनी चाहिए क्योंकि सीबीआई जांच घोटाले बाजों को बचाने का कार्य करती है। आज तक दो दर्जन से अधिक बड़े-बड़े मामले की सीबीआई जांच कर रही है। अपराधी और घोटाले बाज खुलेआम घूम रहे है। सीबीआई जिन मामलों में न्यायालय की देख-रेख में जांच कर रही है उसमें तो थोड़ी बहुत निष्पक्षता और समयबद्धता के अनुसार कार्यवाही कर रही है अन्यथा अन्य मामलों में जो न्यायालय की देख-रेख में नही है उनमें केवल और केवल लीपा-पोती करके जांच के नाम पर लूट कर रही है।
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