राजेन्द्र द्विवेदी
लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुबे के आईएएस अधिकारी गंभीरता से नही ले रहे है। इसका ताजा उदाहरण यह है कि आपदा की बैठक में राहत आयुक्त संजय कुमार शामिल नही हुए। आपदा बैठक की अध्यक्षता मुख्यमंत्री स्वयं कर रहे थे। हालांकि नाराज मुख्यमंत्री ने राहत आयुक्त को हटाने का निर्देश दिया है। यह पहला अवसर नही ही है जब मुख्यमंत्री की बैठक में आईएएस अधिकारी शामिल नही होते। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगीआदित्य नाथ प्रदेश के 75 जनपदों का दौरा कर चुके है कई जनपद ऐसे है जिनका कई बार दौरा मुख्यमंत्री ने किया है। सभी बैठको और दौरे के समय मुख्यमंत्री अधिकारियों को कड़ी चेतावनी देते रहते है लेकिन इस चेतावनी का कोई प्रभाव आईएएस अधिकारियों पर नही पड़ रहा है। इसका खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है। खाद्यान्न, राशन वितरण, मिडडेमील , शिक्षा और स्वास्थ्य में बड़े-बड़े घोटाले हो रहे है गड्ढा मुक्त के नाम पर लोकनिर्माण विभाग में करोड़ों रूपये पानी में बह गये और आज भी प्रदेश मे सड़के गढ्ढा-युक्त बनी हुई है। नौकरशाही पूरी तरह से बेलगाम है। मुख्यमंत्री सचिवालय में बैठकर अधिकारी इतने कमजोर औरअनुभव हीन है कि मुख्यमंत्री को सही जानकारी और दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने की हिम्मत नही जुटा पा रहे है। नौकरशाही राजनीतिक दलों की तरह जाति एवं धर्म में बटी हुई है। जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता भुगत रही है।
=====================================================================================
स्मारक घोटाले में निष्पक्ष जांच हुई तो बड़े-बड़े नेताओं और अधिकारियों का जेल जाना तय
राजेन्द्र द्विवेदी
लखनऊ, पूर्व लोकायुक्त एन.के. मल्होत्रा की जांच रिपोर्ट पर निष्पक्ष रूप से कार्यवाही हुई तो 1410 करोड़ रूपये के घोटाले में कई बड़े-बड़े नेता और अधिकारी जेल जायेगें। शशिकान्त उर्फ आवेश पाण्डेय की याचिका पर उच्च न्यायालय ने स्मारक घोटाले की जांच रिर्पोट की स्टेटस को मगाया है और सुनवाई 27 सितम्बर को निर्धारित है। लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में तथ्यात्मक और दस्तावेजी सबूत के साथ कार्यवाही करने के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी थी। 2007 से 2012 के बीच में तत्कालीन मायावती सरकार ने लखनऊ में अम्बेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल, मान्यवर काशीराम स्मारक स्थल, गौतमबुद्ध उपवन, इकोपार्क, नोयडा अम्बेडकरपार्क, रमाबाई अम्बेडकर मैदान, स्मृति उपवन का निर्माण कराया था। इस निर्माण में कई गुने अधिक दर पर पत्थरों की खरीद की गयी थी। इन सभी स्थलों का निर्माण लोकनिर्माण विभाग नोयडा प्राधिकरण और निर्माण निगम आदि ने कराया था। निर्माण में लगे पत्थर की आपूर्ति राजस्थान से दिखायी गयी थी जबकि यह पत्थर मिर्जापुर से मगाया गया था। पत्थरों के ढुलाई के नाम पर करोड़ों रूपये भुगतान किये गये। लोकायुक्त ने जांच की प्रथम दृष्टया में 14 अरब 10 करोड़ 83 लाख 43 हजार रूपये के अनियमितता पायी थी। लोकायुक्त ने जांच रिपोर्ट तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपी थी। अखिलेश यादव ने जांच बिजलेन्स को सौंपी थी बिजलेन्स ने अभी तक चार्जशीट दाखिल नही किया है। बिजलेन्स द्वारा जांच करने पर हो रही लेट को लेकर ही उच्चन्यायालय में याचिका दायर की गयी है और याचिका पर चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवन्त वर्मा की पीठ ने एक हफ्ते में प्रदेश सरकार से जांच रिपोर्ट तलब की है। लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, बाबू सिंह कुशवाहा सहित कई अधिकारियों को दोषी करार दिया था। लोकायुक्त रिपोर्ट के आधार पर ही 01 जनवरी 2017 को गोमतीनगर थाने में एफ.आई.आर. दर्ज करके जांच बिजलेन्स विभाग को सौंपी गयी थी। घोटाले में आरोपी मायावती 2019 की तैयारी में जुटी है दूसरे आरोपी नसीमुद्दीन सिदीकी कांग्रेस में है और बाबूसिंह कुशवाहा एनआरएचएम घोटाले में पहले से ही जेल में है। अगर राज्य सरकार ने लोकायुक्त जांच रिपोर्ट और बिजलेन्स की जांच रिपोर्ट में तथ्य और सत्य दस्तावेज के साथ निष्पक्ष रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौपी तो निश्चिति है कि घोटाले बाज जेल जायेगें।