अर्बन मिर्रर समवाददाता
नई दिल्ली, 24 सितंबर: लोक गठबंधन पार्टी (एलजीपी) ने आज कहा कि आयुष भारत- राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण योजना (एनएचपीएस) जिसको को “मॉडिकेयर” के रूप में डब किया जा रहा है, यह देश में सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा का उत्तर नहीं है क्योंकि यह केवल गम्भीर बीमारियों में आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हाई ।एलजीपी ने कहा कि इस योजना से देश की प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को संबोधित नहीं किया गया है।
पार्टी के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा कि एनडीए सरकार आने वाले राज्य विधानसभा चुनावों और 201 9 लोकसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ के लिए इस योजना के शुभारंभ के लिए जल्दी में है। प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचागत और सेवा समस्याएं गंभीर हैं और सरकार ने इस संबंध में कुछ भी नहीं किया है। प्रवक्ता ने कहा कि बीपीएल समूह से संबंधित लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया भी भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से घिरा हुआ है और त्रुटिपूर्ण है। प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में मजबूत नींव रखे बिना स्वास्थ्य देखभाल के लिए दिशाहीन प्रयास कर रही है। प्रवक्ता ने कहा कि गरीब और निर्दोष ग्रामीणों के लिए बीमा-आधारित योजना , शहरी क्षेत्रों में इसी तरह की पहले की योजनाओं की तरह ही विफल होगी ।प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान रूप में मॉडिकेयर योजना विफल होने के लिए नियत है क्योंकि यह एक और राजनीतिक स्टंट बनने जा रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि प्राथमिक आवश्यकताओं पर उचित ध्यान दिए बिना स्वास्थ्य देखभाल की सोच बेकार है।
यह बताते हुए कि धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का दायरा विशाल है, प्रवक्ता ने कहा कि यह निजी खिलाड़ियों की भूमिका के कारण गरीब लोगों की मदद नहीं करेगा, जिसका लक्ष्य निजी अस्पतालों को मात्र व्यापार लाभप्रदता पहुँचाना है। प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जो गरीब लोगों को केवल सेवा प्रदाताओं के लिए बुनियादी सुविधाएं हैं, ख़राब हालत में है जिससे लोगों को शहरी क्षेत्रों में भी छोटे बीमारियों के इलाज के लिए मजबूर होना पड़ता है। प्रवक्ता ने कहा कि एनएचपीएस निजी अस्पतालों और बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचा सकता है लेकिन यह उचित सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए विकल्प नहीं हो सकता है। प्रवक्ता ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में दवाइयों, डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टाफ और बुनियादी चिकित्सा सुविधाओं की पूरी कमी है जिसके लिए केंद्रीय बजट में पर्याप्त प्रावधान नहीं था।