आउटसोर्सिंग के नाम पर यूपी में महाघोटाला, 12 हजार करोड़ से ज्यादा हर वर्ष बंदरबांट कर रहे अधिकारी और निजी कंपनिया काम करने वाले युवाओं को न्यूनतम वेतनमान भी नही मिल रहा
विजय शंकर पंकज
लखनऊ, आउटसोर्सिंग के नाम पर युवाओं को रोजगार दिये जाने के नाम पर महाघोटाला किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में शासन स्तर से लेकर विभागीय अधिकारियों में युवाओं के नाम पर दिये जाने वाली धनराशि में भारी बंदरबांट किया जा रहा है। सरकार से आउटसोर्स कर्मचारियों के नाम पर निजी कंपनियों को दी जा रही सरकारी धनराशि का मुश्किल से 30 प्रतिशत ही मिल पाता है। शेष धनराशि विभागीय अधिकारियों और निजी आउटसोर्स कंपनी के नाम पर बंटवारा हो जाता है। शासन स्तर से आउटसोर्स कर्मचारियों को दी जा रही धनराशि का कई बार ब्योरा मांगा गया परन्तु विभागों ने इसकी कोई सूची ही नही दी। पिछली सरकार के समय से जारी आउटसोर्सिंग की व्यवस्था को योगी सरकार ने भी मजबूती दी है। इसके लिए सरकार ने विभागों में संविदा या दैनिक वेतन पर नियुक्ति पर प्रतिबंध जारी करते हुए कर्मचारियों की कमी की पूर्ति के लिए आउटसोर्सिंग व्यवस्था जारी रखने पर ही बल दिया। इसके साथ ही सरकारी विभाग में नौकरी के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह भी सक्रिय हो गया है और आउटसोर्स करने वाली कंपनिया ऐसे युवाओ से लाखो रूपये की भी वसूली कर रहे है।
वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार आउटसोर्स के नाम पर प्रत्येक वर्ष लगभग 1600 करोड़ रूपये विभिन्न विभागों द्वारा जारी होता है। इसमें कितनी धनराशि काम करने वालों को भुगतान होता है, इसका विभाग के पास कोई आकड़ा ही नही है। वित्त विभाग ने कई बार विभागों से आउटसोर्स कर्मियों को किये जाने वाले भुगतान का विवरण मांगा परन्तु विभागों ने अनुलब्धता बताते हुए इसकी कोई जानकारी ही नही दी। केन्द्र एवं राज्य में भाजपा सरकार बनने के बाद आउटसोर्स कर्मियों का भी डिजिटल भुगतान करने का आदेश दिया गया। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि आउटसोर्स कर्मियों का वेतन सीधे संबंधित कंपनी को कर दिया जाता है और वही संबंधित कर्मियों के वेतन का भुगतान करती है। विभागों द्वारा निजी आउटसोर्स कंपनियों से स्किल्ड और अनस्किल्ड कर्मचारियों की मांग की जाती है। इसमें विभाग स्किल्ड कर्मचारी के लिए 1500 रूपये तथा अनस्किल्ड कर्मचारी के लिए 1200 रूपये का भुगतान किया जाता है। विभाग द्वारा इतनी धनराशि जारी होने के बाद भी इन कर्मचारियों को मुश्किल से स्किल्ड को 6 से 7 हजार तथा अनस्किल्ड को 4 से 5 हजार रूपये ही मिल पाता है। इसमें से आउटसोर्स कंपनी को एक प्रतिशत कमीशन का दिया जाता है। आउटसोर्स कंपनी के कमीशन के बाद भी शेष आधे से ज्यादा धनराशि कहा जाती है, इसका किसी विभाग तथा अधिकारी के पास जवाब नही है। आउटसोर्स कर्मचारियों के साथ इस करारे धोखे पर अधिकारियों से लेकर योगी मंत्रिमंडल तक चुप है। चर्चा तो यह है कि इसकी लंबी रकम विभागीय मंत्रियों तक भी पहुंचती है। यही वजह है कि नौकरी देने के नाम पर मंत्री भी चुपी साधे हुए है। विभागीय या संविदा कर्मचारियों से मंत्रियों या अधिकारियों को यह रकम नही मिल सकती है। इस मसले पर पिछली अखिलेश सरकार में गड़बड़ी तथा भ्रष्टाचार के आरोप लगा सकते है परन्तु अब योगी सरकार भी उसी भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।
वित्त विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि आउटसोर्स कर्मियों को होने वाले भुगतान का जब ब्योरा विभागों से मांगा गया तो सभी ने हाथ खड़े कर दिये। विभागों का कहना है कि उनके पास आउटसोर्स कर्मचारियों के काम करने का ही रिकार्ड है परन्तु उनके भुगतान की सूची आउटसोर्स करने वाली कंपनियो के पास ही होता है। इन कर्मचारियों को भुगतान कम करने के लिए कंपनिया उनकी गैरहाजिरी तथा अवकाश की बात कहकर वेतन काट लेती है। इसके विपरीत विभागीय अधिकारियों तथा कंपनी की मिली भगत से पूरा भुगतान किया जाता है। यही वजह है कि विभागों ने कभी भी कर्मचारियों को होने वाले भुगतान की जानकारी करने की जुर्रत ही नही समझी। लखनऊ में आउटसोर्स करने वाली 8 से 10 कंपनिया है जो पूरे प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों की आपूर्ति सभी विभागों को करती है। कुछ दिनों पहले आउटसोर्स कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि उनसे नौकरी के नाम पर 2 से 5 लाख रूपये घूस के रूप में लिये गये। इन युवाओं से कहा गया था कि यह सरकारी नौकरी है और कुछ दिनों में वे विभाग के स्थायी कर्मचारी हो जाएगे। विभाग में कुछ दिनों तक काम करने के बाद जब इसका खुलासा हुआ तो उन्होंने शिकायत की। यही नही तब तनख्वाह के नाम पर 12 से 14 हजार रूपये तक के भुगतान की बात की गयी लेकिन जब भुगतान मात्र 4 से 5 हजार हुआ तो अवकाश और गैरहाजिर होने की वजह बतायी गयी।
यूरीड मीडिया ने इस संदर्भ में कई युवाओं से बात की। ऐसे युवाओ का कहना है कि यदि सरकार विभागों में उन्हें संविदा पर ही रखे और 10 से 12 हजार रूपये का भुगतान हो तो उन्हें काम से कोई शिकायत नही होती। इन युवाओ का कहना है कि विभागीय अधिकारी/कर्मचारी परेशान करने तथा हटाने के लिए कई तरह से परेशान करते है। आउटसोर्स कर्मचारियों को सुबह 9 से 6 बजे तक की ड्यूटी बतायी जाती है जबकि अन्य कर्मचारी अधिकारी देर से आते है और जल्द ही चले जाते है। आउटसोर्स कर्मचारियों को अवकाश के दिन भी बुलाया जाता है परन्तु उसके एवज में उन्हें कोई भुगतान नही किया जाता है। इस प्रकार आउटसोर्स कर्मचारियों का विभागीय शोषण से लेकर भ्रष्टाचार का शिकार होना पड़ रहा है।
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