अर्बन मिरर समवाददाता
लखनऊ, मायावती ने उच्तम न्यायालय के निर्णय के बाद प्रमोशन में आरक्षत तत्काल लागू करने की मांग की है। उन्होने कहा कि भाजपा सरकार प्रमोशन में आरक्षण तुरन्त लागू करें। मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कुछ हद तक स्वागत योग्य है. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण पर रोक नहीं लगाई है और साफ कहा है कि केंद्र या राज्य सरकार इस पर फैसला लें. उन्होंने कहा कि बसपा की मांग है कि सरकार प्रमोशन में आरक्षण को तुरंत लागू करे.
सुप्रीम कोर्ट ने नागराज मामले के फैसले को कुछ बदलावों के साथ बरकरार रखा है. कोर्ट ने कहा कि इस पर फिर से विचार करना जरूरी नहीं और न ही आंकड़े जुटाने की जरूरत है. जबकि 2006 में नागराज मामले में कोर्ट ने शर्त लगाई थी कि प्रमोशन में आरक्षण से पहले यह देखना होगा कि अपर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं. इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की सविधान पीठ ने 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिस पर आज यानी बुधवार को निर्णय आया है.
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प्रमोशन में आरक्षण भाजपा सरकार के गले की हड्डी बना
लखनऊ, उच्चतम न्यायालय ने प्रमोशन में आरक्षण देने का निर्णय राज्य सरकारों पर छोड़ दिया है। न्यायालय के इस निर्णय से भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती प्रमोशन में आरक्षण बन गया है। निर्णय आने के बाद से ही प्रमोशन में आरक्षण के समर्थन और विरोध में राजनीति शुरू हो गयी है। भाजपा के राज्य सरकारों के लिए एक ऐसा मुद्दा बन गया है जो चुनाव में चुनौती बन सकता है। भाजपा की राज्य सरकारें प्रमोशन में आरक्षण लागू करती है तो एससी एसटी एक्ट से नाराज पिछड़े सर्वण में और अधिक नाराजगी बढ़ेगी दूसरी तरफ अगर प्रमोशन में आरक्षण लागू नही करती तो भाजपा को अपने वादों से मुकरना माना जायेगा और दलित वोटों को रिझाने के लिए जो प्रयास प्रधानमंत्री कर रहे है उससे झटका लगेगा। प्रमोशन में आरक्षण भाजपा सरकार के लिए एक तरफ कुआं दूसरी तरफ खांई है। वैसे भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेई की सरकार ने प्रमोशन में आरक्षण लागू किया था जिसका परिणाम 2004 लोकसभा चुनाव में भाजपा देख चुकी है। एससी एसटी एक्ट और प्रमोशन में आरक्षण पर दलित मोह भाजपा के लिए भारी पड़ सकता है। क्योंकि दलित की सर्वमान्यता आज भी मायावती ही है। दलितों के लिए चाहे जो निर्णय मोदी सरकार करें उसका सीधा लाभ बसपा को मिलेगा, दलित यह मानते है कि मायावती के दबाव में ही भाजपा दलितों के हित में निर्णय कर रही है।
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वरिष्ठ नेता मणिशंकर पाण्डेय ने कांग्रेस छोड़ी
लखनऊ, कांग्रेस के लिए एक बहुत बड़ा झटका है 45 वर्षो तक कांग्रेस के विभिन्न पदों पर रहने वाले कर्मठ एवं ईमानदार नेता मणिशंकर पाण्डेय ने बहुत दुखी होकर कांग्रेस पार्टी को अलविदा कहा है। राहुल गांधी को लिखे गये पत्र में पाण्डे ने आरोप लगाया है कि समर्थन के गठबन्धन के कारण कांग्रेस का बुरा हाल होता जा रहा है जिस तरह से कांग्रेस पार्टी प्रदेश में जातीय एवं क्षेत्रीय पार्टियों हाथों में कांग्रेस को सौप रही है उससे कांग्रेस खत्म हो गयी है उन्होंने अफसोस जाहिर किया है कि पार्टी नेतृत्व जनता की भावनाओं को नही समझ रहा है जनता जाति की राजनीति करने वाले दलों से परेशान है और कांग्रेस ऐसे ही जाति की राजनीति करने वाले क्षेत्रीय दलों के आगे समर्पण करती जा रही है। पाण्डेय ने आरोप लगाया है कि मौजूदा कांग्रेस नेहरू, इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी के विचारों से दूर हटती जा रही है। गठबन्धन के राजनीति में पार्टी के स्वाभिमान एवं चरित को जीर्ण शीर्ण कर दिया है। श्री पाण्डेय लम्बे अर्से तक सेवा दल के प्रदेश अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव और उपाध्यक्ष रहे है। राजीव गांधी के निकट माने जाने वाले मणिशंकर पाण्डेय विधान परिषद के सदस्य भी रहे है। पार्टीं वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि चन्द दलाल टाईप के नेताओं को छोड़ दे जो अपनी सीट जीतने के लिए पार्टीं को जाति के राजनीति करने वाले दलों के हाथों बेचने का सुझाव दे रहे है। वास्तविकता यह है कि राहुल गांधी को देश की जनता की नब्ज पहचानना चाहिए और आत्म विश्वास के साथ मैदान में उतरना चाहिए।
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वाड्रा का मोदी के 56 इंज सीने को चुनौती
लखनऊ, सोनिया गांधी के दामाद राहुल गांधी के बहनोई राबड् वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 56 इंच सीने को चुनौती दी है। वाड्रा का आरोप है प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी जब भ्रष्टाचार व अन्य किसी के मामलों में फस्ती है तो उसे वाड्रा- वाड्रा -वाड्रा- याद आने लगती है। वाड्रा ने कहा कि बार-बार झूठ के पुलिन्दें के आड़ में छिपने के बजाय 56इंच छाती के साथ साहस दिखाना चाहिए और देश को राफेल के विषय में सच बताना चाहिए। वाड्रा ने राफेल डील में लगाये गये आरोपों को खारिज किया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनौती दी कि 56 इंच का सीना लेकर चार साल से केन्द्र में सरकार में है तो आरोप लगाने के बजाय कार्रवाई क्यों नही करते। वाड्रा का कहना है कि पहले उन्हें बीजेपी के आरोपों पर चिन्ता होती थी लेकिन अब हंसी आ रही है। बीजेपी और प्रधानमंत्री जब भी आरोपों से घिरते है तो वाड्रा-वाड्रा रटने लगते है।
राफेल डील का विवाद बढ़ता जा रहा है राहुल गांधी लगातार प्रधानमंत्री पर हमला करते हुए उन्हें चोर बता रहे है। अनिल अंबानी को 30 हजार करोड़ रूपये का लाभ पहुंचाने का सीधा आरोप प्रधानमंत्री को लगा रहे है। दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी अपने बचाव में वाड्रा का भी नाम राफेल डील में उछालने लगी थी। भाजपा ने आरोप लगाया है कि वाड्रा के मित्र भंडारी को राफेल डील मे बिचैलिया न बनाये जाने से राहुल गांधी प्रधानमंत्री पर आरोप लगा रहे है। वाड्रा के प्रधानमंत्री के 56 इंच के सीने को लेकर दिये गये बयान पर भाजपा बौखला गयी है। वाड्रा के इस आरोप में पूरा दम है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चार साल से सरकार में है अगर वाड्रा ने कोई भ्रष्टाचार किया और राफेल डील में हस्ताक्षेप किया है तो जांच करके कार्रवाही क्यों नही करती? बयान देकर राहुल गांधी के आरोपों से बचना चाहते है वास्तविकता यही है कि राफेल डील में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहली बार सीधे भ्रष्टाचार को लेकर राहुल गांधी के निशाने पर है। जिस तरह से एचएल जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से राफेल डील छीन कर अनिल अंबानी जैसे 45 हजार करोड़ के कर्जदार और बदनाम व्यवसायिक घराना अंबानी को राफेल का कार्य दे दिया। जिसको लेकर देश की जनता ने भी राहुल गांधी के आरोपों पर मूक सहमति दिखायी दे रही है। राफेल डील भाजपा और प्रधानमंत्री का रवैया बोफोर्स जैसा बनता जा रहा है जब वी.पी.सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर बोफोर्स में दलाली का आरोप लगाया था तो उस समय कांग्रेस ऐसे ही टाल-मटोल और आरोप-प्रत्यारोप में उलझ गयी थी जैसे आज राफेल डील में भाजपा उलझी हुई है। वाड्रा ने जिस तरह से प्रधानमंत्री पर सीधा आरोप लगाया है इससे आने वाले दिनों में भाजपा के लिए और मुसीबत बढ़ेगी केवल टी.वी. चैनलों और मीडिया में वाड्रा पर आरोप लगाने से काम नही चलेगा बल्कि जांच कराके वाड्रा पर आरोप तय करें। भाजपा को गलत फहमी में नही रहना चाहिए देश की जनता सब कुछ जानती है। समय बतायेगा कि भाजपा राफेल डील में कांग्रेस के आरोपों का जबाव कैसे देती है।
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शिवपाल की होगी(पीएसपी) प्रगतिशील समाजवादी पार्टी
लखनऊ, शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव को पूरी तरह से चुनौती देने और अपमान का बदला लेने की पूरी तैयारी कर ली। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के नाम से नया दल होगा। इस नये पार्टी के चुनाव चिन्ह में सभी 80 सीटों पर पीएसपी चुनाव लड़ेगी। मुलायम सिंह यादव के अखिलेश के साथ जाने से शिवपाल का रास्ता स्पष्ट होे गया है कि अब नाराज सपाईयों का बहुत बड़ा खेमा शिवपाल के साथ जुड़ता जा रहा है। सी.पी. राय को मीडिया का मुख्य प्रवक्ता बनाया गया है। सी.पी. राय जैसे कद्दावर नेता एवं मीडिया फ्रेन्डली जैसा अखिलेश के टीम में कोई भी प्रवक्ता नही है। इटवा के पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य के शिवपाल से जुड़ने से गृह जनपद में अखिलेश की चुनौती बढ़ गयी है। यह सीधा सा राजनीतिक गणित कि सपा बसपा का गठबन्धन होता है तो 2014 लोकसभा चुनाव में 31 सीटों पर सपा और 34 सीटों पर बसपा दूसरे स्थान पर रही। तीसरे स्थान पर सपा और बसपा के प्रत्याशी रहे है जिन संसदीय क्षेत्रों में सपा दूसरे स्थान पर थी वहां बसपा तीसरे स्थान है और जहां बसपा दूसरे स्थान पर वहां सपा तीसरे स्थान पर है। अगर सपा बसपा में चुनावी ताल-मेल होता है तो इन 65 सीटों पर एक ही प्रत्याशी चाहे वह सपा को हो या बसपा का चुनाव लड़ेगा। दूसरे प्रत्याशी जो सपा या बसपा के दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे उन्हें टिकट नही मिलता तो वह भी गठबन्धन के खिलाफ ताल ठोकेंगे। शिवपाल की रणनीति गठबन्धन को निश्चित रूप से कमजोर करेंगी यही नही बसपा से नाराज बहुत सारे दलित संगठन शिवपाल के साथ जुड़ते जा रहे है। अभी तक शिवपाल की तरफ से जो सूची जारी की जा रही है तो उसमें छोटे-छोटे दलों के नाम शामिल है।