लोक गठबंधन पार्टी:यूपी के सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए

अर्बन मीरर समवाददाता

लखनऊ, 23 अक्टूबर: लोक गठबंधन पार्टी (एलजीपी) ने आज उत्तर प्रदेश सरकार से कर्मचारीयों की पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग की, जो 2004 से पहले अस्तित्व में था। एलजीपी ने कहा कि कर्मचारियों ने तीन दिन की हड़ताल पर जाने का फैसला किया क्योंकि सरकार ने अपनी उचित मांग को स्वीकार करने से मना कर दिया है।

एलजीपी के प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि इस योजना को 2004 में तत्कालीन एनडीए सरकार द्वारा मनमाने ढंग से हटा दिया गया था। प्रवक्ता ने कहा कि यूपी में बीजेपी सरकार ने इस मुद्दे पर कर्मचारियों के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया है। इस बात पर ध्यान देते हुए कि पूरे देश में कर्मचारी इस मुद्दे पर चिंतित हैं, प्रवक्ता ने केंद्रीय और उत्तर प्रदेश सरकारों से देरी के बिना कर्मचारीयों की मांग को स्वीकार करने के लिए कहा। प्रवक्ता ने तीन दिवसीय हड़ताल अवधि के दौरान “काम नहीं तो वेतन नहीं” निर्णय के राज्य सरकार के फैसले की भी निंदा की। प्रवक्ता ने कहा कि उनकी वास्तविक शिकायतों को सुनने के बजाय यूपी सरकार कर्मचारियों को परेशान करने की कोशिश कर रही है।

प्रवक्ता ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा कर्मचारी वर्ग का मौलिक अधिकार है और उसे सेवानिवृत्ति के बाद अकेला छोड़ दिया नहीं जा सकता है। प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए सरकार को पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए कर्मचारियों की मांग तुरंत स्वीकार करनी चाहिए ताकि उनके सेवानिवृत्ति के बाद के भविष्य को संरक्षित किया जा सके। प्रवक्ता ने कहा कि पेनशन लाखों सरकारी कर्मचारियों के भविष्य हिस्सा है और एनडीए सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।

प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान योजना के कारण कर्मचारियों को बड़ीं असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। प्रवक्ता ने कहा कि सरकार ने पहले पुरानी पेंशन योजना के पुन: कार्यान्वयन के लिए एक समीक्षा समिति बनाने का फैसला किया था, लेकिन अब तक इस संबंध में कुछ भी नहीं किया गया है। प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान फंड योजना (सीपीएफ) बंद कर दी जानी चाहिए और पुरानी योजना को फिर से लागू किया जाना चाहिए। प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान योजना के तहत कर्मचारियों को मुफ़्त चिकित्सा सुविधाएं प्रदान नहीं की जाती हैं। प्रवक्ता ने कहा कि वर्तमान योजना शेयर बाजार पर निर्भर है क्योंकि कर्मचारियों द्वारा योगदान किए गए फंड का इस्तेमाल निजी कंपनियों द्वारा किया जा रहा है जिसमें गम्भीर अनिश्चितता है।

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