माया,अखिलेश सरकार की तरह योगी सरकार में भी बेरोज़गारों के साथ धोखाधड़ी

अर्बन मीरर समवाददाता

उत्तर प्रदेश में पिछले दो दशक से सरकारें बेरोज़गारों के भविष्य के साथ खिलवाड़ और धोखाधड़ी कर रही हैं। लोकसेवा आयोग अधीनस्थ चयन सेवा आयोग विधुत चयन बोर्ड, सरकारिता चयन बोर्ड, पुलिस भर्ती बोर्ड, उच्च शिक्षा चयन बोर्ड, माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड से लेकर विभिन्न विभागों द्वारा की जा रही भर्तियों में घोटाले ही घोटाले हो रहे हैं। सपा एवं बसपा की सरकार रही हो या वर्त्तमान में भाजपा की सरकार है। सभी सरकारों में भर्तियों में भ्रष्टाचार और करोडो रूपये की लूट होती हैं। चुनाव आते हैं सरकारें घोषणा करती हैं कि भर्तियों में अनिमितता की जांच होगी। बसपा सरकार में भर्तियों में हुए घोटाले और अधीनस्थ चयन सेवा आयोग के द्वारा की जा रही भर्तियों में अनिमितता के कारण भाजपा सरकार बनने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने अधीनस्थ चयन सेवा आयोग को भंग कर दिया था और जांच के आदेश दिए थे। जांच में कुछ नहीं हुआ भर्तियों में घोटाले जारी रहे। 2003 से 2007 के बीच में बसपा को तोड़ कर बनी सपा की सरकार ने पुलिस भर्ती से लेकर सभी विभागों में और सचिवालय तथा लोकसेवा आयोग की भर्तियों में जमकर धांधली की। मायावती ने 2007 में बेरोज़गारों को लुभाने के यह घोषणा किया कि सपा सरकार में हुई भर्तियों की धांधली की जांच होगी और दोषियों को जेल भेजा जायेगा। पुलिस की भर्तियों में हुई अनिमितता की जांच के लिए कमेटी बनाई गयी। जांच में भ्रष्टाचार पाए गए लेकिन बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों के खिलाफ मायावती कार्यवाही नहीं कर पायी। जांच का खामियाज़ा बेरोज़गारों ने एक दशक तक भोगा और आज भी भोग रहे है।
मायावती सरकार में भी पूर्व सरकारों की तरह भर्तियों में लूट की गयी। जाति एवं धर्म के नाम पर भर्ती की गयी और बेरोज़गारों से अरबो रूपये लुटे गए। मायावती की 2007 से 2012 तक की सरकार में पुलिस से लेकर तमाम विभागों में 4,00,000 से अधिक भर्तियां हुई। इन भर्तियों में भी लूट ही हुई। एक जाति विशेष को भर्ती में विशेष लाभ दिया गया। सपा ने 2012 चुनाव में युवाओं को लुभाने के लिए बसपा सरकार की भर्तियों को निरस्त करके निष्पक्ष भर्ती करने और भर्तियों के घोटालेबाज़ पर कार्यवाही की घोषणा की थी। सरकार बनने के बाद अखिलेश यादव ने भी मायावती की तरह युवाओं के साथ धोखाधड़ी की। लोकसेवा आयोग से लेकर विभागीय भर्तियों में जम कर धांधली की गयी। एक जाति विशेष को नियम कानून ताक पर रखकर भर्ती की गयी। पुलिस भर्ती में घोटाले ही घोटाले हुए। स्वास्थ्य, नगर विकास, सहकारिता सहित सभी विभागों और विभिन्न आयोगों द्वारा की गयी भर्तियों में व्यापक अनिमितता की गयी। लोक सेवा आयोग में भर्ती घोटाले के खिलाफ महीनो तक बेरोज़गार युवाओं का आंदोलन चलता रहा लेकिन घोटालेबाज़ पर कार्यवाही नहीं हुई।
2017 विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश में लोक सेवा आयोग की भर्तियों में हुए घोटाले पर कार्यवाही करने का आश्वाशन दिया था जनसभाओं में प्रधानमंत्री खुले रूप से घोषणा करते थे कि अगर भाजपा की सरकार बनी तो भर्तियों की घोटाले की जांच होगी और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी। जनता ने विशेष कर युवाओं के मोदी के भाषण पर भरोसा किया और तीन चौथाई से अधिक सीटें देकर पूर्ण बहुतमत की सरकार बनाई। सन्यासी योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश की कमान सौपी जनता ने मोदी की बातों पर भरोसा किया और 325 सीटों का प्रचंड बहुमत भी दिया। सरकार बनने के बाद युवाओं में भरोसा जगा लेकिन भाजपा सरकार भी पूर्व सपा बसपा सरकारों की तरह ही बेरोज़गारों के साथ धोखाधड़ी कर रही है।

मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने लोकसेवा आयोग की भर्तियों की सीबीआई जांच के निर्देश दिए। बहुत ज़ोर शोर से योगी सरकार ने लोक सेवा आयोग की भर्तियों की जांच सीबीआई को सौपी। सीबीआई ने भी जांच शुरू की लेकिन एक साल से अधिक समय हो रहे हैं जांच के नाम पर सीबीआई ने अभी तक खानापूर्ती की है। लोकसेवा आयोग में अभी भी भर्तियों में पूर्व सरकारों की तरह ही घोटाले ही घोटाले हो रहे है। जांच के नाम पर सीबीआई चुप बैठी हैं। योगी सरकार में शिक्षकों की भर्ती शुरू हुई इस भर्ती में सपा बसपा सरकार में हुई भर्तियों में हो रहे धांधली को भी पीछे छोड़ दिया। 68500 शिक्षकों की भर्ती में युवा बेरोजगारों के साथ योगी सरकार ने ज़जरदस्त धांधली की। मेधावी छात्रों की कापियां फाड़ दी गयी। पन्ने बदल दिए गए और सही सवालों पर भी शुन्य अंक दिए गए । दुसरी तरफ पैसा लेकर कापियां दूसरों लोगों से लिखवाई गयी,फेल अभ्यार्थियों को पास किया गया और उन्हें प्रमाण पत्र लेकर नौकरी भी दी गयी यही नहीं घोटालेबाज़ों ने बड़ी ही सुनियोजित तरीके से फ़र्ज़ी नियुक्ति होने वाले युवाओं को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से नियुक्ति पत्र भी बटवा दिए गए। घोटाले स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहे हैं। घांधली को लेकर मेधावी छात्र जिन्होंने परीक्षा में सवालों का जवाब सही दिया था। चयन न होने पर न्यायालय गए। न्यायालय में जाने के बाद राज्य सरकार ने शिक्षक भर्तियों में हुए घांधली के जांच के आदेश दिए लेकिन जांच में भी लीपा पोती की गयी। उच्च न्यायालय बार बार राज्य सरकार को घांधलियों को ठीक करने के लिए निर्देश देता रहा लेकिन राज्य सरकार घोटालेबाज़ों पर कार्यवाही नहीं कर पायी और जिससे नाराज़ होकर उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। यही नहीं सपा सरकार में हुई 12000 सहायक शिक्षकों की भर्तियों को भी धांधली के कारण चयन रद्द करते हुए तीन माह में विज्ञापन देकर नया चयन करने का निर्देश दिया है।

उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद योगी सरकार परेशान है और उच्च न्यायालय के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में ही फिर से अपील करने की तैयारी कर रही है लेकिन सरकारों की भ्रष्टाचारी नीतियों के कारण उत्तर प्रदेश का करोडो युवा बेरोज़गार ठगा महसूस कर रहा है। शिक्षक भर्ती घोटाला मध्य प्रदेश के व्यापम घोटाले जैसा हो गया है। व्यापम की कई वर्षों से सीबीआई जांच कर रही है और 50 से अधिक लोगों की जांच के दौरान हत्या हो चुकी है। शिक्षक भर्ती में करोडो रूपये लेनदेन हुए हैं। भर्ती माफियाओं ने सुनियोजित तरीके से बेरोज़गारों को लुटा है अब अगर सीबीआई जांच शुरू हुई तो भर्ती माफिया बचने के लिए बेरोज़गारों से पैसा लेने वाले बिचौलियों की व्यापम की तरह हत्या भी करा भी सकते है। 68500 शिक्षक भर्तियों में जानकारी के अनुसार लाखो युवाओं से भर्ती माफियाओं ने करोडो रूपये वसूले है जिसकी बन्दरबाँट शासन और सरकार के उच्च पदों पर बैठे लोगों के बीच हुई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में भी सपा बसपा सरकार की तरह भर्तियों में घोटाले ही घोटाले हो रहे है और बेरोज़गारों को ठगा जा रहा है।

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