राजनेताओें द्वारा चुनाव यज्ञ में,वोट देवता आवाहन हेतु,नित्य नवीन व ओजस्वी मंत्र उच्चारित किये जाते हैं,और,पर्याप्त आहुति तथा यथोचित बलि दी जाती हैं।मंत्र मिथ्या परिपूर्ण होते हैं और आहुति सिद्धांतों की,तथा,बलि देशहित की दी जाती है।राष्ट्र निर्माण यज्ञ में यदि संभावित यज्ञकर्ता ही यज्ञ विध्वंसक का रूप दिखाने लगे तो यज्ञशाला भस्म होने के सिवा कोई अन्य परिणाम संभव नहीं है ।
डॉक्टर एच सी पांडे
चुनाव का मौसम है,राजनैतिक दलों ने वायदों के अंबार लगा दिये हैं।कौन राजनैतिक दल,जनता को कितनी सुविधाएँ देगा,यदि उसे जनता का आशीर्वाद मिला,इस पर होड़ लगी हुई है।उदाहरणार्थ एक राज्य में एक दल ने,रसोई गैस सिलिंडर ४५० रुपये में देने का वायदा किया है तो दूसरे ने ४०० रुपये में।लगता है कि ऐसा होते-होते राजनैतिक दल,अंतत: गैस सिलिंडर मुफ़्त में देने का वचन देंगे और,तब भी काम न बनता देख,गृहणियों को वादा करेंगे कि हर घर में एक रसोइया भी सिलिंडर के साथ आयेगा,सब कुछ फोकट में।गैस सिलिंडर की बकाया क़ीमत और रसोइये की हर माह की तनख़्वाह किस खाते से आयेगी सोचना अर्थहीन है क्योंकि चुनाव के बाद वादों की गैस पुनः सिलिंडर में बंद की जा सकती है और आजकल रसोइये वैसे भी मिलते नहीं हैं ।
इसी तर्ज़ में ,राजनैतिक दल महिलाओं को हर महीने ,एक से एक बढ़ कर,जेब-खर्च देने की गारंटी दे रहे है,फिर किसान सम्मान निधि ,तदनंतर बेरोज़गारी भत्ता,फिर छात्रवृत्तियों,फिर करोड़ों नौकरी,और जाने क्या,क्या।
चलिये,रसोई-घर की समस्या तो एक छोटी समस्या है पर गंभीर समस्याओं के हल के लिये भी, एक से बढ़कर कर एक,वादे किये जा रहे है।
सामाजिक न्याय दिलाने का सरल उपाय बताया जा रहा है,जातिगत जनगणना।यह उपाय गहन खोज के पश्चात मिला अथवा इसका आविष्कार किया गया यह कहना कठिन है पर जो भी हो जिसने भी यह उजागर किया है वह ‘भारत रत्न ‘ का अधिकारी है ।अब समझ में आ रहा है कि ईश्वर प्राप्ति के लिए जप क्यों किया जाता है।जब १०८ बार अथवा १००८ बार ईश्वर के नाम की माला फेरने से वैयक्तिक कठिनाई दूर हो सकती है तो जाति का जप ,समाज में व्याप्त समस्याओं का अमोघ अस्त्र है।
इसी विचार श्रंखला में दनादन आश्वासन दिए जा रहे हैं।देश की समस्याओं की भी अपनी अपनी जातियां हैं,जैसे शिक्षा ,स्वास्थ्य,ऊर्जा,परिवहन इत्यादि ।अतः शिक्षा संस्थानों की कमी के लिये संस्थानों की गिनती,अपर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के लिए अस्पतालों की गिनती,बिजली की अनुपलब्धता के लिये बिजलीघरों की गिनती,आवागमन साधनों की कमी के लिये रेलगाड़ी के डिब्बों और बसों की गिनती,आदि,आदि ।और अंततः,निर्धनता तथा बेरोजगारी की समस्या का हल है,निर्धनों व बेरोज़गारों की जाति-वार गिनती।
अब ढपोरशंख परेशान हैं कि इस सब गिनती के बाद वादों कि सुनामी आ जाएगी और फिर उसे कौन पूछेगा।इतने वादे तो वह भी नहीं कर सकता अतः यह तो इज़्ज़त का सवाल हो गया संभवतः उसे आत्महत्या करनी पड़े।
ढपोरशंख को चिंता नहीं करनी चाहिये क्योंकि राजनेताओें का ज्ञान नोट गिनने तक ही सीमित है,जिसका प्रमाण है कि,जब,जब,राजनेता अपनी,अपनी पार्टी के उम्मीदवार की मतपत्र संख्या गिनने बैठते हैं तब,तब चमत्कार से,वोटों की कुल संख्या पंजीकृत वोटरों से अधिक निकल आती है,और वोटों की गिनती ई वी एम से करनी पड़ती है।जब संख्या ज्ञान सीमित तब उपरोक्त गणना राजनेताओं से नहीं हो पायेगी परिणाम स्वरूप वादे करने का वादा धरा रह जाएगा।ढपोरशंख अमर रहेगा।
देश का दुर्भाग्य है कि झूठे राजनेता भी अमर रहते हैं ।
राजनेताओें द्वारा चुनाव यज्ञ में,वोट देवता आवाहन हेतु,नित्य नवीन व ओजस्वी मंत्र उच्चारित किये जाते हैं,और,पर्याप्त आहुति तथा यथोचित बलि दी जाती हैं।मंत्र मिथ्या परिपूर्ण होते हैं और आहुति सिद्धांतों की,तथा,बलि देशहित की दी जाती है।राष्ट्र निर्माण यज्ञ में यदि संभावित यज्ञकर्ता ही यज्ञ विध्वंसक का रूप दिखाने लगे तो यज्ञशाला भस्म होने के सिवा कोई अन्य परिणाम संभव नहीं है ।
(प्रो. एच सी पांडे, मानद कुलपति, बिट्स, मेसरा हैं)